ट्रूकॉलर ने बुजुर्गों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए ख़्याल के साथ साझेदारी की
बड़े पैमाने पर शिक्षा और टेक्नोलॉजी पर आधारित सुरक्षा समाधानों के ज़रिये भारत के बुजुर्गों के लिए डिजिटल सुरक्षा को पूरी तरह से बदलने के उद्देश्य से यह साझेदारी की गई है
भारत, 5 अगस्त, 2025 – देश और दुनिया के बुजुर्ग धीरे-धीरे डिजिटल युग के तौर-तरीकों को अपना रहे हैं, और इसी वजह से वे पहले से कहीं ज़्यादा जोखिम में हैं। वे टेक्नोलॉजी से अच्छी तरह वाकिफ नहीं हैं साथ ही धोखाधड़ी की तरकीबें भी लगातार बदल रही हैं, लिहाजा इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि साइबर अपराध का शिकार बनने वाले ज़्यादातर लोग 50 साल से अधिक उम्र के हैं— बहुत से लोग न सिर्फ़ पैसे ही नहीं गँवा रहे हैं, बल्कि उनके बीच सुरक्षा और भरोसे की भावना भी कम हो रही है।
दुनिया में संचार के सबसे बड़े प्लेटफ़ॉर्म, ट्रूकॉलर ने लगातार बढ़ रही इस चुनौती को दूर करने के लिए भारत में बुजुर्गों के लिए नंबर वन ऐप, ख़्याल के साथ साझेदारी की घोषणा की है, जो देश में बुजुर्गों को सक्षम बनाने और उनकी भलाई के लिए इरादे पर अटल है। इस साझेदारी में ख़्याल के बुजुर्गों के साथ गहरे जुड़ाव— उनकी खास ज़रूरतों को समझना और उपयोगी बातचीत के जरिए उसका समाधान पेश करना— को ट्रू-कॉलर की अत्याधुनिक कॉलर आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ा गया है। ये दोनों साथ मिलकर एक मज़बूत सुरक्षा कवच बनाते हैं, जो भरोसेमंद और विश्वसनीय संचार को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत के बुजुर्गों के लिए ज़्यादा सुरक्षित और आपस में अधिक बेहतर ढंग से जुड़े हुए लोगों की कम्युनिटी बनाता है।
ख़्याल के सभी सदस्यों को ट्रूकॉलर प्रीमियम की मेंबरशिप पर 50% की विशेष छूट मिलेगी, और इस तरह उन्हें अब तक के सबसे एडवांस्ड कॉलर आइडेंटिफिकेशन तथा स्पैम प्रोटेक्शन जैसे फीचर्स का उपयोग करने की सुविधा मिल सकेगी। इसके अलावा, बड़े पैमाने पर सुरक्षा के लिए शुरू की गई इस पहल के तहत, ख़्याल और ट्रूकॉलर साथ मिलकर उन्हें सिखाने के लिए खास कंटेंट तैयार करेंगे। इसमें “न्यू स्कैम हाइलाइट्स” जैसे सत्र शामिल हैं जो धोखाधड़ी की नई तरकीबों के बारे में जानकारी देते हैं। साथ ही, इसके तहत परस्पर बातचीत पर आधारित “स्पॉट द स्कैम” वर्कशॉप एवं कॉन्टेस्ट, अनजान नंबरों से आने वाली कॉल्स को संभालने के लिए ज़रूरी दिशा-निर्देश, और ख़्याल के उन बुजुर्ग सदस्यों के शानदार अनुभव भी शामिल होंगे, जिन्होंने स्कैम की कोशिशों को पहचानने और उसे बचने में सफलता हासिल की है। इन पहलों का संचालन डिजिटल और ऑन-ग्राउंड, दोनों तरीकों से किया जाएगा। ख़्याल के मेंबर्स को इस ऐप पर वर्कशॉप और इससे जुड़े सत्रों में भाग लेने की सुविधा मिलेगी। ख़्याल के “50Above50″ इवेंट के ज़रिए यह साझेदारी डिजिटल सीमाओं से भी परे जाएगी, जिसमें जागरूकता बढ़ाने के लिए परस्पर बातचीत पर आधारित सत्रों के साथ-साथ विशेष रूप से तैयार किए गए सेफ्टी बूथ शामिल होंगे। इस तरह, वरिष्ठ नागरिकों को डिजिटल सुरक्षा के बारे में उपयोगी जानकारी मिलेगी, उन्हें सीधे तौर पर सीखने का अवसर मिलेगा और अनुभव प्राप्त होगा।”
हालाँकि ट्रू-कॉलर का मुफ़्त वर्ज़न भी बेहद उपयोगी है, लेकिन प्रीमियम सब्सक्रिप्शन में बेहतर स्पैम ब्लॉकिंग और कई तरह के एडवांस्ड सेफ्टी फीचर्स मिलते हैं, जो बुजुर्गों को धोखाधड़ी और अनचाहे संचार से बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। टेक्नोलॉजी पर आधारित ये तरीक़ा बचाव का एक अतिरिक्त स्तर प्रदान करता है, और इस तरह बुजुर्गों के लिए एक सुरक्षित दुनिया बनाने के साथ-साथ शिक्षा और समाधानों के ज़रिये उन्हें सक्षम बनाने की दिशा में ख्याल की लगातार कोशिशों को और मज़बूत करता है।
