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पूरे प्रदेश में ठंड ने कहर बरपा रखा है। एेसे में सरकार ने गरमाहट देने के लिए साढ़े 27 लाख रूपये की सहायता प्रदान की थी। पूरी रकम ताे स्वाहा हाे गई लेकिन लाेगाें के कंपकपाते शरीर काे गरमाहट का एहसास भी नहीं हुअा।

प्रदेश सरकार न कंबल और अलाव के लिए 27 लाख रुपये जारी किए थे जाे स्वाहा हाे चुके हैं। अभीतक पर्याप्त संख्या में न कंबल बंट सके है न अलाव जल पाए हैं। अब साढ़े 27 लाख रुपये की दूसरी किस्त और मिल गई है।
इसमें 25 लाख रुपये खर्च हो गए। 55 स्थानों में अलाव जलाने में 2.50 लाख रुपये खर्च बताए गए। दैवी आपदा/राहत विभाग के मुताबिक शासन ने दूसरे चरण में कंबल के लिए साढ़े 25 लाख और अलाव के लिए 2.50 लाख रुपये और स्वीकृत किए हैं।
पांचों तहसीलों को कंबल के लिए पांच-पांच लाख और अलाव के लिए 50-50 हजार रुपये दिए गए हैं। उधर, स्थानीय निकाय अलाव के अलग खर्च बताया गया है। उधर, प्रशासन के कागजों में मंडल मुख्यालय बांदा शहर में चार रैन बसेरा चल रहे हैं।
इनमें रोडवेज, रेलवे स्टेशन, खाईंपार और नगर पालिका बालिका इंटर कालेज शामिल हैं। इनमें अन्ना मवेशी बसेरा कर रहे हैं। रोडवेज का रैन बसेरा बंद रहता है। विभागीय कर्मचारी का कब्जा है। पिछले माह दिसंबर में लगभग 6684 कंबल बांटे गए थे।
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