एस.एन.वर्मा
त्रेता युग में बनवास के बाद अयोध्या लौटे जो उत्साह और उत्सव का माहौल उस समय अयोध्या में रहा होगा वही माहौल इस समय अयोध्या में हिलोरे मार रहा है। प्राण प्रतिष्ठा की तारीख का लोग इस तरह इन्तजार कर रहे थे जैसे राम के लौटने की बात सुन कर उस समय अयोध्यावासी कर रहे थे। बाल, वृद्ध, पुरूष महिला सब जगह नाच गा रहे है। राम के भजनों व श्रलोकों से इस समय अयोध्या गुन्जित है। मकानों गलियो की सजावट चरम पर है। मकान साफ सुथरा रंग बिरंगे होकर चमक रहे है। उस समय के अयोध्या का दर्शन वर्तमान अयोध्या में हो रहा है। जिस दिन प्राण प्रतिष्ठा होगा पूरा देश दीपो से जगमगा उठेगा। रात दिन सा लगने लगेगा। हम सब भाग्यवान है जो इस घटना को प्रत्यक्ष देख रहे है। महान इतिहासिक घटना हमारे आंखो के सामने गुजर रही है।
भारत ही नहीं दुनिया के सारे देश इस लहर में डूब उतरा रहे है। इस घटना पर कई काव्य और महाकाव्य लिखे जायेगे। कई फिल्मे बनेगी कई नाटक रचे जायेगे। लाल कृष्ण अडवानी से एक पत्रकार ने पूछा था। आपने रामायण पढी है। उनका जवाब था न मैने बाल्मीक को पढ़ा है न भवभूति को न कालिदास को। मेरी राम की धारणा तुलसी, निराला और कैफी आजमी जैसे लोगो बनी है। ऐसा उदात चरित्र है राम के प्राण प्रतिष्ठा का पूजन कोपभवन की यज्ञशाला में मन्त्रों से अग्नि प्रजल्वलित कर की गई। साढ़े तीन घन्टे तक मन्त्रोचार होता रहा। समूचे राम कोट में भजनों की गंूज सुनाई पड़ रही थी। लोग रोमान्चित थे। समूचे देश से आई विभिन्न पूजन सामग्री से पूजन हो रहा है। महाराष्ट्र से समिधायें आई है। सोमनाथ केे जल से आचमन होगा 50 से ज्यादा देशो के लोग सहभागी बनेगे। 15 यजमान सपन्तीक शरीक होगे।
पूरा देश जग भक्ति और आस्था से ओतप्रोत है ऐसे में विपक्ष राजनीति छेड़े हुये है। उसे भारत सरकार की मुहिम बता रहा है चुनाव के सन्दर्भ में। इसमें सरकारी पैसा तो लगा नही है। फिर कैसे यह सरकारी आयोजन है। निमन्त्रण मिलेगा तो लोग जायेगे ही। क्या मोदी क्या अन्य निमन्त्रण मिलेगा तो लोग जायेगे ही। क्या मोदी क्या अन्य निमन्त्रण विपक्षी हस्तियों को भी भेजा गया है। पर राजनीति के नाम पर विरोध कर रहे है प्राणप्रतिष्ठा में भाग नही लेगे। कह रहे है बाद में दर्शन करेगे। तब क्या दूसरे राम होगे। सभी धर्म के लोग निमन्त्रि है मुसलमान भाई भी निमन्त्रित है। सभी आ रहे है। कांग्रेस ने सरयू में स्थान कर राम के दर्शन किया है। क्या ये कोई दूसरे राम है। राम मन्दिर पर फैसला देने वालो पीठ को भी बुलाया गया है।
मुर्ति जो चयनित हुई योगराज अरूण की है। इनकी पांच पिढ़ियां इस धन्धे से जुड़ी हुई है। वह अपने भाग्य और जन्म को सराह रहे होगे। राम का सबसे बड़ा मिशन है सियाराम मै सब जगजानी करहु प्रमाण जोडे युग पानी वस्त्र अलग हो धर्म अलग हो पर सबका सार यही है। अयोध्या में उतरे त्रेता युग को प्रमाण।