सच्चा ज्ञान विनम्रता देता है और विनम्रता से योग्यता आती है, जी-20 शिक्षा मंत्रियों से बोले पीएम मोदी

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पुणे। प्रधानमंत्री ने गुरुवार को जी-20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया, इस दौरान उन्होंने अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की बात कही। जी-20 शिक्षा मंत्रियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जी-20 देश वैश्विक स्तर पर कौशल को बढ़ावा दे सकते हैं, उन कमियों को ढूंढ सकते हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है और अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
भारत एक समग्र और व्यापक यात्रा पर निकल पड़ा है
प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 शिक्षा मंत्रियों से कहा कि वे सभी के लिए विकास, शांति और समृद्धि के प्रयास में मानवता की अगुवाई कर रहे हैं। इसी के साथ ही पीएम मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय धर्मग्रंथ शिक्षा की भूमिका का वर्णन आनंद प्रदान करने वाली कुंजी के रूप में करते हैं। उन्होंने कहा कि ‘सच्चा ज्ञान विनम्रता देता है, विनम्रता से योग्यता आती है, योग्यता से धन प्राप्त होता है, धन व्यक्ति को अच्छे कर्म करने में समर्थ बनाता है और यही आनंद लाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक समग्र और व्यापक यात्रा पर निकल पड़ा है।
उन्होंने कहा कि सीखने, कौशल और शिक्षा के क्षेत्र में आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बहुत अवसर प्रदान करती है लेकिन प्रौद्योगिकी चुनौतियां भी पेश करती है। हमें सही संतुलन बनाना होगा। जी-20 इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। पीएम मोदी ने कहा कि जी-20 देश अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, खासकर ग्लोबल साउथ के बीच। मैं आप सभी से अनुसंधान सहयोग बढ़ाने के लिए एक रास्ता बनाने का आग्रह करता हूं। यह बैठक हमारे बच्चों और युवाओं के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
ई-लर्निंग अपनाने पर दिया जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने नई ई-लर्निंग को रचनात्मक तरीके से अपनाने और उसका उपयोग करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि इसका लक्ष्य बेहतर प्रशासन के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए। उन्होंने इस दिशा में सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला और स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव-लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स यानी ‘स्वयंÓ का भी अपने संबोधन में उल्लेख किया।
जी-20 शिक्षा मंत्रियों ने चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर दिया जोर
शिक्षा कार्य समूह ने चेन्नई, अमृतसर, भुवनेश्वर और पुणे में चार बैठकों के दौरान, विविध वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए समावेशी समाधान और सामूहिक कार्यों को खोजने पर ध्यान केंद्रित किया। इसमें चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर जोर दिया गया । ये क्षेत्र मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता सुनिश्चित करना, विशेष रूप से मिश्रित शिक्षा के संदर्भ में, तकनीक-सक्षम शिक्षा को अधिक समावेशी, गुणात्मक और सहयोगी बनाना; काम के भविष्य के संदर्भ में क्षमताओं का निर्माण और आजीवन सीखने को बढ़ावा देना अनुसंधान को मजबूत करना और सहयोग तथा साझेदारी को बढ़ाने के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देना आदि हैं।

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