अवधनामा संवाददाता
ललितपुर (Lalitpur)। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वार ग्राम महेशपुरा में जैविक विधि से सब्जी उत्पादन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में केन्द्र की वैज्ञानिक डा.अर्चना दीक्षित ने महिला कृषकों को जैविक सब्जी उतदन के तीन पडावों की जानकारी देते हुए जैविक परिवर्तन, जैविक कृषि प्रबंधन एवं प्रमाणीकरण का महत्व बताया। उन्होंने बताया कि जैविक खेती वह पद्धति है जिसमें रासायनिक उत्पादों जैस रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक, फफूंदीनाशी, कवकनाशी, खरपतवारनाशी, वृद्विनियामक इत्यादि का प्रयोग न करके जैविक पदार्थे जैसे जैविक खाद, गौबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नाडेप कम्पोस्ट, हरी खाद, जैव उर्वरक (राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, एजोस्पिरिलम, पी.एस.बी) का प्रयोग किया जाता है। ग्रीष्मकालीन जोताई के पश्चात जैविक खेती के लिए 250 कु./हे. सड़ी गोबर की खाद मिलाना आवश्यक है। सब्जी उत्पादन में फफूंदीनाशी के लिए ट्राइकोडर्मा, ब्यूवेरीया बेसीयाना, वार्टिसिलियम लीकानी एवं कीटों के प्रबंधन हेतु फेरोमॉन ट्रैप, पीला चिपचिपा जाल, नीम अर्क आदि उपयोगी है। मृदा उर्वरता बनाए रखने के लिए फसल चक्र, बहुफसली प्रणाली, जैविक खाद का प्रयोग करना अनिवार्य है। जैविक खेती से भूमि की गुणवत्ता के साथ फसलों का स्वद, पौष्टिकता अच्छी रहती है। कृषक अपने उत्पाद का अधिक मूल्य प्राप्त कर सकते है एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखने में अपना सहयोग भी प्रदान करेंगे। इस प्रशिक्षण में केन्द्र की वैज्ञानिक डा.सरिता देवी सहित 15 कृषक महिलाएं उपस्थित रहीं।