अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। कौमी एकता की प्रतीक संस्था हिन्दी ऊर्दू अदवी संगम के तत्वावधान में वीरंगना महारानी लक्ष्मी वाई के 164 वें बलिदान दिवस पर बरिष्ट कवियत्री सुमनलता शर्मा चांदनी की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन का आपोजन किया गया। सर्वप्रथम रानी झांसी के चित्र माल्प अर्पण कर उपस्थित सभी कवियों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का आयोजन रामप्रकाश शर्मा के निवास पर आयोजित किया गया। इसमें संस्था के अध्यक्ष रामकृष्ण कुशवाहा एड. ने संचालन करते हुए कहा हंसते-हंसते वतन पर जिस ने लुटा दी जवानी है, मरते दम तक अंग्रेजों से कभी हार ना मानी है। चूडिय़ों वाले हाथों ने जब भी तलवार उठाई है। हिंदुस्तान की नारी बन गई झांसी की रानी है। रामस्वरूप नामदेव अनुरागी यह खूबसूरत गीत पेश करते हुए कहां शेष है और बंदूकों से भी डरी नहीं वो रानी खूब लडी मर्दिनी वो तो झांसी वाली रानी थी। मंजू रानी बरखा ने खूबसूरत रचना पेश करते हुए कहा नाजुक हाथों में तलवार नहीं थमती कमजोर हौसलों से फतह नहीं होती। प्रशांत श्रीवास्तव की दो श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि जिनके सुंदर सर सरहदो से बिखबर जाते हैं। बो ही सुबह भी लालियों में बिखर जाते हैं। अशोक क्रांतिकारी ने क्रांति की रचना पेश करते हुए कहा जिन्होंने देश के लिए जान दी वह शहीद हो गए और जिन्होंने देश की जान ली वह अमीर हो गए। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कवि काका ललितपुर ने शेर पढ़ते हुए कहा बचपन से ही रानी में शौर्य वीरता भी हिला दिया। अंग्रेजों को ऐसी दृढ़ता भी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही वरिष्ठ कवियत्री महिला शक्ति सुमनलता शर्मा चांदनी ने कहा कि लक्ष्मी बाई का अवतार हो शोर्य बीरता साहस जिसमें भरा अपार। उपस्थित कवियों में एम.एल.भटनागर मामा, किशन सिंह बंजारा, राधेश्याम ताम्रकार, मनीष कुशवाहा, राकेश राठौर, सोमू कटारे, श्याम शर्मा, बृजेश श्रीवास्तव, जीवन झा, राजाराम खटीक एड., बृजेश श्रीवास्तव आदि ने अपनी झांसी रानी के बलिदान दिवस पर अपनी देशभक्ति से उठकर उठ कविता पाठ किया। जिससे उपस्थित लोगों ने खूब सराहा। कार्यक्रम के अंत में रामप्रकाश शर्मा ने सभी का आभार जताया।