संसद में जिन्ना सुरक्षित और बाहर हंगामा
सय्यद काजि़म रज़ा शकील
लखनऊ।
जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं देश में किसी न किसी मामले को साम्प्रदायिक रूप देकर नफरत और साम्प्रदायिकता का माहौल बनाने का प्रयास किया जाता है। कभी राजनीतिक दल खुद तो कभी सहयोगी संगठनों की मदद से माहौल में गर्माहट लाकर धु्रवीकरण का खेल खेलते रहे हैं। देश के विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों में किस तरह नफरत का बीज बोकर राजनीतिक दल धु्रवीकरण करते हैं, जगजाहिर है। वर्तमान में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की प्रक्रिया जारी है और देश में एक बार फिर जातीय राजनीति को चरमसीमा पर लाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। इस बार मुद्दा है देश के बंटवारे के जिम्मेदार मोहम्मद अली जिन्ना की अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में लगी तस्वीर।
सवाल यह है कि पाकिस्तान के कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना का हिन्दुस्तानी मुसलमानों से क्या संबंध, जिन्होंने जिन्ना के अलग इस्लामिक राष्ट्र के प्रस्ताव को ठुकराते हुए गांधी-नेहरू और अपने पुरखों के वतन हिन्दुस्तान में रहना स्वीकारा। अगर मुसलमानों को जिन्ना का नेतृत्व या विचार स्वीकार्य होते तो सारे मुसलमान अपना वतन छोड़ कर पाकिस्तान जा बसते, लेकिन ऐसा नहीं है। नफरत की राजनीति करने वालों के पास विकास, देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, रोजग़ार, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बुनियादी मुद्दों पर राजनीति का समय नहीं, इसीलिए इस तरह के मुद्दों को बेवजह हवा दी जा रही है। देश में आज भी करोड़ों लोग विकास की किरण देखने को तरस रहे हैं। सुरक्षा के नाम पर बड़ी बड़ी मिसाइलों सहित शक्तिशाली नाभिकीय हथियारों की खरीदारी हो रही जबकि जनता देश के अंदर ही अपने-आपको असुक्षित महसूस कर रही है। कहीं महिलाओं के साथ बलात्कार और गैंगरेप और हत्या, भीड़तंत्र का बेगुनाहों को मौत के घाट उतारने की घटनाओं में कमी के बजाए इजाफा हो रहा है। जहाँ तक रोजग़ार की बात है बेरोजग़ारी इस क़द्र बढ़ी कि लोग इतने परेशान हो गए कि बैंक के एटीएम तक खाली हो गए। शासन विकास, रोजग़ार और सुरक्षा के मुद्दे पर नाकाम है तो आगे की राजनीति करने के लिए जरूरी है कि कोई नया शिगूफा निकाला जाए और नेताओं ने दशकों पहले कब्र में सो चुके जिन्ना के जिन्न को निकाल लिया।
अमुवि में लगी जिन्ना की तस्वीर को हटवाने के लिए लोग इतने आक्रामक हुए कि पूरी दुनिया में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए मशहूर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी सबके निशाने पर आ गयी। अब बात करते हैं जिन्ना की फोटो है कहाँ-कहां। मुस्लिम महिलाओं की बात कर अदालत से लेकर संसद में कानून बनाने तक की कार्रवाई बखूबी अंजाम देने वाले लोग, हज सब्सिडी खत्म कराने वाले भाइयों संसद में जो फोटो जिन्ना की लगी है उसको अभी तक क्यों नहीं हटवाई। क्या यह वह वाले जिन्ना नहीं जिनकी फोटो पर अलीगढ में हंगामा बरपा है। संसद से फोटो हटवाने में अगर कोई कानूनी अड़चन है तो आप बहुमत में हैं ले आइये अध्यादेश या सिर्फ देश में माहौल बनाने के लिए जिन्ना की फोटो का बवाल है कर्नाटक में चुनाव लडिय़े, कैराना अपनी झोली में बचाए रखिये कोई ज़रूरी है इसको सांप्रदायिक बनाइये मैं तो कहता हूँ जिन्ना की फोटो सिर्फ इन दोनों जगहों से ही नहीं बल्कि इतिहास में भी जहाँ जहां हमारे देश में इनकी फोटो हो सब हटवा दीजिये। यह तो वही बात हुई संसद में जिन्ना सुरक्षित और बाहर हंगामा।
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