नबी की बेटी की शहादत पर आज मुसलमान क्यों ख़ामोश

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ये सवाल पूछा जाना चाहिए कि जवानी में ही असा का सहारा ले कर हज़रत ज़हरा को क्यों चलना पड़ा? क्यों नबी की इकलौती बेटी को रात के सन्नाटे में दफन किया गया? अगर आज के मुसलमानों के लिए इन सवालों के जवाब मिल जाएं तो दुनिया से मुश्किलें ख़तम हो जाएं-मौलाना हैदर अब्बास रिज़्वी

डुमरिजयागं सिद्धार्थनगर। शुक्रवार की शाम क्षेत्र के उपनगर हल्लौर स्थित इमाम बारगाह वक्फ शाह आलमगीर सानी में पैरवाने विलायत की जानिब से आयोजित तीन रोज़ा मजलिस की दूसरी मजलिस को लखनऊ से आये मौलाना सैय्यद हैदर अब्बास रिज़्वी ने खिताब किया। मजलिस से पूर्व अम्बर मेंहदी व हमनवा ने मरसिया पढ़ा। इस दौरान भारी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।

मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना सैय्यद हैदर अब्बास रिज़्वी ने कहा कि हज़रत ज़हरा ने उस दौर में ज़ालिम ताक़त के चेहरे पर पड़ी नकाब नोची आज हमारी ज़िम्मेदारी है के हम अपने दौर के जालिमों को पहचानें जिनमें आले सऊद को पहचानना ज़रूरी है साथ ही उनसे नफ़रत करना हमारा फ़र्ज़ है। आले सऊद ने कोरोना जैसी महामारी में भी यमनियों पर ज़ुल्म किए जो उनकी इंसान दुश्मनी को बताने के लिए काफ़ी है। मौलाना हैदर अब्बास ने कहा के आज पूरी दुनिया में नबी की बेटी का ग़म मनाया जा रहा है ज़रूरत है कि हम उनकी ज़िंदगी से मिलने वाली सीख को अपने समाज में पैदा करें।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ओ का नारा तो आज दिया जाता है लेकिन बेटियों के साथ जब अत्याचार होता है तो कोई बढ़ कर सहारा नहीं देता इस पर मौलाना हैदर अब्बास ने शासन प्रशासन से मांग की के आज आप को हमारे पैगम्बर की ज़िंदगी पढ़ने की ज़रूरत है जिन्होंने उस दौर में अपनी बेटी फातेमा का एहतराम किया जब बेटियां ज़िंदा दफनाई जा रही थीं। मौलाना हैदर अब्बास ने एक घंटे से ज़्यादा के बयान में जब बीबी ज़हरा की मुसीबत बयान की तो छोटे बड़े सभी ने आंसू बहाए। मसाएब के बाद मौलाना ने मुल्क में शांति की दुआ कराई और ज़ालिम ताक़त के ख़तम होने के लिए दुआ मांगी। बताते चलें के अब से कोई १४०० साल पहले नबी की बेटी फातेमा ज़हरा को शहादत मिली जिसकी याद में शिया समुदाय उनको आज भी याद करता है। मजलिस को कामयाब बनाने में मजलिस को कामयाब बनाने में सीमाब, मुस्तकीम, इंतेख़ाब, हसन अब्बास, शब्बन, इरशाद, सैफ, कैफ का विशेष योगदान रहा। इस दौरान मौलाना मोहम्मद हसन, मौलाना महफूज़ हुज्जत, तशबीब हसन, ताकीब रिज़्वी, डॉ नायाब हैदर, अलमदार हुसैन सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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