आर आर पी जी कालेज में योग की आवश्यकता विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू
रणवीर रणांजय स्नाकोत्तर महाविद्यालय में उच्च शिक्षा विभाग और संस्कृत विभाग की ओर से योग की आवश्यकता -वर्तमान शिक्षा पद्धति के परिप्रेक्ष्य विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सोमवार को शुरू हुई। पहले दिन वक्ताओं ने योग को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर जोर दिया।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री डा संजय सिंह ने योग और ध्यान पर चर्चा करते हुए कहा कि ध्यान के बल पर हमारे ऋषि मुनि एक ही मुद्रा में दस से पंद्रह साल तक रह लेते थे। आज की युवा पीढ़ी बिना श्रम के पूंजी कमाना चाहते हैं, जिससे उनमें फ्रस्ट्रेशन और तनाव बढ़ता जा रहा है। आज हम मेहनत नहीं करना चाहते जिससे हम बिमार हो रहे हैं। साकेत महाविद्यालय अयोध्या के प्राचार्य प्रो दानपति तिवारी ने कहा योग को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की जरूरत है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के प्रो उमानाथ यादव ने योग के वैज्ञानिक महत्व पर चर्चा किया।
प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ विनोद सिंह ने बताया कि योग से विकृत मानसिकता से आजादी मिलती है।आज लोग कार से जिम जाते हैं और वहां जाकर साइकिल चलाते हैं। प्रो मंशाराम वर्मा ने बताया कि कर्म और भाग्य के फल की भी चर्चा किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप यादव ने कहा कि योग से भोग की प्रवृत्ति बदलना चाहिए।
अतिथियों का स्वागत प्राचार्य डॉ ओ पी त्रिपाठी ने किया और सभी के प्रति आभार प्रो आशा गुप्ता ने किया। संगोष्ठी में प्रो लाजो पांडेय, डॉ धनन्जय सिंह,प्रो राधेश्याम सरोज, आयोजन सचिव डॉ नीतू सिंह, डॉ सन्तोष कुमार सिंह, डॉ बीरेंद्र बहादुर सिंह, डॉ राधेश्याम प्रसाद , डॉ सुधीर सिंह आदि मौजूद रहे।