त्योहारी सीजन में मसालों की कीमत में उतार -चढ़ाव, जीरे में तेजी आई तो हल्दी पर बढ़ा दबाव

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सर्दी का सीजन शुरू होने के पहले मसाले की कीमत में काफी उतार-चढ़ाव होता हुआ नजर आ रहा है। जीरे के भाव में तेजी आई है, वहीं लगभग एक महीने की तेजी के बाद हल्दी पर दबाव बना हुआ नजर आ रहा है। जबकि रबर भी सात साल के शिखर से फिसल कर गिरावट का शिकार हो गया है, इसी तरह धनिया में कमजोरी दर्ज की गई है।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जीरे का अक्टूबर वायदा 9 दिनों के ऊंचाई पर पहुंच गया है। सितंबर में भी जीरे की कीमत में लगातार तेजी बनी हुई थी। अब अक्टूबर के महीने में भी जीरा तेजी दिखा रहा है। एनसीडीईएक्स की चाल पर अगर नजर डालें तो पिछले एक हफ्ते के दौरान जीरा करीब 1 प्रतिशत तक उछल गया है। वहीं पिछले एक महीने के दौरान जीरे के भाव में 5 प्रतिशत तक की तेजी आ गई है। हालांकि अगर 1 साल की अवधि की बात करें, तो पिछले साल अक्टूबर की तुलना में अभी तक जीरे के भाव में 45 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है।

जानकारों का कहना है कि बाजार में जीरे की मांग में लगातार बढ़ोतरी हुई है। इस साल देश में जीरे की बुवाई भी कम हुई है, जिसके कारण बाजार को इस साल जीरे के उत्पादन में कमी आने की आशंका है। इसके साथ ही थोक बाजार में जीरे की आवक भी कम हो रही है। हालांकि इसकी मांग में कोई कमी नहीं आई है, बल्कि ठंड की शुरुआत के पहले मांग में थोड़ी बढ़ोतरी ही हुई है। मांग की तुलना में आवक कम होने के कारण जीरे की कीमत को लगातार सपोर्ट मिल रहा है। कमोडिटी मार्केट एक्सपर्ट अजय श्रीवास्तव का कहना है कि जीरे के उत्पादन में कमी आने की आशंका लगातार बनी हुई है। इस वजह से अगले एक से डेढ़ महीने में ही यानी नवंबर के अंत तक ही जीरा पिछले साल की ऊंचाई पर पहुंच सकता है।

जीरा के विपरीत हल्दी का अक्टूबर वायदा इस सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गया है। इस सप्ताह हल्दी के भाव में 0.33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि एक महीने की अवधि में इसका भाव 4 प्रतिशत तक लुढ़क गया है। जानकारों का कहना है कि हल्दी की मांग में फिलहाल गिरावट आई है, वहीं हल्दी की आवक बढ़ने की वजह से भी बाजार में इसकी कीमत पर दबाव बन गया है। इसके साथ ही हल्दी की बुवाई का रकबा बढ़ने और इसके एक्सपोर्ट में कमी आने से भी बाजार में दबाव की स्थिति बनी है। हालांकि ठंड की शुरुआत के साथ ही हल्दी की मांग में भी तेजी आने की उम्मीद है, जिससे इसकी कीमत में भी जल्दी ही तेजी आ सकती है।

हल्दी की तरह ही धनिया में भी फिलहाल कमजोरी नजर आ रही है। पिछले 1 हफ्ते के दौरान धनिया की कीमत में 1 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। हालांकि मासिक आधार पर देखें तो धनिया के भाव अभी 7 प्रतिशत चढ़े हुए हैं। बताया जा रहा है कि सितंबर के महीने में धनिया पिछले 9 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया था। इसलिए फिलहाल उसकी कीमत में करेक्शन हो रहा है। आने वाले दिनों में इसकी कीमत में डेढ़ से दो प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।

ज्यादातर मसालों की तरह ही कमोडिटी मार्केट में रबर के भाव पर भी दबाव बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में रबर की कीमत 7 साल के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने के बाद फिसल गई है। फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में रबर 214 डॉलर प्रति किलो के स्तर के करीब कारोबार कर रहा है। इस संबंध में वेंकटेश्वर रबर एंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर जीवी सुरेश का कहना है कि घरेलू बाजार में रबर की सप्लाई में लगातार कमी बनी हुई है, जबकि डिमांड अपने सर्वोच्च स्तर पर है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में रबर की कीमत में आई गिरावट की वजह से इसकी कीमत में मामूली गिरावट जरूर आई है, लेकिन घरेलू मांग में तेजी आने के कारण अब इसमें और गिरावट आने की उम्मीद नहीं है।

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