Wednesday, May 14, 2025
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जाके सरहद पर खुद को मिटा देंगे पर,आंच भारत पे आए नहीं चाहते

शहीद अनिल मौर्य की स्मृति में हुआ कवि सम्मेलन
सरहद पर देश की रक्षा के लिए मर मिटने वाले सैनिकों की बदौलत ही हम चैन की नींद सो रहे -राजेश अग्रहरि
रविवार को नरैनी में सुकमा नक्सली हमले में शहीद हुए अनिल कुमार मौर्य की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में लोगों ने शहीद अनिल मौर्य की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। कवियों की रचनाएं वीर रस से ओतप्रोत रहीं। कवियों ने सुधी श्रोताओं के बीच राष्ट्र प्रेम की भावना का संचार करते हुए राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए मर मिटने का संकल्प लिया।
मुख्य अतिथि के रूप जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश अग्रहरि ने कहा कि सरहद पर देश की रक्षा के लिए मर मिटने वाले सैनिकों के कारण ही हम स्वतंत्र भारत में चैन की नींद सो रहे हैं। शहीदों का भारत माता के प्रति बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता।आज हमारी सैन्य शक्ति इतनी मजबूत है कि दुश्मन भारत की तरफ तिरछी नजरों से देखने का साहस नहीं कर पा रहा है। विशिष्ट अतिथि सदर विधायक प्रतापगढ़ राजेन्द्र मौर्य तथा सीआरपीएफ कैंप त्रिसुंडी के कमांडेंट ऑफिसर अमित कुमार सिंह  सहित कवियों और अन्य अतिथियों ने शहीद अनिल मौर्य स्मृति स्थल पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पार्चन के साथ प्रारंभ किया।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ शायर शिवभानु कृष्णा ने नाम तुम्हारा अमर रहेगा, याद करेगा जहाँ पंक्तियों के द्वारा शहीद अनिल मौर्य को शब्द पुष्प अर्पित करके किया। सुल्तानपुर के कवि शिव सागर तिवारी ने नयन कर रहे चौकसी, अधर कर रहे जाप। हृदय निकेतन रिक्त है, कब आओगे आप पंक्तियां प्रस्तुत की। वीर रस के कवि अभिजित त्रिपाठी की पंक्तियों जिस दिन हमने शस्त्र सम्भाले कूच कर दिया पूरब में। तब दुनिया के नक्शे पर कोई बांग्लादेश नहीं होगा पर पूरा सदन तालियों से गूँज उठा। उनकी पंक्तियों हम सत्य सनातन के अनुयायी अपना विश्व समूचा है। हर रंग की है इज्जत दिल में, पर भगवा सबसे ऊँचा है को भी खूब सराहा गया। प्रयागराज को कवि अभिषेक शुक्ल शुभम की पंक्तियों जाके सरहद पे खुद को मिटा देंगे पर, आँच भारत पे आए नहीं चाहते पर खूब तालियां बजी।
पीलीभीत की कवयित्री सरोज सरगम की पंक्तियों मन की वंशी पे सरगम बजी कृष्णा सी, झूमकर ज़िन्दगी राधिका हो गई पर पूरा पांडाल तालियों से गूँज उठा। राजेश प्रतापगढ़ी की पंक्तियों ऐसे सरहद के सपूतों की कसम है तुमको, दुरंगा कोई तिरंगे को न छूने पाए की खूब सराहना हुई। शायर विवेक मिश्र की पंक्तियों नमन उनको मेरा मेरी ग़ज़ल की दास्तानी में, लुटा आए जो जिगरो-जाँ वतन की पासबानी में पर लोगों ने खूब तालियाँ बजाई।
सुल्तानपुर के कवि अभिमन्यु शुक्ल तरंग ने भागते हैं कायर अस्तित्व की लड़ाई से जो, एक दिन कुल का कलंक बन जाते हैं के द्वारा लोगों के अंदर वीरता का भाव जगाने का प्रयत्न किया। लखनऊ के कवि शेखर त्रिपाठी की पंक्तियों जिन्हें दाम प्यारे, उन्हें दाम दे दो। मुझे राम प्यारे, मुझे राम दे दो पर पूरा पांडाल तालियों से गूँज उठा। राजस्थान के वीर रस के कवि विवेक कुशवाहा की पंक्तियों सीमाओं की रक्षा के हित वीर निकलते हैं घर से। दुश्मन से लड़ते-लड़ते कुछ वीर अमर हो जाते हैं की भी खूब सराहना हुई।
कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए डॉ केसरी शुक्ल ने जब पढ़ा गर एक भी नजर उठी इधर सौगंध हमें नारायण की। बस मानचित्र पर हम ही होंगे, बाकी संसार नहीं होगा तो पूरा पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। कवि सम्मेलन के आयोजक अरुण कुमार मौर्य, अजय मौर्य, नीरज मौर्य, राहुल मौर्य ने सभी कवियों को सराहा।  सीआरपीएफ कैंप त्रिसुंडी कमांडेंट ऑफिसर अमित कुमार सिंह, काशी प्रसाद तिवारी आदि मौजूद रहे।
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