जीवनदीप अस्पताल में बच्चा बदलने को लेकर हंगामा, अस्पताल सील

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चिकित्सक पर दर्ज हुआ मुकदमा, बच्चा बदलने का हुआ खुलासा

पडरौना कोतवाली क्षेत्र के जटहां रोड स्थित जीवनदीप अस्पताल का मामला

कुशीनगर। पडरौना नगर के जटहां रोड स्थित जीवनदीप अस्पताल में बच्चा बदलने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के स्टाफ बच्चा बदलकर उनको बेटा की जगह किसी दुसरे की बेटी थमा दिया। वह जब इसकी शिकायत डॉ. रवि जायसवाल से किए तो चिकित्सक ने उनके साथ बदसलूकी व गाली-गलौज कर उन्हें अस्पताल से बाहर निकाल दिया। इसके बाद परिजनो ने खूब हंगामा किया। अस्पताल के संचालक डॉ. रवि जायसवाल ने स्टाफ द्वारा डिस्चार्ज करते समय लडका के जगह लडकी देने की बात स्वीकार किया। काफी देर तक चले हंगामे के बाद प्रशासन ने अस्पताल को सील कर दिया। परिजन संचालक पर कार्रवाई करने की जिद्द पर अड़े रहे। इसके बाद कोतवाली पुलिस ने रात्रि तकरीबन दस बजे डाक्टर रवि जायसवाल के विरुद्ध अपहरण सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। तब जाकर परिजनों का गुस्सा शांत हुआ। पुलिस ने लिखा-पढी कर बदले गए बच्चे को उनके परिजनो को सुपुर्द कर दिया है।

पडरौना नगर के जटहां रोड पर बाल रोग विशेषज्ञ डा. रवि जायसवाल जीवनदीप के नाम से अपना निजी अस्पताल संचालित करते है। बताया जाता है कि गुरुवार की शाम स्टाफ द्वारा एक साथ दो बच्चों के डिस्चार्ज स्लिप तैयार किया गया इसके बाद लडकी के परिजनो को लडका और लडके के परिजनो को लडकी थमाकर अस्पताल से छुट्टी कर दी। इसी दरम्यान लडके के परिजनो ने यह आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया कि अस्पताल के स्टाफ ने बच्चा बदल कर लडके की जगह उन्हें लडकी दे दिया है। हो-हल्ला देख वहा भीड इकट्ठा हो गई। पडरौना के कोतवाल राज प्रकाश सिंह ने बताया कि बच्चा बदलने को लेकर विवाद हुआ है। बच्चा मिल गया परिजनो को सुपुर्द कर दिया गया। अस्पताल को सील कर परिजनो के तहरीर के आधार पर चिकित्सक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

एक अक्टूबर को जीवनदीप अस्पताल में भर्ती हुआ था नवजात

कहना न होगा कि रामकोला थाना के विजयीपुर तिराहा निवासी दीपू की पत्नी अंजली को 29 सितंबर को सीएचसी पर सामान्य प्रसव से बेटा पैदा हुआ। बच्चे की धड़कन कम होने के कारण डॉक्टर ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। इलाज के दौरान आराम नहीं मिलने पर एक दलाल के बहकावे में आकर परिजन एक अक्टूबर को उस बच्चे को लेकर पडरौना के जटहां रोड स्थित जीवनदीप अस्पताल पहुंचे जहा चिकित्सक ने बच्चे को भर्ती कर इलाज शुरू किया। इलाज के दौरान बच्चे की तबीयत में सुधार हुआ। गुरुवार को चिकित्सक ने बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया। उसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा परिजनों से 38 हजार रुपए इलाज के नाम पर खर्च धनराशि जमा कराया गया। परिजनों का आरोप है कि जब नवजात को डिस्चार्ज किया गया तो स्टाफ नर्स ने उन्हें बेटे की जगह बेटी थमा दिया। परिजनों का कहना है कि इसकी शिकायत लेकर वह डा. रवि जायसवाल के पास पहुंचे तो वह गाली-गलौज कर उन्हें अस्पताल से धक्का देकर गेट से बाहर निकलवा दिया। फिर इसको लेकर हंगामा शुरू हुआ। पुलिस के आने पर अंजली का बेटा मिला। पुलिस बेटे को लेकर थाने चली गई और दोनों पक्षों को भी वहीं चलने को कहा, लेकिन तीमारदार अस्पताल संचालक डा. रवि जायसवाल पर कार्रवाई और अस्पताल को सील कराने की मांग पर अडिग रहे। इसके बाद प्रशासन ने जीवनदीप अस्पताल को सील कर दिया। इसके बावजूद परिजन देर रात तक पुलिस की मौजूदगी में डाक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर धरना पर बैठे रहे। रात्रि तकरीबन दस बजे कोतवाली पुलिस ने परिजनो के तहरीर के आधार पर संचालक व बाल रोग विशेषज्ञ डा. रवि जायसवाल के खिलाफ अपराध संख्या – 948/23 धारा – 363,504 व 506 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया। उसके बाद परिजन धरना से उठे।

डाक्टर ने स्वीकार किया हुई है गलती

बच्चा बदलने के बाद परिजनों द्वारा किए गए हंगामे की जानकारी जब मीडिया को हुई तो प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुडे पत्रकार जीवनदीप अस्पताल पहुंचे। पत्रकारों ने मामले से संबंधित पूछताछ की तो अस्पताल संचालक व शिशु एवं बालरोग विशेषज्ञ डॉ. रवि जायसवाल ने स्वीकार किया कि स्टाफ द्वारा डिस्चार्ज करते समय परिजनो को लडका के जगह लडकी सौप दिया गया। यह बहुत बडी भूल हुई है।

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