एस.एन.वर्मा
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा है भारत के साथ स्थायी शान्ति चाहते है। युद्ध कोई विकल्प नहीं है, बात चीत के जरिये सारे मसले हल करने के पक्ष में है। जैसे उसे पार से ताजा हवा का खुशनुमा झोका आया है। पर गा़लिब के शेर की लाइन याद आती है खुशी से मर न जाते, यदि ऐतबार होता। क्योंकि पाकिस्तान की ओर से इस तरह के बयान कई बार आये है पर पाकिस्तानी कारवाई उनके शब्दो के विपरीत होती रहती है। जमीनी सच्चाई यह है कि विदेश, सुरक्षा जैसे मामले सेना अपने हाथो में ले रक्खी है नागरिक सरकार को इनसे वचिंत कर रक्खा है। सेना का भारत से दुश्मनी बनाये रखने में उनका निजी हित है। विदेश से मदद के नाम पर पैसा लेना और उसी के बल पर निजी ऐश की जिन्दगी बिताना नागरिक सरकार विरोध करेगी तो हटा दी जायेगी, सेना कोई अपने पिटठू को गद्दी पर येन केन प्रकरणे बिठायेगी चुनाव में धांधली करके या तख्तापलट कर के चुनी सरकार में दम नही कि इनका विरोध कर पायें। किसी ने थोड़ी भी आजादी दिखायी तो गद्दी से नीचे उतार दिया जाता है। दूसरी बात है पाक की ओर से शान्ति की बात कही जाती पर कार्यरूप में इसके विपरीत कारवाई होती है। आतंकियों को मदद दे भारतीय सीमा में घुसपैठ कराना। कश्मीरियों और गैरकश्मीरियों की हत्यायें कराना। संकल्प और सदइच्छा हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। जर्मनी दो भागों में बंट गया था, दोनो मिलकर एक हो गये, फलफूल रहे है। कई देश नये बने है, कई मिल भी गये है।
पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय मंचो पर बार-बार कश्मीर का मुद्दा उठाता रहता है। भारत ने कभी भी ऐसा नहीं किया। पाक का कहना है कश्मीर का मुद्दा जो मुख्य विरोध का जड़ बना हुआ है, यूएनओ के प्रस्ताव के अनुसार हल किया जाय पर वह यह क्यों भूल जाता है कि यूएनओ के बहुत बाद शिमला समझौता हुआ था। समझौते पर दोनो ने सहमति जताते हुये हस्ताक्षर किये थे कि कश्मीर मसला द्वीपक्षीय है दोनो मिलकर हल करेंगे।
भारत ने अपने कश्मीर की हालत में कई कदम उठाकर कई सुधार कर दिये है। 370 हटाकर भारत का सरमान्य राज्य बना दिया है। चुनावी माहौल तैयार करने में लगा है और चुनाव कराने की तैयारी चल रही है। स्थानीय नेता कुछ विरोध कर रहे है वह उनका निजी स्वार्थ है। नये सीमांकन से वहां के खानदानी शासको को अपना अस्तित्व खतरे में दिख रहा है। उसे बचाने में लगे है। उधर पाकिस्तान कश्मीर के कबिजाये हिस्से में जिसे आजाद कश्मीर कहता है और स्वतन्त्र राष्ट्र कहता है उसे अपना नया प्रान्त बनाने में लगा हुआ है। वहां की जनता विरोध कर रही है कहते है हम कश्मीरी है पंजाबियों के नीचे क्यों रहे है। पाकिस्तान वहां चुनाव कराता तो है पर ढोग ही होता है। चुने प्रतिनिधि कहते है हमारी हैसियत नगर पालिका चेयरमैन से भी बदतर है।
तथा कथित आजाद कश्मीर को लेकर पाक भारत के हिस्से के कश्मीर का सपना देखता है। पर जनता है अगर सैनिक हस्तक्षेप करेगा तो भारतीय सेना उनको रौद कर तथाकथित आजाद कश्मीर को अपने बिछड़े कश्मीरियों में मिला देगा। मतलब यह है कि अगर पाकिस्तान सचमुच भारत से दोस्ती चाहता है और सारे मसले बातचीत से हल करना चाहता है तो इससे सुखद बात क्या हो सकती है। पर पाक को अपने कारनामो से विश्वास दिलाना पडे़गा कि वह सचमुच शान्तिपूर्ण सम्बन्ध चाहता है। सौ बात की एक बात है पहले अपनी सेना को दोस्ती के लिये राजी करे। पाकिस्तान की अन्दरोनी हालत ठीक नहीं है। आर्थिक पहलू को छोड़ दे तो इमरान खान कुर्सी से हटने के बाद तरह तरह की अड़चने पैदा कर रहे है। जल्द चुनाव कराने की मांग को लेकर घरना, प्रदर्शन, अन्दोलन कर रहे है। कभी सेना की आंख के तारे रहे, उसी की कृपा से उन्हें कुर्सी मिली थी उसी की नाराजगी से कुर्सी भी गयी।
शाहबाज़ शरीफ को दिखना होगा कि सैन्य दबाव से मुक्त है या सेना की सहमति है उनके प्रस्तावों के लिये दोनो देशों का मेल स्वाभाविक है। क्योंकि दोनों की मिट्टी संस्कृति, खूनी रिश्ता कभी एक रहा है। अभी भी दोनो देशों के शायर मिलते है तो पुराने रिश्ते याद करते है। हम भारतवासियों की दिली कामना रहती है पाक फले फूले हमारी दोस्ती गहरी रहे। पाक की उन्नति भारत के लिये सकून होगा। दोनों देशों की दोस्ती एशिया में बड़ी शक्ति बन जायेगी।
सब कुछ शाहबाज के अगले कदमों से पता चलेगा। अगर सचमुच उनके कार्यकलाप दोस्ती वाले होते है, भारती सीमाओं पर घुसपैठ मंे रोक लगती है, कश्मीर प्रायोजित आतंकी हमले नही होते लोगो की आवाजाही के बीच में अड़गा नहीं लगता व्यापार की आवाजाही, में बाधायें नही आती तो शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व दोनो के लिये वरदान होगा। शाहबाज साहब आपके स्वागत योग्य बयान के लिये बधाई। भारत की शुभकामनायें आप अपने मक़सद में सफल हो नया इतिहास रचे। रिश्तों की बर्फ पिघले यही कामना है हर भारतीय की।