एसएनवर्मा
इस समय वैमानिकी क्षेत्र में हर तरफ हंगामा है। मालिक और कम्पनियों में विलयका हंगामा है, कमर्चरियों में हर कम्पनी में मिलने वाले वेतन, सेवाशर्तो, विभिन्न सेवा संस्कृति को लेकर हंगामा है। यात्रियों में कर्मचारियों के हड़ताल से बैकल्पिक विमान सेवा न मिल पाने और ऊंचे किराये को लेकर हंगामा है। टाटा ग्रुप अपनी चार कम्पनियों एयर इन्डिया एक्स प्रेस और एआईएक्स तथा विस्तारा और एयर इन्डिया के विलय में लगी हुई है।
एयर इन्डिया एक्सप्रेस कैरियर्स एचआर पालसी में लाये जा रहे परिवर्तन का विरोध कर रही है। सीनियर केबिन क्रु अपने के हटा लिया है। कैरियर नेटवर्क में अव्यवस्था आ गयी है। उड़ाने रद्द हो रही है। कुछ रोज पहले एयर इन्डिया के कर्मचारियों ने एयर इन्डिया चेयरमैन को प्रबन्धक को लेकर और व्योहार में कर्मचारियों से भेदभाव करने का पत्र लिखा था। इसे लेकर एयर इन्डिया एक्सप्रेस ने सीनियर केबिन के कुछ सदस्यों की सेवायें समाप्त कर दी। एयर इन्डिया प्रबन्धक मामले के जांच करने का आश्वासन देकर हड़ताल खत्म कराई। सहयोगी कम्पनी एयर इन्डिया एयर इन्डिया एक्सप्रेस की मदद कर रही है पर एक बार 85 उड़ाने कैन्सिल करनी पड़ी थी। दूसरे दिन 80 फ्लाइटे कैन्सिल हुई थी। यात्रियों की परेशानी समझी जा सकती है। क्योकि उन्हें कोई हवाई विकल्प नहीं मिल रहा था। अप्र्रैल में गु्रप कम्पनी विस्तारा ने पायलटों के छुट्टी पर चले जाने की वजह से 150 फ्लाइटे कैन्सिल कर दी थी।
चूकि विलय हो रही कम्पनियों में सैलरी स्ट्रक्चर, की रीबैलेन्सिग का काम होना है जो विजनिस डेसिजन गु्रप का आन्तरिक मामला है। पर इसका असर उड़ानों पर पड़ रहा है भुगत यात्री रहे है। दिन पर दिन विमान यात्रा बढ़ता जा रहा है पर विमानों की संख्या कम होती जा रही है। जनवरी मार्च की तिमाही में डोमेस्टिक एवीएशन मार्केट में 90 प्रतिशत हिस्से पर इन्डिगों और टाटा ग्रुप एयरलायन्स का कब्जा दिखता है। एवियेशन मार्केट पर दो बड़े खिलाड़ियों का वर्चस्व के लिये प्रतिस्पर्ध गला काट है। कम्पटीशन के लिहाज से यह शुभ नहीं है। विमान किराया के बढ़ोत्तरी पर कम्पनियों की मनमानी चल रही है। ग्राहकों के लिहाज से यह अच्छी स्थिति नहीं है। क्योेकि किराया कम होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे है।
ऊंचे किराये और मुनाफा के तगड़ी सम्भावना की वजह से यात्रियों को हो रही परेशानी की स्थिति को स्वीकार करना नामुमकिन है। एवीयेशन रेगुलेटर डीजीसीए को कम्पनियों से यह सुनिश्चित करवाना चाहिये। कम्पनियांें की आपसी प्रतिस्पर्धा क्रू की हड़ताल आदि से यात्रियों को परेशानी में न डाला जाये। कम्पनियों और क्रू का आपसी मामला है। दोनो के बीच यात्रियों को पीसना बन्द किया जाये। उडाने रद्द होती है तो कम्पनियों पर शर्त लगाई जाय वे बैकल्पिक व्यवस्था यात्रियों के लिये करें। इस तरह की लड़ाई और प्रतिस्पर्धा में एवीपेशन में कोई नयापन ला पाना नामुकिन है। स्वच्छा प्रतिस्पर्धा और यात्रियों का हित ही सर्वापरि होना चाहिये। प्रबन्धन बदलाव को स्मूथ बनाये। विलय को बाधारहित बनाये। इनका आपसी तनाव यात्रियों के लिये परेशानियां पैदा करने से बाज आये। हंगामा की स्थिति हर हालत में बन्द होनी चाहिये।