अवधनामा ब्यूरो
लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्णयों व प्रभावी क्रियान्वन से प्रदेश कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में सफल रहा है। सरकार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई को पूरी प्रतिबद्धता के साथ जारी रखते हुए विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से प्रदेश में संचालित किया है। ऐसे में फिर एक बार कोरोना पर वार करने को यूपी तैयार है। देश दुनिया में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोविड के विरूद्ध उत्तम रणनीति की प्रशंसा के बाद अब जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में भी यूपी की रणनीति को सराहा गया है।
अध्ययन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश दुनिया भर में कोरोनो वायरस महामारी के प्रबंधन में अव्वल है। जब पूरी दुनिया फिर से कोविड-19 की ताजा लहर की चपेट में आ गई है, उस समय योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाते हुए निगरानी और नियंत्रण कार्यों में बेहतरीन कार्य किया है।
अध्ययन के अनुसार उत्तर प्रदेश में सीमित संसाधनों के बावजूद प्रदेश सरकार ने बेहतरीन कोविड मैनेजमेंट की मिसाल दूसरे प्रदेशों के समक्ष प्रस्तुत की है। उत्तर प्रदेश में कोविड के लिए नियोजन और समन्वय का ऐसा दृष्टिकोण अपनाया है जिसमें शीर्ष नेतृत्व और विकेंद्रित क्रियान्वयन दोनों शामिल है। मुख्य मंत्री योगी आदित्यदनाथ के निर्देशन में टीम 11 का गठन एक शानदार फैसला है जिससे प्रभावी रूप से कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में सफलतापूर्वक समन्वय स्थापित किया। इसके साथ ही अध्ययन में ये भी कहा गया कि सामुदायिक स्तर पर ग्राम निगरानी समिति ने प्रदेश में कोविड के विरूद्ध महत्वपूर्ण योगदान दिया।
बहुपक्षीय दृष्टिकोण को योगी सरकार ने अपनाया
योगी सरकार ने प्रदेश में महामारी से निपटने के लिए समय समय पर सकारात्मणक प्रतिक्रिया के साथ जो प्रयास किये उसके बेहतर परिणाम लोगों को देखने को मिले। जान भी जहान भी के मंत्र को आत्मसात करते हुए योगी सरकार ने प्रदेश के कमजोर गरीब परिवारों के लिए वित्तपोषण में 1600 करोड़ रुपए दिए गए। इसके साथ ही कोरोना के दौरान प्रदेश सरकार की तरफ से गरीबों व मजदूरों को राहत पैकेज दिया गया।
प्रदेश में अप्रैल 2020 से जून 2020 तक कुल 12.15 लाख नए राशन कार्ड जारी किए। इस दौरान ही आठ लाख मैट्रिक टन खाद्यान्न मजदूरों को निःशुल्क वितरित किया। कोविड-19 के शुरुआत के समय राज्य में कोरोना जांच की सुविधाओं का अभाव था लेकिन आज प्रतिदिन दो लाख टेस्ट प्रदेश में किए जा रहें हैं। मार्च में कोविड-19 का पहला केस सामने आया जिसके बाद योगी सरकार ने जल्द से जल्द ठोस रणनीति बनाकर कार्य किया। सर्वाधिक आबादी वाले उत्तकर प्रदेश में मार्च के समय केवल 60 जांच करने की क्षमता थी लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने टेस्टिंग व्यवस्था को निरन्तर सुदृढ़ किया।
संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए बनाई मजबूत रणनीति
प्रदेश में कोरोना संक्रमण की जांच को शून्य से दो लाख प्रतिदिन पहुंचाने में सार्वजनिक क्षेत्र में 125 लैब व निजी क्षेत्र में 104 लैब क्रियाशील हैं। इसके साथ ही प्रदेश में कोविड रोगियों के लिए 1.51 लाख से अधिक बेड्स और प्रत्येक जनपद में आईसीयू की पर्याप्त व्यवस्था है। सभी कोविड-19 रोगियों व उनके संपर्क को खोजने के लिए 70 हजार से अधिक अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की तैनाती की। कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए प्रदेश में वृहद स्तर पर तेजी से टीकाकरण का कार्य किया जा रहा है।
यूपी अन्य राज्यों के लिए बना मिसाल
योगी सरकार ने कोरोना संकट काल में दृढ़ इच्छा शक्ति, परिपक्वकता, कौशल, संवेदनशीलता व सामूहिक भावना के साथ कोरोना संक्रमण को नियंत्रित किया। जिसकी सराहना प्रधानमंत्री व विश्व स्वास्थ संगठन ने भी की है। डब्ल्यूएचओ ने ऐसा करके पूरे यूपी के लोगों को सम्मानित किया है। जो दूसरे राज्यों के लिए नजीर बना है। इतना ही नहीं केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए आर्थिक सर्वे में भी यूपी की रणनीति को सराहा जा चुका है।
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टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट का मंत्र रहेगा सफल
सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया है कि महामारी के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किए गए तालाबंदी का त्वरित निर्णय एक प्रमुख कारण था जो राज्य भर में कोरोनो वायरस संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने में प्रभावी पाया गया। उत्तर प्रदेश में कोरोनोवायरस की दूसरी लहर को नियंत्रित करने के लिए सीएम योगी ने लोगों से टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट के मंत्र को अपनाने और कोरोना प्रोटोकॉल का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं जो कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाने में सफल रहेगी।