कानपुर गुरूद्वारा भगतनाम देव जी ने सिक्खों के 5वें गुरू श्री गुरू अरजन देव जी की महान शहादत को समर्पित सुबह-शाम के दीवान में कानपुर शहर की विभिन्न स्त्री सतसंगो द्वारा सुखमनी साहिब के पाठ किये गये और गुरु अरजन देव की शहादत पे प्रकाश डालते हुए बताया गया कि गुरू अरजन देव की शहादत उस समय के कट्टर पंथियों द्वारा धर्मान्तरण न स्वीकार करने के कारण एक मिशाल बनी जो कि मुगल सल्तनत का अन्त करते हुए भारतवर्ष को नया रूप देकर धर्म अवलम्बियों को मुह तोड़ जवाब दिया गया। विभिन्न स्त्री सतसंगो ने महापौर प्रमिला पांडे का सिरोपा पहनाकर स्वागत किया
रागी जत्थे द्वारा उनकी वाणी शब्द
‘जपयो जिन अरजन गुरू फिरि संकट जोन गरभि न आयौ
कलजुग जहाज अरजन गुरू’जो भी गुरू अरजन देव जी की वाणी या उनके बताये हुए सिद्धान्तो को अपने जीवन पर धारण कर लेता है वह दुबार चौरासी के आवागमन से मुक्त हो जाता है। उसकी दुःख दरिद्रता नाश हो जाती है। उन्होनें परमपिता परमेश्वर का शुकराना करते हुए शहादत दी और बोला :-‘तेरा किआ मीठा लागे हरि नाम पदारथ नानक मांगें
इस विशेष अवसर पर स्त्री सतसंग बाबा नामदेव की सुरिन्दर कौर जी द्वारा आये हुए सभी जत्थियों को सम्मान स्वरूप भेटा दी गयी और गुरु का अटूट लंगर बरसा।विशेष दोपहर में गुरूद्वारा साहिब के बाहर गुरु जी की शहादत को
समर्पित ठण्डे शरबत की छबील व छोले प्रसाद वितरित किया गया।