जब अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खड़े हो गए थे बाबू गेंदा सिंह

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अवधनामा संवाददाता 

सेवरही, कुशीनगर। बाबू गेंदा सिंह के पुण्यतिथि पर गन्ना अनुसंधान केंद्र सेवरही पर उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कुशीनगर महोत्सव द्वारा आयोजित बनरहा मोड़ किसान डिग्री कॉलेज के पास से आयोजित मैराथन दौड़ प्रतियोगिता को हरी झंडी दिखाकर प्रारंभ कराते हुए तमकुहीराज विधायक डॉ असीम कुमार राय ने कहा कि आजादी के अमृत काल तक पहुँचने में भारत की राजनीति ने कई दौर देखे है। निःसंदेह आज से सत्तर साल पहले राजनीति अपने वर्तमान स्थिति से काफी अलग थी।
कुछ दशक पूर्व तक भारत की राजनीती में किसान नेताओ का दबदबा होता था। जनता की आवाज बुलंद करने के लिए उनके समस्याओं को समझना और निस्तारण के विषय में जानना अनिवार्य है। ऐसे में ग्रामीण परिवेश और देश की नब्ज को समझने वाले किसान नेता राजनीती में अपनी पैठ रखते थे। पहले प्रदेश और फिर केंद्र की राजनीती में अविभाजित देवरिया जनपद की पहचान रहने वाले बाबू गेंदा सिंह भी एक किसान नेता थे। 13 नवंबर 1908 को तमकुहीराज क्षेत्र के ग्राम दुमही, बरवा राजा पाकड़ में जन्मे गेंदा सिंह ने अपनी उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रहण की।युवा गेंदा सिंह अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध चल रहे आंदोलनों से प्रेरित होकर 1921 में कांग्रेस से जुड़े और स्वाधीनता संग्राम में अपना योगदान दिया। ब्रितानिया हुकूमत की खिलाफत के कारण मार्च 1941 से दिसंबर 1945 तक ‘पोलिटिकल प्रिजनर’ के रूप में जेल में रहे। आजादी के बाद सन 1948 में कांग्रेस से मोहभंग हुआ तो सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े और फिर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से 1964 तक जुड़े रहे। इसी बीच 1949-52 में वे उत्तर प्रदेश सोशलिस्ट पार्टी के जोनल सेक्रेटरी पद पर भी रहे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गेंदा सिंह 1952 मे पहली बार सोशलिस्ट पार्टी से सेवरही के विधायक चुने गये। 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से दुबारा विधायक चुने गये उस चुनाव में देवरिया की सभी सीटो पर पार्टी के विधायक चुने जाने पर उन्हे नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। इस मौके पर विनय राय, राजू राय व साथ में उपस्थित नगर पंचायत सेवरही अध्यक्ष श्यामसुंदर विश्वकर्मा पूर्व चेयरमैन त्रिभुवन जायसवाल, संजय राय, विनोद सिंह, रूबी देवी, मार्कंडेय वर्मा आदि तमाम लोग उपस्थित रहे।
किसानों के हितैषी थे स्व गेंदा सिंह  
बाबू गेंदा सिंह किसानों और गरीबों के सच्चे हितैषी थे। उनका पूरा जीवन समाज के प्रति समर्पित रहा है। क्षेत्र में विश्व स्तर के गन्ना शोध संस्थान, बकरी फार्म, रेशम फार्म, मसाला फार्म और सब्जी अनुसंधान केंद्र सब बाबू गेंदा सिंह की ही देन है। किसानों की लाइफ लाइन कही जाने वाली नहर प्रणाली भी उन्हीं की देन है। पिछले पैंतालीस वर्षो में बहुत कुछ बदला है, अब ना सेवरही विधानसभा है और ना ही पडरौना लोक सभा। नए परिसीमन से तमकुहीराज विधानसभा और कुशीनगर लोकसभा का जन्म हो चूका है।
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