वर्ड वॉचिंग नेचर दिवस पर हुआ विश्व आद्र्र दिवस का आयोजन

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अवधनामा संवाददाता

गोविन्द सागर बांध पर बच्चों को करायी गयी पक्षियों की पहचान

ललितपुर। गोविन्दसागर बांध पर विश्व आद्र्र दिवस एवं वर्ड वॉचिंग नेचर दिवस का आयोजन किया गया। इस दौरान स्कूली बच्चों, एनसीसी छात्रों, आम नागरिको, प्रकृति प्रेमी एवं पर्यावरण विदों द्वारा इस आयोजन में प्रतिभाग किया गया। बच्चों एवं छात्रों को गोविन्दसागर बांध पर सुबह 7-8 बजे नाना प्रकार के पक्षियों से पहचान कराकर वाईनाकुलर के माध्यम से दिखाया गया, जिसमें कुल 279 विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को देखा गया, जिनमें लेसर विश्लिंग डक (संख्या-66), यलो वेटलेड लैपविंग (संख्या-04), वुड सैण्डपाइपर (संख्या-04), वाइट बैगटैल (संख्या-05), किंगफिशर (संख्या-02), ग्रेट कोरमोरेन्ट (संख्या-13), डार्टर (संख्या-05), पोण्ड हेरोन (संख्या-09), स्रिक (संख्या-05), कोटन टील (संख्या-15), कोमन मूर हैन (संख्या-12), लिटिल अरगिट (संख्या-20), इण्डियन सिफ्टलेट (संख्या-100), ग्रीन बी इटर (संख्या-05) एवं यलो आई वेवलर (संख्या-15) है। तत्पश्चात गोष्ठी प्रारम्भ की गयी। गोष्ठी में मुख्य अतिथियों में डीएफओ दीक्षा भण्डारी, मुक्ति संस्था से लक्ष्मीनारायण विश्वकर्मा, नेमवि के पूर्व प्राचार्य प्रो.भगवत नारायण शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र नारायण शर्मा, रिटायर्ड वन दरोगा कादिर खान, गोरैया मुहिम संचालन लखनऊ महेश साहू, स्कूली बच्चे, छात्र-छात्राएं एवं आम नागरिकों एवं वन कर्मियों ने प्रतिभाग किया। वक्ताओं ने वैटलैण्ड के संरक्षण एवं पक्षियों के समुचित आवास उपलब्ध कराये जाने पर अपने विचार व्यक्त किये। वक्ताओं ने कहा कि दशहरा पर्व पर नीलकण्ठ का दर्शन शुभ माना जाता है, और जो महिलाऐं कोकिला व्रत रखती है, वे कोयल दर्शन होने पर ही जल ग्रहण करती है। पक्षी अपने रूप रंग के साथ रितुराज वसन्त के समय जब विभिन्न स्वरों मे अठखेलियाँ करते है, तो लगता है कि जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। प्रभागीय निदेशक ने डोडो नामक पक्षी, जो मारशिस का एक स्थानीय पक्षी था, उसके बारे में बताया कि ये पक्षी 17वीं सदी के अन्त तक देखा गया। इसके बाद यह पक्षी विलुप्त हो गया। यह पक्षी मनुष्यों के साथ मित्रवत रहता था। इसके उडऩे की क्षमता नहीं थी। इसका अत्यधिक शिकार किये जाने के कारण यह पक्षी विलुप्त हो चुका है। अब यह मात्र चित्रों में ही दिखाई देता है। इसी प्रकार गिद्ध भी अब विलुप्त होने की कगार पर है। बताया कि गौरेया भी तेजी से विलुप्त होने की कगार पर है। अगर अभी भी हम प्रकृति के प्रति सचेत नहीं हुये तो धीरे-धीरे करके यह सारे पक्षी हम अपने आने वाली पीढिय़ों को मात्र चित्रों में ही दिखा पायेंगे। इसलिये हमें प्रकृति के लिये प्रतिदिन 5 मिनट अवश्य देना चाहिए। साथ ही उन्होने यह भी आवाहन किया कि प्रत्येक व्यक्ति कम से कम एक पौधा अवश्य लगाये और उसे वृक्ष होने तक उसकी देखभाल अवश्य करें। इस मौके पर विद्यालय से आये छात्रों के बीच इस अवसर पर चित्रकला एवं निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें प्रशान्ति एज्यूकेशन एकेडमी तथा प्रशान्ति विद्यामंदिर के लगभग 60 छात्रों ने प्रतिभाग किया। निबन्ध प्रतियोगिता में हर्षिता पंथ कक्षा-5 प्रथम, नैतिक साहू कक्षा-8 द्वितीय, ऋषभ मिश्रा कक्षा-6 तृतीय तथा चित्रकला प्रतियोगिता में शिव प्रजापति कक्षा-5 प्रथम, सर्वज्ञ जैन कक्षा-5 द्वितीय, हर्शिता पंथ कक्षा-5 तृतीय स्थान पर रहे। इन विजयी बच्चों को पुरूस्कार वितरित किये गये, साथ ही अन्य बच्चों को सान्त्वना पुरूस्कार भी दिये गये। पूरे ललितपुर जनपद में प्रकृति प्रेमी, जो पर्यावरण में रूचि रखते है, ऐसे 28 लोगो को चिन्हित कर पक्षी मित्र बनाया गया तथा उन्हे पक्षी मित्र का पहचान पत्र भी इस मौके पर वितरित किये गये। अन्त में सभी प्रतिभागियों को पक्षियों के संरक्षण हेतु लगभग 150 घोंसले वितरित किये गये।

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