ज़रूरत मंदों की मदद ही सच्ची इंसानियत..

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True humanity is the help of the needy.

अवधनामा संवाददाता

लॉकडाउन में हर तबके की हर सम्भव मदद कर पेश कर रहें हैं मिसाल…
अयोध्या(Ayodhya)। यहाँ तक आते आते कितनी नदियां सूख जाती हैं , हमें मालूम है पानी कहाँ ठहरा होगा।
किसी शायर की ये लाइन को बिल्कुल सच साबित किया है समाजसेवी विकास श्रीवास्तव ने। वैश्विक महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस कोविड 19 से बचाव के लिए सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन में गरीबों की मदद के लिए आगे आए विकास श्रीवास्तव ने ज़रूरतमंद लोगों की दिल खोल कर मदद की। पिछले साल लगे लॉकडाउन के बाद विकास श्रीवास्तव ने लोगों की जो मदद की वो एक मिसाल से कम नही है। पिछले साल के लॉकडाउन के बाद से जब समाजसेवा का काम शुरू किया तो शायद बन्द करना ही भूल गए और यही वजह है कि हर ज़रूरतमन्द को एक ही नाम याद हो गया विकास श्रीवास्तव का। बतादें कि मूलतः निवासी पड़ोसी जनपद गोंडा के हैं पर बचपन में ही अपने पिता जो कि स्टेट बैंक में नौकरी करते थे उनके साथ  गंगाजमुनी तहज़ीब की धरती अयोध्या में बस गये। पिता की प्रेरणा से और अपनी लगन से दौलत तो खूब कमाया पर उसे सही तरीके से खर्च करने का मौका न मिला, हालांकि ज़रूरतमन्दों की मदद करते रहे लेकिन खुद को खुद से छिपाते हुए। पिछले साल देश में आए कोरोना वायरस और सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के दौरान लोग भुखमरी की कगार पर आ गए, उसके बाद विकास श्रीवास्तव ने लोगों की मदद करने को ठानी तो पीछे मुड़कर नही देखा। जब हमारे संवाददाता ने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि बारिश के मौसम में वे छाता लेकर अपने मन्दिर जिसे लोग बघई मंदिर के पास बैठ जाते थे और जिनके पास छाता नही होता था उन्हें 1 छाता देकर ईश्वर की भक्ति करने की नसीहत देते थे। इतना ही नही समाज सेवी विकास श्रीवास्तव ने कई गरीब बेटियों की शादी का खर्च भी उठाया लेकिन ऐसी मदद की किसी को पता न चले। कुलमिलाकर इस साल भी लॉकडाउन शुरू हुआ लेकिन अभी तक कोई ऐसा समाजसेवी सामने नही आया जो बिना किसी नाम और सम्मान के हर ज़रूरतमंद की मदद करे वो चाहे किसी भी धर्म का हो।
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