अतिक्रमण के शिकार  तालाबों में उड़ रही है धूल। 

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 अवधनामा संवाददाता हिफजुर्हमान
मौदहा।हमीरपुर।  मौदहा कस्बा के लगभग सभी तालाबों में अतिक्रमण हो जाने से कस्बे में पानी का संकट गहरा गया है तालाबों की भीठों पर आलीशान कोठियां बनने से बारिश का पानी तालाबों में नहीं पहुंचता है जिसके चलते ये तालाब बारिश के दो महीने बाद ही सूख जाते हैं और गर्मी की शुरुआत होते ही इन तालाबों में पानी की जगह धूल के गुबार नजर आते हैं ।हलाकि नगरपालिका के द्वारा यहाँ के मीरातालाब में पानी भरने का काम शुरू है लेकिन यह व्यवस्था ऊँट के मुंह में जीरा की कहावत को चरितार्थ करती है।
बताते चलें कि मौदहा कस्बा के सभी तालाब अतिक्रमण का  शिकार बने हैं।जिसके चलते इनकी  दुर्दशा अत्यंत दयनीय है। इनके  सुंदरीकरण के नाम पर भले ही शासन द्वारा लाखों करोड़ों रुपए खर्च किया गया है लेकिन सुंदरी करण के नाम पर इन तालाबों स्थित और भी बदतर हो गयी है।इन तालाबों की मिट्टी खोदाई करके लाखों रुपए की अवैध कमाई हुई है।इसके साथ ही तमाम भूमाफिया ने तालाबों की भीठ पर  अवैध कब्जा करके अपनी सम्पत्ति बना यहाँ पर आलीशान मकान और दुकानें बना ली हैं।ज्ञात हो कि मौदहा कस्बा में मुख्य रूप से मीरा तालाब , साजन तालाब, ओरी तालाब, गढ़ाना तालाब के अलावा अन्य कई छोटे छोटे तालाब हैंं।जिनमें से सिर्फ मीरा तालाब एकमात्र ऐसा तालाब है जहाँ थोड़ा बहुत पानी है।जोकि नगरपालिका परिषद के द्वारा भरवाया गया है वहीं बाकी सभी तालाबों में धूल उड़ रही है।इसका मुख्य कारण यह है कि इन तालाबों में जिन रास्तों से होकर बरसात का पानी पहुंचता था उन सभी रास्तों में भूमाफियाओं ने अवैध कब्जा करके मकान निर्माण करा दिया है। जिससे कि बारिश का पानी तालाबों में पहुंचने के बजाय लोगों के घरों की सीवर लाइन का पानी पहुंचता है।इतना ही नहीं  इन तालाबों में पम्पसेट मशीन रखकर लोग अपने खेतों की सिंचाई करते हैं जिससे कि तालाब का पानी समय से पहले ही समाप्त हो जाता है। मौदहा के मीरा तालाब के पानी से आसपास  के खेतों की सिंचाई का मुद्दा हमेशा से सुर्खियों में रहा है।इधर कस्बा के गढ़ाना तालाब में बेतहाशा अतिक्रमण के चलते लोगों ने अपने मकान और दुकानों को बीस तीस फिट पीछे तालाब तक बढ़ा कर कब्जा कर लिया है। यही हाल साजन तालाब, ओरी तालाब सहित अन्य तालाबों का भी है जोकि चौतरफा अतिक्रमण और भूमाफियाओं के अवैध निर्माण कार्यों की चपेट में आकर अपना अस्तित्व खो रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह कि मीरा तालाब को छोड़ कर किसी भी तालाब में बूंदभर  पानी नही है। हलांकि कस्बा के बड़े बुजुर्गो की माने तो यहाँ के तालाबों में साल भर लबालब पानी भरा रहता था जिसमें लोगों का नहाना, कपड़ें धुलना और मवेशियों को पानी पिलाने का काम होता था इतना ही नहीं तालाबों में पानी भरा रहने से  कस्बे का जल स्तर भी  ऊपर था लेकिन जब से  तालाबों में अतिक्रमण हो गया है तभी से  इन तालाबों में बारिश के पानी का पहुंचना बंद हो गया है और सालभर पानी से लबालब भरे रहने वाले तालाब दिसम्बर, जनवरी में ही सूख जाते हैं और कस्बे में पानी के लिए त्राहि त्राहि मची रहती  है।
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