उत्‍तराखंड में अनोखा फर्जीवाड़ा, 7000 में उम्र को ‘कैद’ से छुड़ाने का सौदा; इन सवालों के जवाब अभी “दफ्न’

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उत्‍तराखंड के हल्द्वानी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया जिसमें एक कब्रिस्तान कमेटी ने सात हजार रुपये लेकर एक कैदी को उम्र कैद से छुड़ाने के लिए उसके दफन होने का झूठा प्रमाण पत्र बनाया। पुलिस जांच कर रही है कि इस फर्जीवाड़े में और कितने लोग शामिल हैं और कमेटी ने कितने लोगों से इस तरह पैसे वसूले हैं।

पुलिस के पन्नों में दर्ज फर्जीवाड़े की ये गुत्थी अभी पूरी तरह सुलझी नहीं है। अब तक की पूछताछ में ये बात सामने आई है कि अफजाल की बूढ़ी मां से संपर्क होने के बाद कब्रिस्तान कमेटी ने सात हजार लेकर उसके “दफ्न’ होने की झूठी कहानी गढ़ दी। इसका मकसद था उसे उम्र कैद से छुड़वाकर हमेशा के लिए खुली हवा में सांस लेने का मौका देना था।

रसीद के आधार पर ही निगम से मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल किया गया था। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि अफजाल के दिमाग में ऐसी क्या बात बैठी कि वो शिकायतकर्ता बनकर थाने पहुंच गया? उसके पिता सैय्यद शाने अली की भी कब्रिस्तान कमेटी ने रसीद जारी की थी। जबकि उन्हें तो उत्तर प्रदेश में सुपुर्दे खाक किया गया था। कुल मिलाकर इस कहानी से जुड़े कई सवालों के जवाब भी अभी “दफ्न’ है।

शिकायतकर्ता बनकर थाने पहुंचा अफजाल

फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के खेल में कब्रिस्तान कमेटी से जुड़े लोगों की शिकायतें मिलने के बाद पुलिस भी तब चौंकी जब अफजाल नाम का व्यक्ति शिकायतकर्ता बनकर थाने पहुंच गया। वजह हत्या के मामले में उसे सजा होना था। जिसके बाद बनभूलपुरा थाने की ओर से उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत कराने के साथ नगर निगम को तीन प्रमाणपत्रों की जांच के लिए कहा।

पुलिस के पन्नों में दर्ज फर्जीवाड़े की ये गुत्थी अभी पूरी तरह सुलझी नहीं है। अब तक की पूछताछ में ये बात सामने आई है कि अफजाल की बूढ़ी मां से संपर्क होने के बाद कब्रिस्तान कमेटी ने सात हजार लेकर उसके “दफ्न’ होने की झूठी कहानी गढ़ दी। इसका मकसद था उसे उम्र कैद से छुड़वाकर हमेशा के लिए खुली हवा में सांस लेने का मौका देना था।

रसीद के आधार पर ही निगम से मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल किया गया था। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि अफजाल के दिमाग में ऐसी क्या बात बैठी कि वो शिकायतकर्ता बनकर थाने पहुंच गया? उसके पिता सैय्यद शाने अली की भी कब्रिस्तान कमेटी ने रसीद जारी की थी। जबकि उन्हें तो उत्तर प्रदेश में सुपुर्दे खाक किया गया था। कुल मिलाकर इस कहानी से जुड़े कई सवालों के जवाब भी अभी “दफ्न’ है।

शिकायतकर्ता बनकर थाने पहुंचा अफजाल

फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के खेल में कब्रिस्तान कमेटी से जुड़े लोगों की शिकायतें मिलने के बाद पुलिस भी तब चौंकी जब अफजाल नाम का व्यक्ति शिकायतकर्ता बनकर थाने पहुंच गया। वजह हत्या के मामले में उसे सजा होना था। जिसके बाद बनभूलपुरा थाने की ओर से उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत कराने के साथ नगर निगम को तीन प्रमाणपत्रों की जांच के लिए कहा।

कितनी रसीदें जारी कर दी, कितनों से वसूली

पुलिस जांच में सबसे अहम पहलू ये होगा कि कमेटी से जुड़े लोग कब से इस खेल में शामिल थे। अब कितने जिंदा लोगों को दफ्न बता रसीद जारी की गई और इस काम के से कितने रुपये वसूल किए गए। इससे पहले भी किसी जिंदा व्यक्ति को मरा बता उस दस्तावेज का किसी सरकारी कार्यालय में इस्तेमाल तो नहीं किया गया?

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