बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) की ओर से रात्रि को श्री बदरीनाथ धाम में वराह जयंती श्रद्धापूर्वक मनायी गयी। इस अवसर पर बदरीनाथ धाम में अलकनंदा नदी के तट पर तप्त कुंड के निकट स्थित पंच शिलाओं में से प्रसिद्ध वराह शिला की पूजा-अर्चना की गयी। भगवान विष्णु हरि नारायण के दस अवतारों में तीसरा भगवान वराह का है।
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को वराह जयंती के अवसर पर बदरीनाथ धाम में वराह शिला पूजन होता है। रावल अमरनाथ प्रसाद नंबूदरी ने वराह शिला की पूजा-अर्चना व अभिषेक कर जगत कल्याण की प्रार्थना की।
मान्यता है कि भगवान ने वराह का रूप धारण कर समुद्र में छिपे हिरण्याक्ष नामक दानव का वध किया था तथा भूलोक को हिरण्याक्ष के भय से मुक्त कर दिया।
इस अवसर पर धर्माधिकारी आचार्य राधाकृष्ण थपलियाल, वेद पाठी आचार्य रविंद्र भट्ट, प्रशासनिक अधिकारी विवेक थपलियाल, आचार्य अमित बंदोलिया रघुवीर पुंडीर, नारायण नंबूदरी, राजेश नंबूदरी दर्शन कोटवाल आदि मौजूद रहे।