मुंबई का धारावी एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती में से एक है. यहां एक बिना खिड़की वाले मकान में कुछ लोग बॉलीवुड स्टार बनने का सपना देख रहे हैं. कुछ को लगता है कि स्टार नहीं तो कम से कम बॉलीवुड का एक हिस्सा ही बन जाएं.
यह छोटा सा मकान वास्तव में एक स्टूडियो है जहां संकरी सीढ़ियों और रस्सी के सहारे जाया जा सकता है. इसके बाहर हाथ से पेंट किया हुआ साइन बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है, “फाइव स्टार एक्टिंग डांसिंग फाइटिंग क्लासेज”. इसे बाबूराव लाडसाहेब चला रहे हैं. लाडसाहेब कहते हैं, “मैं इसे 35 साल से चला रहा हूं. यहां 15 हजार से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया है.” यहां लाडसाहेब के छात्र बॉलीवुड डांस के स्टेप के साथ अभिनय के गुर सीखते हैं.
इस स्कूल को अगला आमिर खान बनाना बाकी है. लेकिन लाडसाहेब का मानना है कि जो लोग यहां प्रशिक्षण ले रहे हैं, उनमें से कुछ आने वाले दिनों में बॉलीवुड के सितारे बनेंगे. लाडसाहेब ने एक बार खुद ही कहानी लिखी, सभी 12 किरदारों को निभाया, निर्देशित किया और फिल्म बनाई थी. अब उनके पास अपने छात्रों के लिए कई लक्ष्य है. इसमें छोटे स्तर पर अभिनय या डांसिंग किरदार, स्टंट का काम और फिल्मों में दूसरे काम दिलाना शामिल है.
लाडसाहेब कहते हैं कि उनके जीवन में बड़ा बदलाव तब आया जब उनके 30 छात्रों ने डैनी बोयल्स की ऑस्कर जीतने वाली फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ में काम किया. वे कहते हैं, “‘स्लमडॉग मिलेनियर’ के बाद मैं एक ‘कास्टिंग मैन’ बन गया. हर कोई मेरे पास आने लगा और प्रशिक्षित अभिनेताओं के लिए कहने लगा. इस वजह से मेरी जिंदगी बदल गई. अब तक 120 कॉस्टिंग डायरेक्टर ने मुझसे संपर्क किया और अभिनेता मांगे. वे हमें पुरुष, महिला और बच्चे के लिए कहते हैं और हम उन्हें उपलब्ध करवाते हैं.”
लाडसाहेब बताते हैं कि अत्याधिक गरीब बच्चे फ्री में यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं लेकिन जो सक्षम हैं, उनके लिए 100 रुपये से लेकर 600 रुपये प्रति महीने शुल्क लगता है. यह शुल्क उनकी उम्र पर निर्भर करता है. वे ना सिर्फ प्रशिक्षण देते हैं बल्कि नेटवर्किंग और ऑडिशन में भी छात्रों को मदद करते हैं जो पूरी तरह मुफ्त होता है. दो बच्चों के पिता 35 वर्षीय राजिक शेख लाडसाहेब के ही छात्र हैं. दूसरे प्रयास में वे सिल्वर स्क्रीन पर एक ड्राईवर की भूमिका में नजर आए. वे कहते हैं, “बचपन से ही मेरा सपना था कि अभिनेता बनूं लेकिन आर्थिक समस्याओं और अच्छी पढ़ाई नहीं होने की वजह से मैं देर से अपना लक्ष्य प्राप्त कर सका.”