अवधनामा संवाददाता
1857 क्रांति की 166वीं वर्षगांठ पर स्मारक स्थल पर हुआ आयोजन
उपेक्षा का शिकार है क्रांतिकारी की शहीद स्थली एवं स्मारक
गोरखपुर । देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की 166वीं वर्षगांठ के अवसर पर गोरखपुर के महान क्रान्तिकारी शहीद सरदार अली खाँ की शहादत स्थल एवं मज़ार कोतवाली परिसर में उनकी शहादत को याद करते हुए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता गोरखपुर की पूर्व महापौर श्रीमती डा० सत्या पाण्डेय ने किया एवं कार्यक्रम का संचालन शमशाद आलम ने किया।
कार्यक्रम का आयोजन क्रान्तिवीर शहीद सरदार अली खाँ फाउन्डेशन श्रीमती सत्या पाण्डेय ने अपने सम्बोधन में कहा कि शहीद कभी मरते नहीं, वह लोगों के दिलों में सदैव जिन्दा रहते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो0 राजवंत राव पूर्व अध्यक्ष प्राचीन विभाग गोरखपुर विश्वविद्यालय,
गोरखपुर ने उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि इतिहास की अपनी पुस्तकों के माध्यम से राष्ट्रीय इतिहास में
सरदार अली खाँ को वह स्थान नहीं मिल पाया।
डा० के०के० पाण्डेय की पुस्तकों के द्वारा उन्हें वह स्थान क्षेत्रीय इतिहास में प्राप्त हुआ जिसके
वह हकदार हैं और इसी प्रकार प्रतिवर्ष आयोजन करके उस कथन को चरितार्थ करना चाहिए की शहीदों की चिंताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का बाकी यही निशां होगा।
इस अवसर पर फ़ाउन्डेशन के अध्यक्ष डा० के०के० पाण्डेय ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम एवं शहीद सरदार अली के जीवन मृत्यु से जुड़े इतिहाद से लोगों को रूबरू कराया।
समापन पर शहीद सरदार अली खाँ के वंशज व फाउन्डेशन के सचिव मुख्तार अहमद खाँ एवं शिराज खान ने आगुंतको का आभार व्यक्त करते हुए शासन प्रशासन से यह मांग किया कि कोतवाली द्वार का नामकरण शहीद सरदार अली खां के नाम पर किया जाये एवं मजारों की पास पड़ी गन्दगी एवं दीवारों
की हदबन्दी करा दिया जाये।