अमेरिका के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे की कंपनी बर्कशायर हैथवे ने यूनाइटेडहेल्थ ग्रुप में लगभग 1.6 अरब डॉलर का निवेश किया है। कंपनी ने 50 लाख से ज्यादा शेयर खरीदे हैं जिससे यूनाइटेडहेल्थ के शेयर 9.6% तक बढ़ गए। बर्कशायर ने एप्पल के शेयर बेचकर और बैंक ऑफ अमेरिका में हिस्सेदारी कम करके यह निवेश किया है।
अमेरिका के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे (Warren Buffett) की कंपनी बर्कशायर हैथवे (Berkshire Hathaway) ने दूसरी तिमाही में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी यूनाइटेडहेल्थ ग्रुप में लगभग 1.6 अरब डॉलर (करीब 13920 करोड़ रुपये) का निवेश किया है।
कंपनी ने 50 लाख से ज्यादा शेयरों की खरीद की। जिसके बाद पोस्ट-मार्केट ट्रेडिंग में यूनाइटेडहेल्थ का शेयर भाव (UnitedHealth shares) करीब 9.6% तक उछल गया।
यह निवेश बर्कशायर के पोर्टफोलियो में 18वां सबसे बड़ा हिस्सा बन गया है, जबकि इस साल अब तक यूनाइटेडहेल्थ के शेयर लगभग 50% तक गिर चुके थे। गिरावट की वजहों में मेडिकेयर बिलिंग पर न्याय विभाग की जांच, CEO का इस्तीफा और बार-बार मुनाफे की चेतावनी शामिल हैं।
एप्पल शेयर में कटौती कर किया निवेश
रिपोर्ट के मुताबिक, बर्कशायर ने एप्पल के करीब 2 करोड़ शेयर बेच दिए, जिससे हिस्सेदारी का मूल्य 9.2 अरब डॉलर घटा। इसके बावजूद, एप्पल बर्कशायर का सबसे बड़ा निवेश बना हुआ है।
इसी तरह, बैंक ऑफ अमेरिका के 2.6 करोड़ शेयर बेचकर हिस्सेदारी को लगभग 8% तक कर दिया गया। वहीं, 1 अरब डॉलर का टी-मोबाइल निवेश पूरी तरह बेच दिया गया।
अन्य पोर्टफोलियो में भी बदलाव
कंपनी ने स्टील निर्माता न्यूकौर (Nucor) और होमबिल्डर लेनार (Lennar) में निवेश बढ़ाया, जबकि डी.आर. हॉर्टन के शेयर बेचे। छोटे पैमाने पर लामार एडवरटाइजिंग और एलेगियन में भी हिस्सेदारी जोड़ी गई।
इनमें से कुछ सौदों का खुलासा पहले नहीं किया गया था, क्योंकि अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (SEC) ने बर्कशायर को गोपनीयता की अनुमति दी थी।
बफेट की विदाई से पहले बड़े कदम
95 साल के होने जा रहे वॉरेन बफेट इस साल के अंत में बर्कशायर के CEO पद से हटने वाले हैं। लंबे समय से वे अमेरिकी स्वास्थ्य प्रणाली को अर्थव्यवस्था पर “टेपवर्म” जैसी बोझ मानते आए हैं।
हालांकि बर्कशायर के 300 अरब डॉलर के इक्विटी पोर्टफोलियो को बफेट की निवेश शैली से जोड़ा जाता है, लेकिन छोटे और नए निवेश अक्सर उनके सहयोगी टॉड कॉम्ब्स और टेड वेशलर के नाम माने जाते हैं। फिर भी अंतिम फैसला बफेट ही लेते हैं।