तहसील भ्रष्टाचार का पर्याय बनी हुई है। भ्रष्टाचार से परेशान एस डी एम ने सभी कार्यालयों में नोटिसें लगवाई हैं।
तहसील में भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हो गई हैं। सभी दफ्तर प्राइवेट आदमियों के सहारे चल रहे हैं। कुछ महीने पहले एक कर्मचारी को घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था।
तहसील में राजस्व सम्बंधित शिकायतों के निस्तारण के मामले में उत्कोच लेने देने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। सूत्रों का कहना है कि सभी राजस्व निरीक्षक कार्यालयों के साथ नायब तहसीलदार, तहसीलदार और एस डी एम कार्यालय में बिना सुविधा शुल्क के कोई काम नहीं होता है। पैसे लेकर एक महीने के भीतर कम अधिक आय का आय प्रमाण पत्र जारी करने वाले एक लेखपाल को दो सप्ताह पहले एस डी एम ने निलंबित किया था। तहसीलदार के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर डी एम निशा अनंत ने उन्हें अमेठी से हटाकर कलेक्ट्रेट में सम्बद्ध किया है।
तहसील में प्राइवेट कर्मी ही खेवनहार बने हुए हैं। सरकारी स्टाफ कम होने के कारण नायब तहसीलदार, तहसीलदार और एस डी एम की कोर्ट पर भी प्राइवेट कर्मचारी काम कर रहे हैं।
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