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ईद पर प्रबुद्ध नागरिकों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने निकाला कैडल मार्च
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रोहतक, 26 जून। आज अगर खामोश रहे तो कल खामोशी छाएगी, आज जुनैद, कल मैं या आप भी हो सकते हैं। यह संदेश नागरिक एकता एवम् सद्भाव समिति के तत्वाधान में ईद के अवसर पर निकाले गए कैडल मार्च का था।
कैडल मार्च से पहले सैंकड़ों प्रबुद्ध नागरिकों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्त्ता स्थानिय मानसरोवर पार्क में एकत्रित हुए। सदभाव सभा में बोलते हुए समिति के संयोजक डा. एम.एस. नारवाल ने कहा कि आज ईद का दिन है परन्तु हमारी खुशियों पर गम के बादल छाए हैं ?
हमारे लोकतांत्रिक देश में नफरत और उन्माद से लैस ऐसा भीड़ तंत्र तैयार किया जा रहा है कि पता नहीं कब, कौन, कहां, किस नाम पर इसका शिकार हो जाए। सोचने भर से ही रूह कांप उठती है। हमारा देश की खूबसुरती यह रही है कि यहां विभिन्न जातियों व धर्मों के लोग सदियों से मिलजूल कर रहते आएं हैं। हमने अपने तीज-त्यौहार इकट्ठे मिलकर मनाते आए हैं।
सभी धर्मों ने यही सिखाया है कि इंसानियत का धर्म सबसे बड़ा है। मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना और ’’वैष्णव जन तो तैने कहिये, पीर पराई जाने रे’’ हमारे ही गीत हैं। परन्तु आज धर्म के नाम पर लोगों के दिलों में इतनी नफरत भरी जा रही है कि वे इंसान को इंसान की तरह देखने की बजाय धर्म और जाति के रूप में ही देख रहे हैं। धार्मिक उन्माद और कट्टरता बढ़ रही है।
सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि हरियाणा में 21 जून को दिल्ली से आगरा जा रही पैसेंजर ट्रेन में बल्लबगढ़ के पास 15 वर्षीय छात्र जुनैद हाफिज की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और उसके दो भाईयों को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया। वे ईद के त्यौहार के लिए दिल्ली से कुछ सामान खरीदकर हसीं-खुशी अपने घर जा रहे वापिस लौट रहे थे। उन पर केवल इसलिए हमला किया जाता है कि वे मुस्लिम हैं।
सवारियों से भरी ट्रेन में अगर कुछ लोग उन्हें बचाने के लिए आगे आते तो शायद वह बच जाता। ऐसे ही श्रीनगर में डीएसपी मोहम्मद अयुब पंडित को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। मेवात के पहलू खान, दादरी यु.पी. के अखलाक, झारखंड के सलमान व बंगााल में 3 मुस्लिमों को भीड़ ने ऐसे ही मौत के घाट उतार दिया। और भी कई घटनाएं हैं।
समाज का बड़ा हिस्सा अगर इन घटनाओं पर सिर्फ इसलिए खामोश है कि भीड़ केवल मुसलमानों को मार रही है तो हम भ्रम में हैं। यही भीड़ जमशेदपूर में हिन्दु महिला समेत उसके दो पोतों की हत्या कर चुकी है। ऐसे ही भीड़ ने हापुड़ में हिन्दु की भी हत्या की थी। ये र्बबर घटनाएं हमारे समाज के ताने-बाने को तार-तार करने वाली हैं।
कैडल मार्च मानसरोवर पार्क से शुरू होकर बापू पार्क तक गया। मार्च में डा आर एस दहिया, रमनीक मोहन, वीना मलिक, एस एन जैड नकवी, डा संतोष, डा नरेन्द्र चाहर, इन्द्रजीत सिंह, मुकेश, अविनाश सैनी, नरेश कुमार, छात्र नेता सुमित, संदीप सिंह, डा मंजीत राठी, सतबीर सिंह, जयभगवान, सत्यपाल सिवाच, अजरूदीन, सैलेन्द्र, सविता, मधु, अंजु, गीता समेत अनेक स्कूली बच्चे भी शामिल रहें।