लखनऊ: यूनियन एएमसी ने आज यूनियन गिल्ट फंड के लॉन्च की घोषणा की। यह एक ओपन-एंडेड डेट स्कीम है, जिसमें कुल संपत्ति का न्यूनतम 80% सरकारी प्रतिभूतियों (सभी प्रकार की मैच्योरिटी अवधि वाले सिक्योरिटीज़) में निवेश किया जाता है।गिल्ट फंड दरअसल डेट म्यूचुअल फंड हैं, जिसके तहत सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है। बैंकों की एफडी की तुलना में गिल्ट म्यूचुअल फंड में निवेश करना एक बेहतर विकल्प है। वे ज्यादा सुरक्षित हैं और बैंक एफडी के मुकाबले अधिक रिटर्न देते हैं।यूनियन गिल्ट फंड के न्यू फंड ऑफर का शुभारंभ 18 जुलाई को होगा, और इसका समापन 1 अगस्त, 2022 को होगा। इसमें न्यूनतम 1,000 रुपये और उसके बाद 1 रुपये के गुणकों में निवेश किया जा सकता है। इस अवसर पर श्री जी. प्रदीप कुमार, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ), यूनियन एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, ने कहा, “हमने हमेशा अपने निवेशकों को धन सृजन में मदद करने वाले उत्पाद पेश करने की कोशिश की है, और यूनियन गिल्ट फंड का शुभारंभ इस दिशा में किए जा रहे हमारे प्रयासों के अनुरूप है। हम मानते हैं कि इस योजना से उन सभी निवेशकों को फायदा मिलेगा, जो तीन साल या उससे अधिक समय में क्रेडिट जोखिम के बिना रिटर्न पाने की तलाश में हैं। इस योजना के शुभारंभ के साथ, हमारे ऋण उत्पादों के समूह में अब विभिन्न प्रकार के क्रेडिट जोखिम तथा समयावधि की योजनाएं शामिल हो गई हैं।क्रेडिट जोखिम: चूंकि इस फंड के तहत सबसे बेहतर प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) में निवेश किया जाता है, इसलिए इसमें किसी तरह का क्रेडिट जोखिम नहीं होता है।रिटर्न: हाल ही में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद, जोखिम-रिटर्न के आधार पर 4-5 श्रेणियों से होने वाली आमदनी बेहद आकर्षक है और एफडी की मौजूदा दरों से बेहतर है।
3 साल की समयावधि के लिए निवेश करने वाले निवेशकों के लिए जोखिम बेहद कम होगा और शानदार रिटर्न प्राप्त होगा।गिल्ट म्यूचुअल फंड के तहत सरकारी ‘ऋण’ में निवेश किया जाता है, जिसकी वजह से कम कर-निर्धारण का लाभ भी मिलता है। अगर निवेश को 3 साल से अधिक समय तक बरकरार रखा जाए, तो उस पर इंडेक्सेशन टैक्सेशन का फायदा भी प्राप्त होता है। फिक्स्ड डिपॉजिट के मामले में ऐसा संभव नहीं है।
यह एक ओपन-एंडेड फंड है, इसलिए निवेशक साल के दौरान कभी भी बड़ी आसानी से पैसा रिडीम कर सकते हैं। बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट में ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं है, क्योंकि उसमें लॉक-इन पीरियड पहले से तय होता है या समय से पहले निकासी पर जुर्माना देना पड़ सकता है। साथ ही, इस फंड के तहत सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश किया जाएगा, जो चलनिधि की तरह ही होते हैं।
Also read