अवधनामा संवाददाता
गरीब अपने आप मंदिर आ जाता है और अमीर को बुलाना पड़ता है:- मुनिश्री सुधासागर
धर्म सभा में मुनि श्री ने श्रद्धालुओं को व्यसन त्याग कर धर्म के मार्ग पर चलने का किया आवाहन
ललितपुर। देवोदय तीर्थक्षेत्र देवगढ़ में विराजमान निर्यापक श्रमण मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए आवाहन किया कि आप सभी व्यसनों को त्यागकर धर्म के मार्ग पर चलें तो सब मंगल होगा। उन्होंने अमीरों को नसीहत देते हुए कहा कि अमीरों को मंदिर बुलाना पड़ता है जबकि गरीब अपने आप मंदिर आ जाता है। पुण्य कर्म के उदय से गरीबों के पास जब जब पैसा बढ़ता है वह अमीर हो जाता है और जब जब पैसा बढ़ता है आप लोगों के खर्चे बढ़ जाते हैं। इसके साथ ही वह धर्म के मार्ग से भटक कर सांसारिक सुखों में खो जाता है। संसारी जीवो के यहां जब-जब अमीरी बढ़ती है तब तब वह कम सोचते हैं और ज्यादातर बुरा ही सोचते है। अमीरी बढ़ने पर बुराई आती ही आती है अच्छाई बहुत कम आती है । अमीरों के चारों तरफ जितने दोस्त हैं सब गंदे लोगों के बुरे विचार वाले होते है, जो दोस्तों के पूरा गंदा खानपान वाले होंगे । अब जब सारे दोस्त भी अमीर आदमी के गंदे पड़ जाएंगे तो अमीर आदमी क्या करेगा । यह तो वहीं कहावत हो गई करेला और नीम चढ़ा । वह स्वयं ही गंदा है और दोस्त भी वैसे ही हैं तो और गंदगी और गंदे विचार आएंगे और गंदा कार्य करेंगे। हमारे आचार्य महाराज ने लिखा है कि जब आपका परिवार अच्छा है तो आपको यह करना है कि आपको अच्छे दोस्त बनाना है, अच्छे लोगों की संगति करनी है। गरीब और दुखी लोगों के कर्म तो उसे मंदिर बुला लेते हैं लेकिन अमीरों को मंदिर बुलाने के लिए कुछ ऐसा करना पड़ता है कि वह मंदिर आ जाएं । क्योंकि अमीर मंदिर आने से कतराते हैं और गरीब अपने आप ही मंदिर आ जाता है । आज अमीर आदमी की पहचान अय्याश के रूप में बनी हुई है, गंदे लोगों के रूप में बनी हुई है और यह पहचान उन्होंने व्यशनों में रम कर खुद बनाई है। आचार्य उमा स्वामी ने कहा है कि अमीर आदमी तो नर्क जाया जाएगा ही । कलयुग में उपदेश की जरूरत गरीबों को नहीं बल्कि अमीरों को है। क्योंकि गरीब व्यसनों की तरफ जाता ही नहीं। यदि आपका मंदिर आना आपकी अमीरी के कारण छूट रहा है तो ध्यान रखना कि अगले भव में आप गरीब ही पैदा होगे। उन्होंने अमीरों को नसीहत दी कि तुम्हें अपने दोस्त भी ऐसे बनाने हैं, जो धर्म की राह पर चलते हो। आमिर अपने दोस्तों मित्रों के साथ हमेशा व्यसनों में बुरे कामों में बुरी सोच में रामा रहता है, इसीलिए अमीरों को उस बुरी सोच से बाहर निकालने का काम करना है। उन्होंने श्रद्धालुओं को नसीहत देते हुए आवाहन किया कि नए साल की शुरुआत आप किसी तीर्थ वंदना से करना, किसी अपने साधु की संगति में पूरा दिन व्यतीत करना। इसके साथ ही आप भक्तांबर पढ़कर नए वर्ष की शुरुआत करना आपका नया साल बहुत अच्छा व्यतीत होगा और सब मंगल होगा।