भूमाफिया की नजरों में चढ़ी वक्फबोर्ड और कब्रिस्तान की जमीन,नगरपालिका झाड़ रही है पल्ला

0
126

अवधनामा संवाददाता

मौदहा हमीरपुर। कस्बे में सरकार द्वारा कब्रिस्तान के लिए सुरक्षित की गई अरबों रुपये की जमीन पर भूमाफिया नजरें गड़ाए बैठे हुए हैं और मौका पाकर अवैध पक्का निर्माण करने से नहीं चूकते,जिसके चलते आएदिन विवाद की स्थिति बनी रहती है और कस्बे की शांति भंग होने की आशंका बढ़ जाती है हालांकि नगरपालिका इस मामले को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का बता कर पल्ला झाड़ रही है।
कस्बे के हुसैनिया, हैदरिया, पूर्वी तरौस, उपरौस, रागौल, फत्तेपुर सहित अन्य नयी बसी बस्तियों में सरकार द्वारा कब्रिस्तान के सुरक्षित भूमि की गई है जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा मुर्दों को दफनाया जाता है।लेकिन इन विभिन्न मोहल्लों में कब्रिस्तान के नाम पर सुरक्षित अरबों रुपये की जमीन अब भूमाफिया की नजरों में चढ़ गई है जिसपर मौका मिलते ही भूमाफिया अवैध अतिक्रमण कर पक्का मकान बनाने से नहीं चूक रहे हैं।ऐसी कमोबेश स्थिति वक्फबोर्ड की जमीनों की भी बनी हुई है।जिसके चलते कस्बे में आएदिन विवाद होते रहते हैं और कभी कभी विवाद इतना बढ़ जाता है कि खूनखराबा भी हो जाता है।
कस्बे के फत्तूबाबा स्थित कब्रिस्तान की जमीन पर नाले की ओर कुछ लोगों द्वारा निकास कर लेने और गंदगी करने के मामले को लेकर आएदिन ज्ञापन दिया जाता है जबकि हैदरिया स्थित पठान बाबा के निकट स्थित कब्रिस्तान के चक में भी जमीनी विवाद कम नहीं है जबकि तकिया मोहल्ले की कब्रिस्तान की जमीन में भी अवैध निर्माण को लेकर आएदिन मामले सामने आते रहते हैं।इतना ही उपरौस इमाम चौक की वक्फबोर्ड की जमीन का विवाद जगजाहिर है।जबकि बीते कुछ समय से चौधराना मस्जिद में लगी वक्फबोर्ड की करोड़ों रुपए की जमीन भी सुर्खियां बटोर रही है।
इतना ही नहीं इसके अलावा कस्बे की लगभग सभी कब्रिस्तानों की जमीन पर अवैध निर्माण हो रहे हैं।बीते बुधवार को हुसैनिया मोहल्ले की कब्रिस्तान में बन रहे पक्के मकान का विरोध करने के बाद भी दो पक्षों में विवाद खड़ा हो गया था।
लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि बिना नगरपालिका की अनुमति और शुल्क दिए इंसान अपने नल कनेक्शन को सही कराने के लिए सड़क नहीं खोद सकता है तो फिर कब्रिस्तान की जमीन में नगरपालिका के बिना जानकारी पक्के मकान कैसे बन रहे हैं जिसमें कहीं न कहीं नगरपालिका कर्मचारियों या पालिका के जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति जरूर होती है।हालांकि इस संबंध में अधिशासी अधिकारी सुशील कुमार दोहरे ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह वक्फबोर्ड की जमीन है जो नगरपालिका के अधिकार क्षेत्र से बाहर है इसलिए नगरपालिका इसमें कुछ नहीं कर सकती है।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here