पीएफ यानी प्रोविडेंट फंड एक बचत और सेवानिवृत्ति निधि है। यह सरकार की पहल है। इस पहल का उद्देश्य कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के दौरान वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। इस निधि में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ही नियमित योगदान करते हैं। रिटायरमेंट पर मेडिकल इमरजेंसी घर या पढ़ाई जैसे खर्चों में इस पैसे को इस्तेमाल किया जाता है। EPFO Membership को लेकर भी नियम बनाए गए हैं।
नौकरी करने के साथ सैलरी का कुछ हिस्सा हाथ में आता है तो कुछ पीएफ में जुड़ने लगता है। नौकरी बदलने के साथ भी पीएफ अकाउंट एक्टिव रहता है और दूसरे संस्थान से मिलने वाली सैलरी का हिस्सा इसमें जुड़ना शुरू हो जाता है।
पीएफ यानी प्रोविडेंट फंड एक बचत और सेवानिवृत्ति निधि है। यह सरकार की पहल है। इस पहल का उद्देश्य कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के दौरान वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।
इस निधि में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ही नियमित योगदान करते हैं। रिटायरमेंट पर मेडिकल इमरजेंसी, घर या पढ़ाई जैसे खर्चों में इस पैसे को इस्तेमाल किया जाता है।
ईपीएफ मेंबरशिप को लेकर क्या हैं नियम
हालांकि, एक सवाल जो हर नौकरीपेशा के जेहन में आता होगा वह यह कि अगर पीएफ में शेयर जुड़ना बंद हो जाए तो पीएफ अकाउंट का क्या होता होगा। ईपीएफ मेंबरशिप को लेकर क्या नियम हैं? क्या यह मेंबरशिपर शेयर न जुड़ने पर भी जारी रहती है?
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की ऑफिशियल वेबसाइट पर ईपीएफ मेंबरशिप को लेकर जानकारी दी गई है। ईपीएफओ की ऑफिशियल वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ईपीएफ मेंबरशिप को लेकर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं होती है।
प्रतिष्ठान छोड़ने के बाद भी कोई व्यक्ति अपनी सदस्यता जारी रख सकता है। हालांकि, अगर आपका शेयर पीएफ अकाउंट में आना बंद हो जाए तो एक समय के बाद खाते पर ब्याज मिलना जरूर बंद हो जाता है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, यदि कोई मेंबर पीएफ खाते में किसी तरह का कोई योगदान नहीं दे रहा है तो ऐसा होने के ठीक 3 साल बाद इस खाते पर ब्याज मिलना बंद हो जाता है।
ईपीएफओ ब्याज दर क्या है
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ब्याज दर की घोषणा की है। इस ब्याज दर को पिछले वर्ष की 8.15% दर से बढ़ाकर अब 8.25% (EPF Interest Rate) कर दिया है।