लखनऊ :2014 के लोकसभा परिणामों की पुनरावृत्ति से बचने के लिए कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश में उधार के नेताओं को वरीयता देते हुए पार्टी में शामिल कर टिकट देने का जो सिलसिला शुरू किया है वह पुराने कोंग्रेसियों को हज़म होता नहीं दिख रहा है जिसका असर भी दिखने लगा है लोकसभा चुनाव का मौसम और प्रियंका गाँधी की राजनीती में सक्रियता ने जो जोश कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भरा था और जो उम्मीद उन्हें दिखी थी और जो गहमागहमी कॉंग्रेस्सस कार्यालय में दिखी थी अब धूमिल होती नज़र आने लगी है यही नहीं कुछ नेता जिनके क्षेत्र में कोई दूसरा दावेदार नहीं है उनको भी उधार के नेताओं के चलते खौफ लगने लगा है कि खिन उनके यहां भी उधार के प्रत्याशी को वरीयता न दे दी जाए ऐसे में वह दूसरे दलों में टिकट कार्यकर्ताओं को दिए जाने की तारीफ भी करते नज़र आने लगे हैं। वैसे भी कांग्रेस के राष्ट्रोय अध्यक्ष राहुल गाँधी के दो जगह से लड़ने की खबर ने कार्यकर्ताओं के जोश को कम कर दिया हैटिकट बटवारे की कड़ी में अब तक उत्तरप्रदेश में लगभग एक दर्जन दूसरे दलों से आये लोगों से टिकट मिल जाने के बाद पार्टी के जिन नेताओं को टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं उनके नाम की अब तक घोषणा न होने से अब उनके में मायूसी नज़र आने लगी है। जितिन प्रसाद को लखनऊ से राजनाथ सिंह के खिलाफ प्रत्याशी बनाने की कांग्रेस की रणनीति ने कार्यकर्ताओं में और मायूसी भर दी है इटावा में कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के प्रयास में लगे कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह भी मायूस कार्यकर्ताओं की संख्या में गिने जाने लगे हैं रोज़ जारी हो रही सूचि में अशोक सिंह को अपना नाम प्रत्याशियों की लिस्ट में अब तक न दिखना अखरने लगा है अशोक सिंह समेत कई नेता अब इस तैयारी में हैं कि अगर ऐसी ही उदासीनता का सामना करना पड़ना है तो वह दूसरी पार्टी में चले जाए। वैसे 2019 के ज़रिये मिशन यू पी 2022 की भी तयारी में जुटी कांग्रेस ने अब तक लगभग 100 से ज़्यादा विधानसभा क्षेत्रों में उदासनीता ही दिखाई है जिसमे वह क्षेत्र भी शामिल हैं जहाँ कांग्रेस ने सपा बसपा और रालोद के गठबंधन के बड़े नेताओं की वजह से प्रत्याशी न उतरने का फैसला किया है 2019 में उधार के नेताओं के दमपर लोकसभा के मैदान में उत्तरी कांग्रेस 2022 के मिशन से भी दूरी नज़र अभी से नज़र आने लगी है।
सय्यद काज़िम रज़ा शकील
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