अवधनामा संवाददाता हिफजुर्रहमान
मौदहा – हमीरपुर –मोहल्ला हुसैन गंज स्थित खानकाह निजामिंया में ईद मिलादुन्नबी के मुबारक मौके पर आल इंडिया नातिया मुशायरे का आयोजन किया गया जिसकी सदारत गफ्फार अहमद निजामी और हाजी इफ़तेखार अहमद ने व संचालन शायर मसीह निज़ामी ने की मुशायरे का आगाज पवित्र कुरआन की तिलावत से हुआ इस बाद शकील कुरैशी झांसी ने हम्द पढ़ी और पूरी रात नातिया कलाम पढ़े गये.फहीम पिहानवी ने अपना कलम यू पढ़ा ”
सभी अम्बिया से आला है मकाम मुस्तफा का।
जो खुदा के बाद आय है वो नाम मुस्तफा का ”
शकील कुरेशी झांसी का ये शेर बहुत पसंद किय़ा गया
वो किस्मत का सिकंदर हो गया है जिसे इश्के पयम्बर हो गया है ”
यावर मौध्वी का शेर था ”
नबी के इश्क ने अंदाज़ वो दिया यावर -बिलाल ने जो कही वो अज़ान खुशबू दे ”
शायर मुजहेदुल इस्लाम मऊ का शेर बहुत पसंद किय़ा गया ”
पर बिछाते है फरिश्ते शौक से आकर वहा -बात होती है जंहा पर सय्यदे अबरार की ”
संचालन कर रहे मसीह निज़ामी ने पढ़ा “,ऐ मसीह नाते मुस्तफा लिखने बैठे तो पता चला
वसफे मुस्तफा न हो सकी शेर बेशुमार हो गये ”
ज़िया ग़ाज़ीपुरी ने पढ़ा “रहमते दो आलम का फ़ैज़ है ज़िया तुम पर -तेरी नात सुन सुन कर लोग झूम जाते हैँ ” ताज निज़ामी में पढ़ा “जिनकी आमद से जग हुआ रौशन उस हबीबे खुदा की बात करें “, आदिल हिरा मऊ का ये शेर पसंद किय़ा गया “फरिश्तों की नजरें हैँ कागज़ कलम पर -मैं कागज़ पे सल्ले अला लिख रहा हूँ ” फैसल रशीदी लखनवी ने पढ़ा “जिस ज़माने में पैदा हुये मुस्तफा – उस ज़माने से बेहतर ज़माना नहीं ” ईसर अहमद आगरा ने पढ़ा ” देखा न कोई सय्येदे अबरार की तरह – सरकार की तरह मेरे सरकार की तरह “,
मुशायरा बड़ी कामयाबी के साथ पूरी रात चलता रहा और श्तोताओ ने सभी शायरों को खूब दाद से नवाजा