- भारत में कई मिनी-सिलिकॉन वैली बनेंगे जो तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम में रोजगार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगे
- आज भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में लगभग 700 इन्क्यूबेटर उद्यमशीलता के सफर का आर्थिक आधार बने हैं और मेंटरों, निवेशकों, सेवा प्रदाताओं और सलाहकारों के सहयोग से उद्यमशीलता के इकोसिस्टम को तेजी से बढ़ा रहे हैं
- वाधवानी फाउंडेशन अपनी उद्यमशीलता प्रधान पहल, वाधवानी आंतरप्रेन्यर के माध्यम से स्टार्टअप उद्यमियों को जानकारी और कौशल के साथ बढ़ने और निवेश योग्य बनने के लिए प्रेरित, शिक्षित करता और सक्षम बनाता है।
लखनऊ। विश्व उद्यमी दिवस हर साल 21 अगस्त को मनाया जाता है। यह उद्यमिता और लीडरशिप के लिए इनोवेशन और वैश्विक प्रगति के सम्मान का अवसर होता है। आज इसके प्रमाण हैं कि अधिक सक्षम उद्यम जो ज्यादा रोजगार देते हैं इनोवेशन और जोखिम लेने की संस्कृति से उत्पन्न होते हैं। उद्यमिता से नौकरी ढूंढ़ने वालों की तुलना में रोजगार देने वालों की संख्या बढ़ती है। यह भारत के आर्थिक विकास का अत्यावश्यक और बुनियादी पहलू है।
वाधवानी फाउंडेशन के अध्यक्ष और सीईओ डॉ. अजय केला ने विश्व उद्यमी दिवस पर कहा, “उद्यमी ओलंपिक खिलाड़ी की तरह होते हैं; जो खुद बहुत कठिन दौर से गुजरते हैं और फिर संपत्ति और रोजगार पैदा कर अपनी टीम और देश का गौरव बढ़ाते हैं। विश्व उद्यमी दिवस पर हम पूरी दुनिया के उद्यमियों का नमन करते हैं। डिजिटलीकरण और वैश्वीकरण के दौर में उद्यमी के अनुकूल इकोसिस्टम का तेजी से विकास हुआ है। एक दशक से भी कम समय में भारत स्टार्टअप्स और उद्यमियों का अग्रणी राष्ट्र बन गया है। आज देश में 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं और अगले तीन वर्षों में अन्य 100 यूनिकॉर्न बनने की उम्मीद है। भारत में स्थापित और मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की कुल संख्या आज ‘73 के’ है। भारत के अलावा, ब्राजील, मैक्सिको, सिंगापुर, इंडोनेशिया और अन्य देश भी उत्साहवर्धक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना रहे हैं। स्टार्टअप्स के दृष्टिकोण से हम अब तक के सबसे बेहतरीन दौर में हैं। हम चाहते हैं कि वे अधिक सबल बन कर दुनिया की बढ़ती युवा आबादी को रोजगार दें।’’
भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम 2021 में तेजी से आसमान छूते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम बन गया। इसने 2020 में कुल फंडिंग के मुकाबले 3 गुनी वृद्धि दर्ज की। हालांकि इस शानदार प्रदर्शन के बावजूद भारतीय स्टार्टअप के सामने दो बड़ी चुनौतियां बनी हुई है:
(1) भारत के कई यूनिकॉर्न के पास आमदनी का ठोस आधार नहीं है और उन्हें कार्यरत रहने के लिए नकद का प्रवाह चाहिए।
(2) उनके लिए जरूरी है टेक्नोलॉजी और प्लैटफॉर्म के माध्यम से डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, घरेलू पूंजी निवेश के लिए सही नीतियां और सहयोग, टियर 2 और टियर 3 शहरों में निवेश का अनुकूल माहौल, हर राज्य में इनक्यूबेटर बनाने के लिए प्रोत्साहन, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर कर में छूट और फिर स्टार्टअप इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अधिक ध्यान देना।
भारत में निस्संदेह स्टार्टअप्स का एक खुशहाल और जानदार इकोसिस्टम है। देश के उद्यमी और उद्यमी बनने के इच्छुक सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली लोग दोनों के दृष्टिकोण से भारत ऊंचे मुकाम पर है। हालांकि स्टार्टअप नाकाम भी होते हैं इसलिए वाधवानी फाउंडेशन नाकामी की दर कम करने के लक्ष्य से स्टार्टअप्स को यह सलाह देता है कि विशेष कर शुरुआती चरणों में सावधानी से खर्च करना, ग्राहक पर ध्यान केंद्रित रखना और चुनौतियों को दूर करने पर ध्यान देना अत्यावश्यक है और फिर स्टार्टअप्स के पास निम्नलिखित सवालों के स्पष्ट जवाब होने चाहिए:
ए. किसी समाधान का इकाई अर्थशास्त्र कैसे काम करता है?
बी. समाधान तैयार करने की लागत क्या है?
सी. उस कठिन परिश्रम (दर्द) के लिए ग्राहक क्या भुगतान करने को तैयार हैं?
डी. लक्षित बाजार कितना बड़ा है?
भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की साल-दर-साल वृद्धि का अनुमान 12-15 प्रतिशत है। हालांकि यह वृद्धि निरंतर हो इसके लिए स्टार्टअप को इकोसिस्टम में सक्षमता बढ़ाने वाले और बाजार को बढ़ावा देने वाले पहलुओं जैसे कि एक्सेलेरेटर, इन्क्यूबेटर्स, वेंचर कैपिटलिस्ट, एंजल इनवेस्टर्स, सपोर्ट ग्रुप्स, टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन और मेंटर्स के कदम-से-कदम मिला कर चलना होगा।