एस.एन.वर्मा
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माहौल में इस समय तल्खी तो पहले से ही रही नुपुर शर्मा की टिप्पणी ने उसमें घी डालने का काम कर दिया। उनकी टिप्पणी ने इस्लामिक देशो में भारत के खिलाफ हलचल पैदा हो गई। अन्तरराष्ट्रीय एजेन्सीयों ने कुछ नर्म लहजे में विरोध जताया। भारत ने डैमेज कन्ट्रोल के तहत भाजपा के दोनो प्रवक्ताओं को निकाल दिया और धुन्ध साफ किया। यह कहके कि यह भारत सरकार का अधिकारिक मत नहीं है। बाहर तो तहलक में कमी आई और इस्लामिक और अरब मुल्क नर्म हुये। पर देश क माहौल विषाक्त हो उठा जगह-जगह बयान के पक्ष में और विपक्ष में प्रदर्शन हो रहे है। लोग सड़को पर निकल कर पक्ष विपक्ष में प्रदर्शन कर रहे है। तोड़फोड़ कर रहे है आगजनी कर रहे है। राजनैतिक दल भी माहौल बिगाड़ने में पीछे नहीं है। नुपुर के बयान को लेकर सरकार और भाजपा पर लगातार हमला कर रहे है।
नुपुर पर कही जगहो पर केस रजिस्टर हुये है। नुपुर ने सुप्रीमकोर्ट से वकील के माध्यम से अपील की कि सारे मुकदमे एक जगह कर दिये जाय और इसकी सुनवाई दिल्ली में की जाये। नुपुर शर्मा के पक्ष में जो लोग टवीट कर रहे है बयान दे रहे है उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। कुछ जगहो पर दो एक कत्ल हुये भी है। विरोध थमने का नाम ही नही ले रहा है। मुस्लिम बिरादरी बहुत ज्यादा अक्रोशित है। पैगम्बर पर की गई टिप्पणी उन्हें बरदाश्त नही हो रही है। धार्मिक टिप्पणियों तो घर्मो पर होती रही है पर इतनी तल्खी देखने को नही मिलती है। पहले एक दो जगह प्रदर्शन पथराव, आगजनी लूटपाट होते थे। आज तो जहां देखिये सुनिये छोटे बड़े प्रदर्शनो की बाढ़ सी आ गयी है। विदेशी एजेन्सियों के हाथ को नकारा नहीं ज सकता। जांच में कुछ सूत्र इसके भी मिल रहे है।
नुपुर शर्मा के वकील ने कोर्ट से दखवास्त की है कि नुपुर शर्मा को जान को खतरा है इसलिये उनके खिलाफ दायर सारे मुकदमों को एक करके दिल्ली में सुनवाई की जाय क्योकि नुपुर शर्मा के जान को खतरा है इसलिये उनके खिलाफ दायर सारे मुकदमो को एक करके दिल्ली में सुनवाई की जााय क्योंकि नुपुर शर्मा के जान के खतरा है। कोर्ट बहुत तल्ख हो गया उसने टिप्पणी की नुपुर शर्मा खुद इस हाल के लिये जिम्मेदार है वह खुद दूसरो के लिये खतरा बन गई है। कोर्ट की बात चुमन बाली भले ही पर सच तो है।
विभिन्न पदो पर बैठे लोग राजनैतिक पार्टियों के लिये नियुक्त किये गये लोगो को अपने जिम्मेदारी की गम्भीरता को समझनी चाहिये और सोच समझकर बोलन चाहिये खासकर जब भी मिडिया जनता के सामने बोल रहे हो। कोई गलत बात निकल जाय तो सावर्जनिक रूप से माफी मांग लेने में न कोई हेठी है न बुझाई बल्कि यह उनका बड़प्पन माना जायेगा। कोर्ट का भी कहना है कि नुपुर शर्मा टीवी के सामने आकर सबसे माफी मांगे। मोदी तक किसी को उनकी वजह से असुविधा हो जाती है यह कुछ तल्ख आचोलना हो जाती है तो आम माफी भाग लेते है। यह उनके बड़प्पन को जाहिर करता है। नुपुर शर्मा पार्टी में तो कुछ है नही फिर वह माहौल ठन्डा करने के लिये माफी मांगने में देर क्यो हो रही है। अगर चर्चा में बने रहने की ललक हो तो यह चर्चा उन्हें नेकनामी नही बदनामी देगी।
सवाल यह है कि अब सरकार ने यह कहकर स्पष्ट कर दिया कि नुपुर शर्मा का बयान पार्टी या सरकार का अधिकारिक बयान नही है तो विदेश तो शान्त हो गया पर देश में क्यों खलबली मची हुई है। बात साफ है इसे लेकर राजनीति हो रही है। विपक्ष में दरर्वास्त है महौल को शान्त करने में सहयोग दे। विपक्ष सरकार में रहे या न रहे सरकार से कम उसकी जिम्मेदारी नही होती है। विपक्ष में बहुत योग्य और प्रभावशाली नेता है वे अपनी बुद्धि और प्रभाव का इस्तेमाल क्यों नही कर रहे है। एक मुंख्यमंत्री का एक बयान आया है केन्द्र सरकार के लिये कि हमारी सरकार हम पर हाथ डाल तो हम उनकी सरकार को उखाड़ देगे। हालाकि इसके लिये विपक्ष की अगुवाई करने की पहल कर चुके है पर अभी तक तो नाकाम है। ऐसे जिम्मेदार लोगो का इस माहौल में इस तरह का बयान शोभा नही देता है न तो यह देश या राज्य की सेवा है।
हेट स्पीच को लेकर कोर्ट बहुत सख्त रहा है। सुप्रीमकोर्ट के सख्त रूख की वजह से आप को याद होगा। उत्तराखन्ड में भाजपा सरकार ने दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई की थी। इस समय इसी तरह के रवैये और कारवाई की जरूरत है। अगर दोष सही पाया जाय तो दोषी के खिलाफ सख्त कारवाई हो जिससे अपराध करने वाले डरे। जिस बात या जिस कार्य से माहौल खराब होगे की आंशका हो उस पर कोर्ट, सरकार, और विपक्ष को तुरन्त कारवाई कर रोक देनी चाहिये। विपक्षी इसका फायदा उठाने से बचे। क्यों कि देश उतना ही उनका है जितना सरकार पक्ष का प्रशासन को अतिरिक्त सतर्कता दिखानी होगी और बिना दबाव और पक्षपात के उचित कार्यवाई करनी चाहिये। इनकी जिम्मेदारी इन्ही की बनती है। क्योंकि सरकार तो कानून बनाती है कोर्ट उसकी सही व्याख्या कर फैसला देता है। प्रशान उन कानूनो को हर स्तर पर लागू करवाता है। इसलिये इनकी भूमिका देश के अमन चैन में अहम है।