अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। विश्व विरासत दिवस के मौके पर इन्टैक ललितपुर चैप्टर द्वारा कला भवन में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ अपर जिलाधिकारी लवकुश त्रिपाठी व कलाविद ओपी बिरथरे ने मां सरवस्वती का पूजन एवं दीप प्रज्जवलित कर किया। मुख्य अतिथि बजाज पावर प्लांट के महाप्रबन्धक राजीव श्रीवास्तव, विशिष्ट अतिथि प्रदीप जैन रहे। अध्यक्षता इन्टैक संयोजक सन्तोष कुमार शर्मा ने की। अपर जिलाधिकारी लवकुश त्रिपाठी ने हम और हमारी विरासत पर व्याख्यान देते हुए कहा कि हमारा देश प्राचीन धरोहरों से समृद्ध रहा है। विश्व विरासत दिवस विरासत बनाने वालों को समर्पण, उन्हें याद करने, और उनसे सीख लेने तथा उन पर गौरवान्वित होने का दिन है। हमारे पूर्वजों ने देश, काल, परिस्थितियों के अनुरुप अपनी कला-संस्कृति एवं विरासतों का सृजन किया। इन विरासतों में शामिल हमारी मूर्तियां या चित्रकारी मात्र कला नहीं है बल्कि इनमें हमारे पूर्वजों की भावनायें उनकी अंतरात्मा का अहसास आज भी है। हमें इन विरासतों पर गौरवान्वित होने और सीख लेने की जरुरत है। मुख्य अतिथि राजीव श्रीवास्तव महाप्रबन्धक बजाज पावर ने कहा कि हमारी भाषा भी हमारी विरासत का महत्वपूर्ण भाग है। कभी हमारा देश शिक्षा में इतना अग्रणी था कि हम विश्व गुरु कहलाते थे। हमारी प्राचीन भाषा संस्कृत को आज सबसे वैज्ञानिक भाषा माना गया है और आज के सुपर कम्प्यूटर के लिए यह सबसे उपयुक्त मानी गयी है। भविष्य में आने वाला कल संस्कृत का होगा और हमें अपनी युवा पीढ़ी को इसका उचित ज्ञान कराना आवश्यक है। विश्ष्टि अतिथि प्रदीप जैन ने कहा कि हमारे पास नालंदा विश्वविधालय उस समय था जब आज का पश्चिम सभ्यता की एबीसीडी पढ़ रहा था। उन्होनें कहा कि हमें इन्टैक जैसी संस्थाओं का साधुवाद करना चाहिए जो विरासतों के संरक्षण के लिए कार्य कर रही हैं। इस अवसर पर इन्टैक संयोजक सन्तोष कुमार शर्मा ने प्राचीन विरासतों को बचाने, संजोने तथा विकसित किये जाने हेतू सभी से अपनी सशक्त भूमिका का निर्वहन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह कार्य अकेले कोई संस्था या कोई सरकार नहीं कर सकती इसमें देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी सक्रिय सहभागिता करनी होगी तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ी को समृद्ध विरासत से रुबरु करा पायेगें। जाने माने कलाविद् ओ पी बिरथरे ने अपने आस-पास की विरासतों को पहचानने और उन्हें संजोने की अपील की। कार्यक्रम में इन्टैक के डॉ. दीपक चौबे, मनोज पुरोहित, फिरोज इकबाल, मनीष पटवारी, कलाविद महेश बिरथरे ने धरोहरों के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर कला प्रशिक्षु, इन्टैक सदस्य व अन्य जन मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन कर रहे बृजमोहन संज्ञा ने 5 दशक पहले के कुछ अपने संस्मरण सुनाकर उपस्थित समूह को व्यंग्यात्मक लहजे में विरासत के महत्व को समझाया । इस अवसर पर कला प्रशिक्षुओं ने विरासतों पर चित्र बनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंत में डा.दीपक चौबे व मनोज पुरोहित ने उपस्थित जनों का आभार जताया।
फोटो-पी4 कैप्सन- विश्व विरासत दिवस पर संबोधित करते अतिथि