राजस्व विभाग व पुलिस महकमे के सहयोग से भू माफियाओं के हौसले बुलंद

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सत्ता के अधीन राजस्व विभाग व पुलिस विभाग के खिलाफ वकील  आंदोलन पर
कन्नौज छिबरामऊ। बीते दिनों से तहसील परिसर मैं आंदोलन पर डटे वकील  राजस्व विभाग के तहसीलदार व लेख पाल पुलिस महकमे के अधिकारियों का विरोध करते नजर आ रहे हैं वकीलों का आरोप है की हमारे साथियों के ऊपर पुलिस द्वारा फर्जी मुकदमे पंजीकृत किए गए हैं और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है जिसे बार एसोसिएशन किसी स्थिति में बर्दाश्त नहीं करेगा इस बात को लेकर तहसील परिसर में आंदोलन की प्रक्रिया को स्वरूप दिया है वहीं दूसरी तरफ वकील तनवीर अहमद के अनुसार उन्होंने एक जमीन का बैनामा करवाया था जिस पर वह काबिज भी थे और मुकदमा विचाराधीन था यथा स्थित का कोर्ट का आदेश था लेकिन सत्ता पक्ष के कुछ चुनिंदा लोगों ने पुनः उस जमीन का बैनामा करवा लिया जबकि तनवीर अहमद की माने तो जिस जमीन का बैनामा कराया गया बेचने वाले ने और जमीन का बैनामा अपने हिस्से की जमीन का पूरा पहले ही कर दिया था यह बैनामा ही अमान्य है
ऐसी स्थिति में जब यथा स्थित कायम थी  और क्रय विक्रय पर रोक कोर्ट के द्वारा लगाई गई थी तो फिर यह बैनामा कैसे हुआ यह तो सरासर कोर्ट का उल्लंघन है इस पर सत्ता पक्ष का दबाव नजर आया और वही देखने को मिला नवागंतुक बैनामा धारक ने सत्ता का रसपान करते हुए क्षेत्रीय लेखपाल बाथाना सौरिख प्रभारी की टीम को ले जाकर तनवीर अहमद की निहास खोद कर  फेंक दिया और आनन-फानन में जेसीबी से नींव खुदवा कर निर्माण कार्य शुरू कर दिया इस गैर कानूनी प्रक्रिया को देखकर तनवीर अहमद व उनके समक्ष जमीन वालों के खलबली मच गई और वह प्रशासन से गुहार करने पहुंचे तो उनकी एक न सुनी गई
इस बात से कुंठाग्रस्त होकर वकील तनवीर अहमद ने अपनी समस्या को बार एसोसिएशन की पटल पर रखा जिस पर वकीलों में आक्रोश पैदा हो गया और वह पुलिस विभाग के द्वारा फर्जी लिखे हुए मुकदमे बा वकील की जमीन हड़पने वालों के खिलाफ तहसील परिसर में आंदोलन पर उतर आए आंदोलन को देखकर उपजिलाधिकारी ने आनन फानन सौरिख नगर में चल रहे अवैध निर्माण पर तुरंत रोक लगाकर जांच के आदेश दिए गौरतलब यह मामला नगर में कोई पहली बार देखने में नहीं आया यह पहली बार इतना हाई प्रोफाइल इसलिए हुआ कि संगठन से जुड़ा हुआ था
अन्यथा नगर व क्षेत्र के जनमानस की माने तो यह भूमाफिया एक विशाल सत्ता रूपी वृक्ष के नीचे पल रहे हैं और इन्हीं की छोटी-छोटी शाखाएं एजेंट के रूप में दिनभर फेरी लगाकर विवादित जमीनों को खोज निकालते हैं और कमजोर वर्ग को मदद  बा सत्ता की हनक का आश्वाशन देकर अपने छोटे आका के सामने पेश कर देते हैं और फिर वही आका अपने विशाल वृक्ष की छाया में निर्णय लेकर -ओने पौने में जमीन का सौदा करते हैं अगर इसे गहनता से देखा जाए तो इसमें सीढ़ी दर सीधी सबकी अलग-अलग भूमिका नजर आती है जो की हर सीडी पायदान के रूप में अच्छी रकम हासिल करते हैं और उसके बाद जमीन पर कब्जा करवाना बा विपक्ष को हड़काने का काम आम जन मानस की माने तो पुलिस महकमे और क्षेत्रीय लेखपाल के साथ राजस्व टीम का होता है इसके बाद उस जमीन पर मलकाना हक भू माफिया का होता है क्षेत्रीय जनता के अनुसार अगर प्रशासन और सत्ता पर बैठे सत्ताधारियों ने इस मामले के साथ अन्य कब्जाई हुई जमीनों को संज्ञान में ना लिया तो कोई बड़ी बात नहीं वकीलों के साथ नगर के लोग भी विरोध में उतर आए ऐसा कहते हुए लोग नजर आए
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