Tuesday, March 4, 2025
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HomeUttar PradeshAyodhyaसिफरी द्वारा सरयू नदी में दो लाख मछलियों को छोड़ा गया

सिफरी द्वारा सरयू नदी में दो लाख मछलियों को छोड़ा गया

 

 

अवधनामा संवाददाता

अयोध्या। भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (ICAR-CIFRI), बैरकपुर, कोलकाता पहली बार ‘राष्ट्रीय रैन्चिंग कार्यक्रम-2022’ बड़े धूमधाम से मनाने जा रहा है’। हालांकि इस तरह के कार्यक्रम की शुरूआत सन 2018 से ही कर दिया गया था जिसके तहत लगभग 45 लाख से ज्यादा रोहू, कतला, कलबासु और मृगाल/नैनी मत्स्य प्रजातियों के फिंगरलिंग अंगुलिका आकर के मत्स्य बीज गंगा नदी के नदीय मार्ग में आने वाले राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल के विभिन्न नदी घाटों से छोड़ा जा चुका है । लेकिन उक्त कार्यक्रम को इस बार मिशन स्तर पर किया जा रहा है, जिसके तहत पंद्रह दिन के भीतर ही बीस लाख से ज्यादा मत्स्य बीज को छोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संस्थान ने गंगा के बहने वाले राजकीय नदीय मार्ग जैसे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल में ‘नमामी गंगे’ परियोजना के तहत 14 मई 2022 से कई विभिन्न कार्यक्रम जैसे मत्स्य बीज को गंगा नदी में छोड़ना, डॉल्फिन व् जल संरक्षण और जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है । रैन्चिंग कार्यक्रम का शुभारंभ दिनांक 14 मई 2022 को बैरकपुर से ‘राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन’ के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार के करकमलों से हुआ और आज यह कार्यक्रम सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या में किया गया । इसके अंतर्गत दो लाख भारतीय प्रमुख कार्प मछलियों के अंगुलिकाओ को सरयू नदी में छोड़ा गया जिससे इन मछलियों का नदी में पुनर्स्थापन होगा तथा नदी की मत्स्य और मात्स्यिकी में गुणात्मक परिवर्तन आएगा। इन अंगुलिकाओ का प्रजनन गंगा नदी से पकड़ी गई ब्रूडर से किया गया हैं l इस कारण नदी में छोड़ने के बाद मछलियों का आनुवंशिक शुद्धता बना रहेगाl
इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक तथा परियोजना के मुख्य अन्वेषक डॉ बी के दास ने परियोजना के प्रमुख उद्देश्यों के बारे में बताया जिसमे मछली की विविधता का अन्वेषण, सर्वेक्षण, बहुमूल्य मछलियों जैसे रोहू, कतला, कलबासु, मृगाल नैनी और महासीर के स्टॉक मूल्यांकन के साथ–साथ चयनित मछली प्रजातियों के बीज का उत्पादन और उसके स्टॉक में वृद्धि शामिल है। उन्होंने कहा कि रोहू, कलबासु और मृगाल नैनी जैसी मछलियाँ न केवल नदी के स्टॉक में वृद्धि करेंगी बल्कि नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में भी मदद करेंगी । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वेद प्रकाश गुप्ता,  विधायक अयोध्या तथा विशिष्ट अतिथि  नीतीश कुमार, जिलाधिकारी अयोध्या ने सभा को संबोधित किया और सभ में उपस्थित सक्रिय 25 मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए कास्ट नेट, फेंकने वाला जाल दिया जिससे इनके जीविका में सुधार होगा ।                                                       नदी में मत्स्य बीज को छोड़ने से पारिस्थितिकीय और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों का पुनर्रूद्धार होगा जिसके फलस्वरूप नदी में मत्स्ययन से प्रत्यक्ष व् अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों की आजीविका सुनिश्चित होगा साथ ही साथ उनके आय में बढ़ोतरी करने में भी मददगार होगा। इस कार्यक्रम में आस-पास गाव के मत्स्य पालक, मत्स्य व्यवसायी तथा नदी तट पर रहने वाले स्थानीय लोगों ने भाग लिया । कार्यक्रम में संस्थान के केन्द्राध्यक्ष डा० डी एन झा ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम के बारे में संक्षिप्त जानकारी दिया । अंत में डॉ वेंकटेश ठाकुर, वैज्ञानिक ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आस्वस्त किया कि समाज के भगीदारी से हम इस परियोजना के उद्देष्यों को पाने में सफलता प्राप्त करेंगे। कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ हिमान्सू स्वाइन, डॉ रामटेक, डॉ विकास कुमार तथा अन्य शोधार्थीयों एवं कर्मियों ने भाग लिया ।
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