महिलाओं ने भगवान गोवर्धन की पूजा कर मनाया अन्नकूट पर्व

0
74

 

अवधनामा संवाददाता

कुशीनगर। जनपद के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बुधवार को गोवर्धन पूजन कर अन्नकूट पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर भोर में दरिद्र भगाने के साथ महिलाओं ने परम्परागत तरीके से गोवर्धन कूटने की रस्म पूरा करते हुए पूजन अर्चन कर भगवान श्रीकृष्ण अन्नकूट का भोग लगाया। शनिवत की भोर में उठी महिलाओं ने सबसे पहले सूपा को कंडा से पीटते हुए घर से दरिद्र भगाया। इसके बाद गोबर से भगवान गोर्बधन की आकृति की पूजा की। बहनो ने भाइयो को श्राप देने और फिर उन्हे जिन्दा करने के साथ ही उनकी लंबी आयु की कामना की। जिले के पडरौना, तमकुहीरोड, कसया, हाटा, खड्डा, कप्तानगंज क्षेत्र के सभी गांवों में भैयादूज का पर्व बड़े उत्साह से मनाया गया। बहनों ने मांगलिक गीतों के साथ गोवर्द्घन पूजा की और अपने भाइयों की लंबी उम्र व सलामती के लिए दुआएं मांगी।
भगवान कृष्ण ने तोड़ा था इंद्र का घमंड
जानकार बताते है कि शास्त्रों में देव का अर्थ भगवान नारायण से है, जो छह मास तक विश्राम की अवस्था में होते हैं। इसके चलते कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता है। यह पर्व जीवन में रंग घोलती प्रकृति का छंटा हमारे त्योहारों के साथ कई युगों से अटूट कड़ी के रूप में जुड़ी है। यह पर्व प्रकृति जीवन में उल्लास के साथ पथ को आगे भी बढ़ाती है। इस कड़ी का हिस्सा है गोवर्धन पूजा। इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाया, तो लीला का उद्देश्य इंद्र के अभिमान को तोड़ने के साथ प्रकृति के महत्व के बारे में बताना था। कहा यह भी जाता है कि भगवान कृष्ण ने इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए ब्रजवासियों को गोवर्धन पूजा करने की सलाह दी थी। वहीं इस पर्व का शुभारंभ हुआ। उन्होंने बताया कि दूसरे पक्ष मे पहले बहने अपने भइयों को श्राप देकर मारती हैं और पुन: अपने श्राप से मुक्त कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह भाई बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है।
प्रेम व स्नेह का प्रतीक है भैया दूज
भैया दूज अर्थात यम द्वितीया को भाई व बहनों के बीच का प्रेम व स्नेह का प्रतीक है। दीवाली के दो दिन बाद पड़ने वाला यह ऐसा पर्व है जो भाई के प्रति बहन के स्नेह की अभिव्यक्त करता है और बहनें अपने भाई की खुशहाली के कामना करती है। इस दिन भाई बहन के घर जाते हैं और टीका आदि लगाते हैं। आज भी परंपरागत ढंग से यह त्योहार बहनें उत्साहित होकर मनाती हैं।
Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here