एस.एन.वर्मा
रूस और यूक्रेन युद्ध के भीषण नतीजो से अनभिज्ञ तो नही है। जिस ऐटम बम की धमकी रह रहे के उछलती है उसका नतीजा हिरोशिमा और नागासाकी की दुर्गति भी वे जानते है के लोग इतने सालो बाद भी ऐटम बम का दुष्परिणाम भोग रहे है। तब तो एक ही राष्ट्र के पास ऐटम बम था जो बहुत ही कम पावर का था। इस समय तो कई राष्ट्रो के पास ऐटम बम बहुत हाई पावर के है। अगर यह चला तो युद्धरत देश के साथ पूरी दुनिया तबाह होगी। मानवता के खिलाफ बहुत बडी गद्दारी होगी। जीतने वाले और हारने वाले की दशा एक ही होगी।
पुतिन शान्ति की बात तो करते है पर शर्त थोपेगे तो वार्ता कैसे होगी। जेलेस्की की भी अपनी शर्त है। इन दोनो शर्तो के बीच से रास्ता निकालना होगा अगर सचमुच शान्ति के इच्छुक है। यूक्रेन तबाह हो रहा है तो रूस भी बहुत सुरक्षित नही है। उसकी अर्थव्यवस्था में खिचाव है। रूस में ही कुछ लोग युद्ध विरोधी है, जिन्होंने प्रदर्शन भी किया और कम्युनिस्ट देश के अनुसार उन्हें सजाभी मिली है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति अभी अमेरिका गये थे युद्ध के लिये मदद मांगने के लिये। मदद के लिये अमेरिकी संसद में बड़ी भावुक अपील की यह चैरिटी नही यह अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतन्त्र के लिये निवेश है। अमेरिका ने मदद जारी रखते हुये 1.85 अरब डालर की अतिरिक्त सैन्य मदद देने को सहमत हो गया है। इसमें ऐयर डिफेन्स सिस्टम पेट्रयाट की सप्लाई भी शामिल है। जेलेस्की की अमेरिका के यात्रा के ठीक बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा रूस युद्धक अन्त चाहता। उधर यूक्रेन राष्ट्रपति कह रहे है यूक्रेन घुटने टेकने के लिये तैयार नही है। उधर रूस भी झुकने को तैयार नही है। ऐसे में सिर्फ शान्ति शान्ति कहने से तो युद्ध रूकेगा नही। दोनो को कुछ हद तक झुक कर शान्ति के लिये रास्ता निकालना चाहिये। रूस को यूक्रेन की हथियाई जमीन को लौटाना चाहिये। इस सन्दर्भ में भारत पाक युद्ध को याद किया जाना चाहिये जब भारत ने पाक की जीवी जमीन को लौटा दिया था। पश्चिमी देशों के आगे बढ़ कर युद्ध को रूकवाने का प्रयास करना चाहिये। सिर्फ हथियार की सप्लाई कर के तो युद्ध को बढ़ायेगे। भारत की भूमिका इसमेुं सराहनीय है कि उसने रूस को ऐटमी हथियार के इस्तेमाल से रोक दिया है वार्ता के जरिये। इसे सभी लोग मान रहे है।
रूस ने जब कहा है कि यूक्रेन और रूस का युद्ध रूकना चाहिये। तो यह सही अवसर लगता है कि दोनो मिल बैठ कर शान्ति रास्ता ढूढे। कोई भी समझौता एक तरफा नही होता है। ले दे के होता है। पुतिन कैन्सर से भी ग्रस्त है। हाल में सीढ़ियों से फिसल कर गिर गये थे। उन्हें युद्ध छोड़ अपने सेहत पर ध्यान देना चाहिये। रूस को और देश को उनकी सेवाओं की इस समय जबरदस्त जरूरत है जब युक्रेन की जनता की दुर्दशा पर रूस को मानवीय दृष्टि अपनानी चाहिये। युक्रेनी शहरो और एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्टर पर अगर इसी तरह बमबारी जारी रहती है तो युक्रेनियों को भयानक सर्दियों में कोयला और नलों के पानी के बिना रहना पड़ेगा। इसलिये दोनो पक्ष व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाये और समझौते की राह निकले रूस अगर युक्रेन के हथियाये इलाको को लौटाने के राजी हो जाये तो शान्ति की राह निकालना आसान हो जायेगा। युक्रेन को भी रूस की कुछ बातों को मान लेना चाहिये। क्योंकि सुलह एक तरफा छोड़ मानवीय संवेदना से सोचना चाहिये।
रूस की तुलना में युक्रेन बहुत छोटा देश है। दुनियां में बहुत से भौगोलिक बदलाव हुये है और हो रहे है। इसलिये रूस पुतिन को रूस के विघटन से हुये अलग देशो को फिर से कब्जे में लेने के बारे में सोचना बन्द करना चाहिये। देश के नागरिकों को खुशहाल रखने में रूस को विकास करने में अपनी योग्यता लगानी चाहिये। रूस को सशस्त्र सेनाओं में 30 प्रतिशत इजाफा करने के बजाय रूसी नागरिको के कल्याण के दिशा में इजाफा करने को सोचना चाहिये। रूस सक्षम देश है उसमें अन्तराष्ट्रीय जगत को बहुत आशायें है। वह हिटलर बनकर याद किया जाय या गांधी बनकर पुतिन जैसे सक्षम व्यक्ति को सोचना चाहिये। उसकी टेरीटरी पर तो कोई खतरा है नही वह क्यों बेकार युद्ध में उलझ रहा है।
सभी देशों को मिलकर पुतिन और जेलेन्सकी को शान्ति की टेबुल पर बैठाना चाहिये। युद्ध सामग्री की सप्लाई यहां या डालर की मदद युद्ध बढ़ाने के लिये नही करना चाहिये। शान्ति से ही रूस को फायदा है, युक्रेन को फायदा है और पूरी दुनियां को फायदा है। आने वाली पीढ़ियों को हम क्या छोड़े जा रहे है सोचे और सुधारे कार्बन उत्सर्जन किसी बमबारी से कम नही है इसे रोकने में सारी शक्ति और डालर लगाये। सम्पत्ती, जीव जन्तु वनपस्थियों मानवों, पानी के श्रोतो वगैरह की सुरक्षा आज को लोगो पर भारी है। हम इसमें चूके नहीं अपने सबसे अच्छा अवदान दे। मिलजुल कर एक रास्ता निकसले रूस और युक्रेन का युद्ध समाप्त हो। पुतिन जेलेन्सकी जिन्दाबाद।