79th Independence Day 2025 History 15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। यह दिन अनगिनत बलिदानों का प्रतीक है। लॉर्ड माउंटबेटन ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण को याद करते हुए 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में चुना। ब्रिटिश संसद ने इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के तहत इस तारीख को मंजूरी दी। पढ़ें आजादी की तारीख तय होने का दिलचस्प किस्सा
भारत आज अपनी आजादी का 79वां सालगिरह मना रहा है, एक ऐसा दिन जो अनगिनत बलिदानों और संघर्षों की गाथा समेटे हुए है। 15 अगस्त 1947 को देश ने ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाई, लेकिन इस ऐतिहासिक तारीख के पीछे की कहानी उतनी ही जटिल है जितनी स्वतंत्रता संग्राम की यात्रा।
आखिर 15 अगस्त को ही आजादी का दिन क्यों चुना गया? और इस निर्णय में लॉर्ड माउंटबेटन की क्या भूमिका थी? आइए, जानते हैं उस ऐतिहासिक पल की अनकही कहानी, जिसने भारत के भविष्य को नई दिशा दी।
भारत की आजादी की लड़ाई काफी लंबी रही और इसके लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान को दांव पर लगा दिया। भारत में स्वतंत्रता सेनानियों ने साल 1930 में ही आजादी का ऐलान कर दिया था, लेकिन हमारे वतन को पूरी आजादी 15 अगस्त 1947 में मिली थी। मगर आजादी की तारीख 15 अगस्त ही क्यों, क्या इसकी कोई वजह थी?
आजादी के लिए कैसे तय हुआ 15 अगस्त?
फ्रेंच लेखक डॉमिनिक लापियरे और लैरी कॉलिंस ने अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में भारत के स्वतंत्र होने की तारीख के बारे में जिक्र किया है। किताब में लिखा गया है कि कई बैठकों के बाद जब तत्कालीन गर्वनर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन भारत की आजादी को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे तब उनसे सवाल पूछा गया कि क्या वो भारत की आजादी की तारीख तय कर चुके हैं?
इस सवाल के लिए गवर्नर जनरल माउंटबेटन तैयार नहीं थे, लेकिन उन्होंने सोचा कि इसका जवाब देना जरूरी है और झटपट उन्होंने एक तारीख सोचने के लिए दिमाग पर जोर डाला।
उस वक्त गर्वनर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन की जेहन में याद आ रहा था 15 अगस्त 1945 का वो दिन, जब जापान ने दित्तीय विश्व युद्ध में अपना आत्मसमर्पण उन्हें सौंपा था। माउंटबेटन द्वितीय विश्व युद्ध में दक्षिण-पूर्व एशिया कमान के सर्वोच्च सहयोगी कमांडर थे।
उन्होंने ही द्वितीय विश्व युद्ध के आखिर में जापान के आत्मसमर्पण को कबूल किया था। ये दिन माउंटबेटन अक्सर याद किया करते थे और इसे याद करते ही उनका सीना गर्व से फुल जाता था। इसके बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 की तारीख तय कर दी। ये तत्काल लिया गया फैसला था।
क्या था इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट?
गर्वनर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन के एलान के बाद ही ब्रिटेन की संसद ने ‘इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947’ में माउंटबेटन की ओर से तय किए गए तारीख को मंजूर कर लिया। हमें आजादी ‘इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947’ के तहत मिली थी।
एक्ट को ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों से 18 जुलाई 1947 को पास कराया गया था। इस एक्ट के तहत 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश सरकार भारत से अपना उपनिवेश खत्म करने वाली थी।
ब्रिटिश उपनिवेश के दौरान भारत में ब्रिटेन सरकार का एक प्रतिनिधि होता था जिसे भारत में वायसराय के तौर पर नियुक्त किया जाता था। तब ब्रिटिश शासन के दौरान एक परंपरा थी कि जो भारत का वायसराय होगा वही भारत का गवर्नर-जनरल भी होगा।
ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने ‘इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947’ को पास किया था। इसके एक्ट के मुताबिक भारत पर ब्रिटिश उपनिवेश को खत्म कर इसे दो डोमिनियन में बांटा गया। इन दो डोमिनियन का नाम भारत और पाकिस्तान था।
डोमिनियन का मतलब किसी राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर प्रतीकात्मक तौर से आधिपत्य जाहिर करना होता है, हालांकि इसी एक्ट में भारत और पाकिस्तान को ये शक्ति भी दी गई थी कि वे डोमिनियन स्टेटस न अपनाकर संप्रभु राष्ट्र बन सकते हैं।
भारत और पाकिस्तान को इस एक्ट की सभी शर्तों को खारिज करने का भी विकल्प दिया गया था, हालांकि हमारा संविधान जब तक बनकर तैयार नहीं हो गया तब तक गवर्नर-जनरल के पद को खारिज नहीं किया गया।
भारत 15 अगस्त 1947 से लेकर 26 जनवरी 1950 तक ब्रिटेन का डोमिनियन बना रहा। इसके बाद भारतीय संविधान लागू हो गया और इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट की शर्तों को खारिज कर दिया गया। वहीं दूसरी ओर हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान 1956 तक ब्रिटेन का डोमिनियन बना रहा।