कैंसर मुख्य रूप से असामान्य कोशिका वृद्धि से संबंधित है जो कि शरीर के अन्य भागों पर भी फैल जाने की संभावना रखती है। सीएसआईआर- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान में चल रही ‘सेल डेथ इन कैंसर एंड टोक्सीकोलोजी (सीडीसीटी -2018)’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन कैंसर रोग विज्ञान की इन प्रक्रियाओं को समझने पर चर्चा केन्द्रित रही। कोशिका के पावरहाउस माइटोकोंडरिया की भूमिका, कैंसर में इसके विघटन और इसकी प्रक्रियाओं के अत्यधिक सक्रियण पर भी चर्चा हुई जो कोशिका बैलेन्स में बाधा उत्पन्न कर सकता है। प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों और डीएनए नुकसान की भूमिका भी विस्तार से चर्चा हुई। कैंसर में आणविक मार्गों के फोटोबायोइंजीनियरिंग और फोटोबायोमाडुलेशन का उपयोग कर कैंसर स्टेम सेल को लक्षित करना भी प्रस्तुतियों का मुख्य केंद्र रहा।
सम्मेलन के समापन दिवस पर प्रभावी कैंसर प्रबंधन के लिए पारंपरिक उपचार प्रोटोकॉल में सुधार के साथ कैंसर में नैदानिक दृष्टिकोण एवं नवीन चिकित्सीय नियमों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया। एड्वान्स्ड़ सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर, मुम्बई के डॉ॰ अमित दत्ता ने श्रोताओं को डीएनए अनुक्रमण तकनीकों में प्रगति के बारे में जानकारी दी जिससे ट्यूमर के ऊतकों में प्रभावी जीनोमिक परिवर्तन लाकर उपचार की रणनीति के रूप में सक्षम किया गया। लक्षित चिकित्सा हेतु ये पद्धतियां कैंसर के आणविक वर्गीकरण का अनुमोदन कर रोग निदान को रूपांतरित करने की शुरुआत कर रही हैं।
तीन दिनों के गहन वैज्ञानिक/तकनीकी सत्रों के बाद 22 फरवरी, 2018 को सेल डेथ इन कैंसर एंड टोक्सीकोलोजी (सीडीसीटी -2018) पर चल रहे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ। समापन समारोह 2:30 बजे अपराहन को आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रोफेसर अरुण चतुर्वेदी, हेड सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी मुख्य अतिथि थे। प्रोफेसर आलोक धावन, निदेशक, सीएसआईआर – भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान ने समारोह की अध्यक्षता की। डॉ॰ ध्यानचंद्र, एसोसिएट प्रोफेसर, रॉसवेल पार्क कॉम्प्रेहेंसिव कैंसर सेंटर, संयुक्त राज्य अमेरिका ने सम्मेलन रिपोर्ट (कोन्फ्रेंस रिपोर्ट) प्रस्तुत की। सर्वोत्तम मौखिक प्रस्तुतीकरण एवं सर्वोत्तम पोस्टर प्रस्तुतीकरण हेतु पुरस्कार भी दिए गए।
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