
अभी यात्री अपने फोन का इस्तेमाल उसी समय तक कर सकते हैं जब तक विमान एयपोर्ट पर खड़ा है क्योंकि इस तरह की सेवाएं भारतीय एयरस्पेस में उपलब्ध नहीं हैं। जबकि तुर्की, चीन और आयरलैंड जैसे दूसरे देशों में ज्यादातर एयरलाइनें इस तरह की सेवाएं पहले से उपलब्ध करा रही हैं। इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी पर जारी अपनी सिफारिशों में ट्राई ने कहा कि अब एयरलाइनें कुछ शर्तों के साथ अपने यात्रियों को कुछ इंटरनेट व वाई-फाई सेवाएं प्रदान कर सकेंगी।
कंप्यूटर व इंटरनेट सेवाएं विमान के उड़ान भरते ही शुरू की जा सकेंगी। परंतु मोबाइल सेवाओं के लिए विमान के 3000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पहुंचने का इंतजार करना होगा। दरअसल मोबाइल का इस्तेमाल विमान परिचालन और संचार में बाधक हो सकता है। इसीलिए मोबाइल के इस्तेमाल के लिए 3000 मीटर की ऊंचाई रखी गई है।
ट्राई ने भारतीय एयरस्पेस में इन-फ्लाइट सेवाओं के लिए “आईएफसी सर्विस प्रोवाइडर” के रूप में एक नई श्रेणी प्रारंभ करने का सुझाव दिया है। आईएफसी सर्विस प्रोवाइडर को दूरसंचार विभाग में स्वयं को पंजीकृत कराना होगा। हालांकि उसके लिए भारतीय कंपनी होना जरूरी नहीं है। ट्राई की सिफारिश है कि इसक पंजीयन शुल्क एक रुपए सालाना रखा जाए। भारतीय और विदेशी दोनों तरह के आईएफसी प्रोवाइडर के लिए एक जैसे नियम होंगे।
विदेशी कंपनियों को भारत में कानूनी रूप से ऐसी सेवाएं शुरू करने के लिए सैटेलाइट गेटवे स्थापित करना होगा जो इन-केबिन इंटरनेट यातायात को इंटरसेप्ट कर उन्हें मॉनिटर करेगा। इस सेवा के लिए भारतीय विदेशी सैटेलाइटों का इस्तेमाल किया जा सकेगा।भारतीय दूरसंचार विभाग ने 10 अगस्त 2017 को ट्राई से इस संबंध में सुझाव मांगे थे। विभाग इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है कि भारतीय हवाई क्षेत्र में उड़ने वाली सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में वॉइस, डेटा और वीडियो सेवाओं की अनुमति यात्रियों को दी जाए।
अभी इसलिए नहीं है अनुमति
मौजूदा समय में हवाई जहाज में उड़ान के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करने को कहा जाता है। इसका कारण यह है कि विमान के उड़ान के वक्त मोबाइल को चालू रखने से मोबाइल के सिग्नल विमान के संचार तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। इससे पायलट को नियंत्रण कक्ष से मिलने वाले संदेशों में बाधा पहुंच सकती है।
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