Thursday, May 15, 2025
spot_img
HomeMarqueeजब मनुष्य मानस के सरोवर मे गिरता है तो जीवन हो जाता...

जब मनुष्य मानस के सरोवर मे गिरता है तो जीवन हो जाता है धन्य- अमर नाथ जी महराज

कुदरहा, बस्ती। जिस तरह भाषा की शुद्धि ब्याकरण से होती है। उसी तरह मानव जीवन की शुद्धि रामचरित मानस से होती है। जब मनुष्य मानस के सरोवर मे गिरता है। तो जीवन धन्य हो जाता है। रामकथा ही जीवन मे क्रांति लाकर शुद्ध मानव बनाती है।

उक्त सदबिचार कथावाचक अमर नाथ जी महराज ने लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान श्री राम जानकी मंदिर भरवलिया उर्फ टिकुइया मे चल रही रामकथा के तीसरे दिन सती का त्याग व शिव पार्वती विवाह के प्रसंग को बिस्तार देते हुए कहा भगवान शिव ने सती का त्याग रामभक्ति को उजागर करने के लिए किया था। पार्वती जी श्रद्धा की प्रतीक हैं तो शिवजी बिश्वास के प्रतीक हैं। अर्थात श्रद्धा और बिश्वास मनुष्य को राम कथा के माध्यम से ही संभव है। जीवन मे श्रद्धा बनती बिगड़ती है लेकिन बिश्वास अजन्म होता है।

संसार मे लोगों के साथ ब्यवहार समय के अनुकूल करना चाहिए। लेकिन मन का ब्यवहार भगवान से हमेशा के लिए करना चाहिए और संत व भगवान के प्रति मन मे संसय नही करना चाहिए। क्यो कि भगवान के कथा पर संसय होने के कारण सती को शरीर का त्याग करना पड़ा। वही सती पार्वती के रुप मे राजाहिमाचंल के यहां पुत्री के रुप मे अवतरित हुई और ऋषिराज नारद की प्रेरणा से पार्वती जी ने तपस्या कर ऋषियों की परीक्षा उत्तीर्ण हुई तो बिवाह के उपरान्त शिव और पार्वती का मिलन हुआ।

कार्यक्रम में महंथ धीरेंद्र दास, प्रेम चंद्र पांडेय, राजेश यादव, महंथ यादव, उग्रसेन पाल, सुरेंद्र यादव, दिलीप यादव, राकेश चालू, अमरजीत यादव, भालचंद्र, दुर्गेश यादव, अमर सिंह, राजमंगल, राजवंत सिंह, साहब राम, भालचंद्र, जितेंद्र सिंह, नरसिंह सहित तमाम लोक मौजूद रहे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular