पहली बार अपना प्रधान चुनेंगे 35 गांवों के वनटांगिया

0
95
  • सात दशक से दंश झेल रहे वनटांगियों के सीएम योगी ने बहुरे दिन, सीएम योगी ने वनग्रामों को राजस्व ग्राम का दिया दर्जा
  • आजादी के सात दशक बाद उपेक्षित पूर्वांचल के वनग्रामों में खुशहाली की हरियाली
  • गोरखपुर-महराजगंज, गोंडा और बलरामपुर के 35 वनटांगिया गांवों की तस्वीर और तकदीर बदली

Vantangia of 35 villages will choose their head for the first time

अवधनामा संवाददाता

गोरखपुर ।  (Gorakhpur) “रहे खातिर झोपड़ी रहल, पानी पीए के खातिर कच्चा कुंआ। जंगल हमार बाप दादा, अऊर हम्मन बसवली लेकिन इहाँ से हमने के भगावल जात रहल। धन्नीभाग जोगी बाबा के की उनकरि चरण इहां पड़ी गइल। आज उनकरि किरपा से पक्का मकान बा, शौचालय बा, लइकन के पढ़े खातिर इस्कूल बा। बिजली, गैस, आंगनबाड़ी केंद्र, का-का गिनाईं। अउर हां, जोगी बाबा के आशीर्वाद से हमनी के मशीन (आरओ) के पानी पियल जाला।”
गोरखपुर के वनटांगिया गांव आजाद नगर, जंगल रामगढ़ उर्फ रजही के बुजुर्ग किशोर निषाद की यह बातें वनटांगियों के इतिहास से लेकर वर्तमान तक की दास्तां सुना जाती हैं। पहले क्या हालात थे, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व ग्राम का दर्जा देकर सब कुछ बदल दिया। अपनी आंखों में बदहाली से खुशहाली के एक दौर की यात्रा को याद करते हुए किशोर भावुक हो जाते हैं। डबडबाई आंखों से वह कहते हैं कि “जोगी महराज (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) के हम्मन भगवान मानीलें।” किशोर की बातें इन्हीं शब्दों के साथ विराम ले लेती हैं। किशोर के जैसे ही मनोभाव रामदयाल, शीला देवी के भी हैं। जंगलों में रहने वाले इन वनवासियों ने जो सपने में भी नहीं सोचा था, उससे बढ़कर उन्हें हकीकत में उपलब्ध है।
कमोबेस यही स्थिति पूर्वांचल के अन्य वनग्रामों की है। गोरखपुर जिले में पांच और पड़ोसी जिले महराजगंज में 18 वनटांगिया गांव हैं। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के ही गोंडा और बलरामपुर में 5-5 वनटांगिया गांव हैं। राजस्व ग्राम के निवासी के रूप में इन गांवों के वनटांगिया पहली बार पंचायत चुनाव में सीधी और सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
सीएम योगी ने वनटांगियों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा
पूर्वांचल में वनटांगियों के लिए सात दशक तक आजादी का वास्तविक मतलब बेमानी था। उनका वजूद राजस्व अभिलेखों में न होने की वजह से वह समाज और विकास की मुख्यधारा से कटे हुए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर उन्हें आजाद देश में मिलने वाली सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराकर विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है।
सीएम योगी ने दिए 72,302 आवास
सीएम योगी ने प्रदेश में 35 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित किया है, जिससे वन क्षेत्रों में बसे इन वन ग्रामों के निवासियों को सड़क, राशन, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मूलभूत सुविधाओं से लाभान्वित किया गया है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में 7,023 आवास मुसहर समुदाय को दिया गया है। मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से छूटे लाभार्थियों को 72,302 निःशुल्क आवास दिया गया है। इसमें 38,112 मुसहर वर्ग, 4,779 वनटांगिया 2,992 कुष्ठ रोग प्रभावित और 81 थारु जनजाति के लोग लाभान्वित हुए हैं।
शौचालय, बिजली, पेंशन और राशन कार्ड भी दिए
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत पांच जिलों के 35 वनटांगिया ग्रामों में 5,973 शौचालय, 31 ग्रामों को विदयुत ग्रीड और 16 ग्रामों को सोलर प्रणाली से विदयुतीकृत किया गया है, जिससे 3172 परिवार लाभान्वित हुए हैं। वनटांगिया गांव के 131 दिव्यांगों को पेंशन, 2760 परिवारों को अन्त्योदय राशन कार्ड और 6039 गृहस्थी राशन कार्ड दिए गए हैं।
वनटांगियों से सीएम योगी की खासी आत्मीयता
वनटांगिया गांव अंग्रेजी शासन में 1918 के आसपास बसाए गए थे। मकसद साखू के पौधों का रोपण कर वनक्षेत्र को बढ़ावा देना। इनके जीवन यापन का एकमात्र सहारा पेड़ों के बीच की खाली जमीन पर खेतीबाड़ी। गोरखपुर में कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा में बसी इनकी बस्तियां 100 साल से अधिक पुरानी हैं। पूर्वांचल के अन्य वनग्रामों का इतिहास भी इतना ही पुराना है। जंगलों को आबाद करने वाले वनटांगियों को देश की आजादी के बाद भी जंगली जीवन बिताने को मजबूर होना पड़ा। सरकार के किसी भी कागज में इनकी हैसियत बतौर नागरिक नहीं थी। अस्सी और नब्बे के दशक के बीच तो इन्हें जंगलों से भी बेदखल करने की कोशिश की गई। 1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ वनटांगियों के संघर्ष के साथी बने और अपने संसदीय कार्यकाल में सड़क से सदन तक उनके हक के लिए आवाज बुलंद करते रहे। वनटांगियों से योगी की आत्मीयता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह 2009 से उन्हीं के बीच दिवाली मनाते हैं।
स्कूल खोलने पर मुकदमा भी झेला था योगी ने
बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ को वनग्रामों में नक्सली गतिविधियों के इनपुट मिले, तो उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को इससे लड़ने का हथियार बनाया। गोरक्षपीठ से संचालित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद को उन्होंने गोरखपुर के वनटांगिया गांव जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन में शिक्षा का अलख जगाने की जिम्मेदारी सौंपी और गोरक्षनाथ चिकित्सालय को स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को लगाया। 2007 में इस वनग्राम में उन्होंने एक स्कूल खुलवाया, तो वन विभाग ने इसे अवैध और अतिक्रमित बताते हुए योगी के खिलाफ मुकदमा करा दिया था। हालांकि वन विभाग को बैकफुट पर आना पड़ा और वहां अस्थायी स्कूल बना। योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब वनग्रामों में सरकारी स्कूलों की सौगात है।
विकास की नजीर पेश कर रहे वनटांगिया गांव
सीएम योगी के प्रोत्साहन और उनके द्वारा राजस्व ग्राम का दर्जा देने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश के वनटांगिया गांवों की तस्वीर और तकदीर बदल गई है। महराजगंज में 27 मार्च को सीएम योगी ने किसान आंदोलन के नाम पर गुमराह करने वालों को करारा जवाब देते हुए महराजगंज के वनटांगिया गांवों में आकर विकास की नई तस्वीर देखने की सलाह भी दे डाली थी। महराजगंज के वनटांगिया वास्तव में नजीर बनकर सामने आए हैं।
Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here