इस मौके पर ट्रूकॉलर के ग्लोबल सीईओ, रिशित झुनझुनवाला ने कहा, “डिजिटल युग हमारे बुजुर्गों के लिए आपसी जुड़ाव, सहूलियत और अपनी कम्युनिटी जैसी बहुत-सी संभावनाएँ लेकर आता है। लेकिन यह नए-नए ख़तरों को भी साथ लाता है जिनके लिए वे अक्सर तैयार नहीं होते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हमने स्कैम का शिकार बनने वाले कई बुज़ुर्गों की दिल दहला देने वाली कहानियाँ सुनी हैं। ख़्याल के साथ हमारी ये साझेदारी उन्हें इस माहौल में सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी जानकारी और टूल्स से लैस करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
ख़्याल के संस्थापक एवं सीईओ, हिमांशु जैन ने इस साझेदारी के बारे में बात करते हुए कहा, “आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं: हमारे देश के बुजुर्ग अपनी मेहनत की कमाई को ऐसे धोखेबाज़ों के हाथों गँवा रहे हैं, जो उनके भरोसे और डिजिटल धोखाधड़ी के तरीकों के बारे में जानकारी नहीं होने का फ़ायदा उठाते हैं। इस तरह के स्कैम का शिकार बनने के बाद होने वाला मानसिक तनाव बहुत ज़्यादा हो सकता है, जिससे वे अक्सर डिजिटल टूल्स के इस्तेमाल को लेकर चिंतित रहते हैं और उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है। ख़्याल में, हम चुपचाप बढ़ रहे इस संकट को लंबे समय से पहचानते आए हैं और डिजिटल वर्कशॉप के ज़रिये इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के संकल्प पर कायम हैं। ट्रूकॉलर के साथ हमारी ये साझेदारी इसी संकल्प को और आगे ले जाती है। रेड फ़्लैग्स को पहचानना सीखकर, ट्रू-कॉलर जैसे सही टूल्स का उपयोग करके, और धोखाधड़ी की नई तरकीबों के बारे में जानकारी रखकर, हमारे देश के बुजुर्ग ऐसे धोखेबाजों से अपनी हिफाजत करते हुए खुलकर जिंदगी जी सकते हैं।”
ख़्याल और ट्रूकॉलर, इस साझेदारी के ज़रिए डिजिटल सुरक्षा और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं, ताकि हमारे देश के बुजुर्ग डिजिटल दुनिया में सुरक्षा और बुलंद हौसले के साथ आगे बढ़ सकें। ये पहल लाखों बुजुर्ग सदस्यों वाले ख़्याल के भरोसेमंद प्लेटफ़ॉर्म को ट्रूकॉलर की धोखाधड़ी से बचाने वाली अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ती है, जिसका उद्देश्य बुजुर्गों की सुरक्षा के साथ-साथ उन्हें सक्षम बनाना भी है।
ट्रूकॉलर का परिचय:
ट्रूकॉलर आज 450 मिलियन से अधिक एक्टिव यूजर्स के लिए रोज़मर्रा के संचार का सबसे अहम हिस्सा बन चुका है, जिसे लॉन्च के बाद से अब तक एक बिलियन से ज़्यादा डाउनलोड किया जा चुका है। अकेले साल 2024 में लगभग 56 बिलियन अनचाहे कॉल्स की पहचान की गई और उन्हें ब्लॉक किया गया। साल 2009 में स्थापित इस कंपनी का मुख्यालय स्टॉकहोम में है तथा अक्टूबर, 2021 से नैस्डैक स्टॉकहोम पर सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध है। अधिक जानकारी के लिए कृपया www.truecaller.com पर जाएँ।
ख़्याल का परिचय:
ख़्याल भारत में बुजुर्गों के लिए नंबर वन ऐप है, जिसके 3 मिलियन से ज़्यादा यूज़र्स हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। यह ऐप 50 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को लाइव वर्कशॉप का हिस्सा बनने, मज़ेदार गेम्स में भाग लेने, सुरक्षित तरीके से भुगतान करने, ज़रूरत पड़ने पर सहायता प्राप्त करने, 24 कैरेट शुद्ध सोने में निवेश करने, सबसे अच्छे ऑफ़र का लाभ उठाने, खास तौर पर तैयार किए गए ट्रैवल पैकेज बारे में जानने और इसी तरह के ढेर सारे फायदों का आनंद लेने की सुविधा देता है। ख़्याल ऐप बुजुर्गों को अपने परिवार के सदस्यों से जोड़ने का माध्यम भी है, जो परिवार के सदस्यों को अपने बुज़ुर्ग प्रियजनों की देखभाल करने और उन्हें सहारा देने में मदद करता है। कोविड-19 महामारी के दौरान हिमांशु जैन और प्रीतीश नेलेरी ने साल 2020 में इस स्टार्टअप की शुरुआत की थी जिसका मुख्य उद्देश्य बुजुर्गों के लिए रिटायरमेंट को आसान बनाने के साथ-साथ उनकी जिंदगी को बेहतर बनाना है, जिसमें आपसी जुड़ाव, सीखने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जाता है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया www.khyaal.co पर जाएँ।