27 वर्ष घुटती रही पीड़िता, तीन साल में दोषियों को सजा, दुष्कर्म से जन्मे बेटे की जिद पर कोर्ट से मिला इंसाफ

0
759

नकी व गुड्डू का बचाव करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि दोनों का पहला अपराध है। इनमें से एक की आयु 50 वर्ष है। दोनों मजदूरी करते हैं। कम सजा दी जाए। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव अवस्थी ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह अपराध गंभीर है। पीड़िता के साथ जो कृत्य दोनों ने किया उसके लिए दोनों अभियुक्तों को राजीव ने कड़ी सजा दिलाने की मांग की।

शाहजहांपुर। वर्ष 1994 की बात है। बहनोई के घर रहने वाली नाबालिग लड़की का नकी हसन और उसका भाई गुड्डू शारीरिक शोषण करता, वो बेबस विरोध भी नहीं कर पाती। दोनों की हैवानियत के कारण उसे बिना ब्याही मां बनना पड़ा।

वो घुटती थी, नवजात बेटे को दूसरों के हाथ सौंपकर जिंदगी का नया मोड़ तलाशती थी। 27 वर्ष इंतजार के बाद उसी बेटे की जिद पर कोर्ट पहुंची, न्याय की गुहार लगाई थी। आखिरकार…तीन वर्ष सुनवाई के बाद मंगलवार को अपर जिला जज लवी यादव ने दोषी नकी हसन और उसके भाई गुड्डू को 10-10 वर्ष कारावास की सजा सुना दी। कोर्ट का निर्णय आने के बाद पीड़ित फोन पर बोली- मैं संतुष्ट हूं कि दोनों दोषी जेल जाएंगे। न्याय की जो उम्मीद थी, वो पूरी हुई…।

30 साल पुराना है घटनाक्रम

30 वर्ष पुराना घटनाक्रम आज भी पीड़ित को कचोटता है। वह पढ़ना चाहती थीं इसलिए वर्ष 1994 में बहन-बहनोई के घर रहने लगी थीं। बहनोई प्राइवेट नौकरी और बहन स्कूल में पढ़ाने जाती थीं। उनकी अनुपस्थिति में नकी और गुड्डू घर पहुंचकर पीड़िता का शोषण करते रहे, जिससे वह गर्भवती हो गई। स्वजन को इसकी जानकारी हुई तो डॉक्टर के पास ले गए मगर, उन्होंने कम उम्र में जान का खतरा बताकर गर्भपात से इनकार कर दिया था।

नाबालिग ने दिया बेटे को जन्म

नाबालिग पीड़ित को समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है, जबकि परिवार वाले लोकलाज के कारण मौन थे। इस बीच स्थानांतरण होने से बहनोई को रामपुर जाना पड़ा और उनके साथ गई नाबालिग ने वहीं बेटे को जन्म दिया। स्वजन ने उनका बेटा हरदोई के एक दंपती को गोद देकर सोचा कि जिंदगी को नए सिरे से शुरू कराएंगे। बालिग होने पर वर्ष 2000 में उनका निकाह गाजीपुर में कराया मगर, कुछ ही समय बाद पति को अतीत के बारे में पता चला इसलिए तलाक दे दिया। वह लखनऊ में मायके में रहने लगीं।

बेटे की जिद पर मां पहुंची कोर्ट

हरदोई में रहने वाले बेटे को भी पता चल गया कि जिनके साथ रहता है वे असली माता-पिता नहीं हैं। सच की परतें हटती गईं, बेटा अपनी मां के पास लखनऊ पहुंच गया। पूरा घटनाक्रम जानने के बाद उसी की जिद पर मार्च 2021 में पीड़ित ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां अर्जी दी। कोर्ट के आदेश पर ट्रक चालक नकी हसन व गुड्डू पर प्राथमिकी पंजीकृत हुई।

वर्ष 2022 में डीएनए जांच में नकी के मुख्य आरोपित होने की पुष्टि हो गई थी। जिसके बाद उसे व गुड्डू को पुलिस ने जेल भेज दिया। नकी अब भी जेल में बंद है। जबकि गुड्डू उर्फ मो. रजी जमानत पर बाहर था। अपर जिला जज ने उसे भी गिरफ्तार कर जेल भेजने के आदेश दिए हैं।

अपर्याप्त दंड से न्याय प्रणाली को पहुंचता है नुकसान

अपर जिला जज लवी यादव ने भी शासकीय अधिवक्ता के तर्कों से सहमति जताई। उन्होंने अपने आदेश में लिखा कि पीड़िता से किशोरावस्था में दुष्कर्म किया गया, जिससे उसने गर्भधारण कर एक पुत्र को जन्म दिया। उन्होंने मध्य प्रदेश के एक निर्णय का भी उल्लेख करते हुए कहा कि अपर्याप्त दंड देकर अभियुक्त के प्रति अवांछनीय सहानुभूति दर्शाने से न्याय प्रणाली को नुकसान पहुंचता है। इससे कानून की प्रभावकारिता में लोगों के विश्वास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

न्याय समानुपातिकता के सिद्धांत पर किया जाना आवश्यक है। यह अपराध की गंभीरता है जो यह तय करती है कि सजा क्या होनी चाहिए। इसलिए दोनों अभियुक्तों को दस-दस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई जाती है।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here