माँ के पाओ दबाकर जब मज़दूरी करने जाता हूँ,इतने पैसे मिल जाते है मुट्ठी कम पड़ जाती है- डॉ नवाज़ देवबंदी

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अवधनामा संवाददाता

इतनी प्यारी है मुझें अपने वतन की मिट्टी,हो क़यामत भी तो हिजरत नहीं करने वाले- मंज़र भोपाली

प्रदर्शनी पंडाल में हुआ कुल हिन्द मुशायरा
डीआईओएस ने किया मुशायरे का शुभारंभ

इटावा। सर्द रात,घने कोहरे का समय और देश-विदेश के मशहूर शायरों की मौजूदगी में कुल हिन्द मुशायरे का आयोजन इटावा महोत्सव एवं प्रदर्शनी के खूबसूरत पंडाल में किया गया,जिसमे देश के कोने-कोने से आये नामचीन शायरों ने शानदार गजलो के साथ-साथ शायरी के ऐसे जौहर दिखाए कि पंडाल में उपस्थित श्रोता देर रात तक मुशायरे का आनंद लेते रहे और शायरों के कलाम पर वाह-वाह कह कर तालियों से उनकी हौसला अफजाई करते रहे।इस बार मुशायरे का आगाज़ समय पर हो गया था और अपने समय पर ख़त्म हुआ।
मुशायरे की अध्यक्षता देश के विख्यात शायर नवाज़ देवबन्दी ने की।
अखिल भारतीय मुशायरे का शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार ने मंच पर शमा रोशन करके किया।एसएसपी संजय कुमार पत्नी सहित मंचासीन रहे और फ़रमाइशी गजलों का ख़ूब लुत्फ उठाया।अखिल भारतीय मुशायरे के संयोजक सईद नक़वी,सह संयोजक गुफरान अहमद प्रधानाचार्य इस्लामिया कालेज ने मुख्य अतिथि डीआईओएस,एसएसपी और उनकी पत्नी के अलावा शायरों का बैज लगाकर स्वागत किया।

कुल हिन्द मुशायरे में देश के नामी-गिरामी शायरों ने कुछ इस तरह कलाम पढ़ा…
बहुत मज़ाक उड़ाते हो तुम गरीबों का, मदद तो करते हो तस्वीर खींच लेते हो।
एक आँखों के पास है एक आँखों से दूर,
बेटा हीरा होता है बेटी कोहिनूर।
माँ तो हर एक औलाद को मिलती है अच्छी,पर हर माँ को हर औलाद अच्छी नहीं मिलती।
रूखी-सूखी खाकर ख़ुश होकर सो जाते है,जिस दिन चटनी मिल जाती है रोटी कम पड़ जाती है।
माँ के पाओ दबाकर जब मज़दूरी करने जाता हूँ,इतने पैसे मिल जाते है मुट्ठी कम पड़ जाती है।
डॉ.नवाज़ देवबन्दी ने

इतनी प्यारी है मुझें अपने वतन की मिट्टी, हो क़यामत भी तो हिजरत नहीं करने वाले।
वो बादशाह बने बैठे है मुकद्दर से,मगर मिजाज़ अब तक वही भिकारी का।
हो सके तो ज़िंदगी से प्यार कीजिए,चाँद बन के चाँदनी से प्यार कीजिए।
मंज़र भोपाली

अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकून मिलेगा।ज़रा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा जो आके बैठे हो पहली सफ में,अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई-नई है।खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उलफत नई नई है।
शबीना अदीब

धूप को आज़मा रहा हूँ मैं
मोम का घर बना रहा हूँ मैं
उसको लेकर गया था कांधे पर
उसको दफना कर आ रहा हूँ
जौहर कानपुरी

मेरी आंखों में आना चाहते हो
समंदर को रुलाना चाहते हो
हथेली पर सजी है मेरी आँखें
मोहब्बत आज़माना चाहते हो
अना देहलवी
मुशायरे का शानदार संचालन करते हुए शायर हिलाल बदायूनी ने कहा ये जान वतन की है मेरी जान नहीं है,सिर जाए वतन पे कोई गम नहीं है।

मुशायरे का शुभारंभ नामचीन शायर ताहिर फ़राज़ ने इस नातिया कलाम से किया जिनके दिल को मोहब्बत हुई आपसे,आन की आन में क्या से क्या हो गए।आमिर इटावी ने बेदम शाह वारसी का कलाम पेश किया सितमगर तुझसे उम्मीदे करम होगी जिन्हें होगी,हमको देखना ये था कि तू जालिम कहां तक है। निसार सीमावी के कलाम पेश करते हुए इमरान अंसारी इटावी ने कहा आसमा ने शबनम को ये पयाम भेजा है,आंसुओं की कीमत आंख में न आने तक।
एसएसपी और उनकी पत्नी की फरमाइश पर शायरा शबीना अदीब ने बेहतरीन गजल पेश की।शायर अल्तमश अब्बास रूड़की ने कहा इश्क में इंसान बहुत पुरजोश रहता है,फिर उसके बाद सारी जिंदगी खामोश रहता है।बलिया से आये नामचीन शायर डा.नायाब बल्यावी ने कहा जब कभी ठंड पहाड़ों से उतर आती है,ये हकीकत है गरीबों के घर जाती है।शायरा मुमताज नसीम ने मोहब्बत पर ये कलाम पेश किया जिंदगी भर रुलाया मुझे आपने और आंखों में पानी नहीं चाहिए,गैर की मेहरबानी गवारा मुझे आपकी मेहरबानी नहीं चाहिए। शायर असद नसीराबादी ने कहा हम जैसे जवानों को नहीं लगती है सर्दी,नजदीक हमारे कभी जाड़ा नहीं आता।शायर विजय तिवारी भोपाली ने कहा खेल खिलौना ले जा बाबू मुन्ना दिल बहलाएगा,तेरा मुन्ना खेलेगा मेरा मुन्ना खायेगा।इसके अलावा शायर मंजर भोपाली,जौहर कानपुरी,अना देहलवी, मासूम गाज़ियाबादी,जीरो बान्दवी, मुनव्वर जाफ़री पपलू ने भी कलाम पेश किए।मुशायरा स्वागत कमेटी की ओर से रौनक इटावी,शावेज़ नक़वी,दानिश मिर्जा, इफ्तिखार मिर्जा,डा.शमसुद्दीन शम्स,तनवीर अंसारी,आरिफ सिद्दीकी नूर, नदीम एड.,वहाज अली खान निहाल ने मंचासीन शायरों का स्वागत किया।सह जिला विद्यालय निरीक्षक मुकेश यादव, प्रधानाचार्य संजय शर्मा,उमेश यादव,डा. कुश चतुर्वेदी,राजदा खातून राज,मो. इकबाल लखनऊ,कोकव नक़वी,प्रेम शंकर शर्मा एडवोकेट,मेराज अली खान एडवोकेट,हाफिज़ कैफ,इस्लामिया कॉलेज का स्टाफ आदि प्रदर्शनी समिति के लोगों ने मुशायरे में उपस्थित होकर बेहतरीन शायरी का आनन्द लिया।

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