अवधनामा संवाददाता
सोनभद्र/ब्यूरो डॉक्टर्स डे एक तारीख से जनपद में चल रहा स्वास्थ्य मेला के आज चौथे दिन तक कुल 750 चिकित्सकों ने अपनी सेवा प्रदान की इस प्रकार 96 कैंप, 1 मेगा कैंप के माध्यम से 63260 मरीजों को चिकित्सकीय सेवा एवं सलाह प्रदान की गई। संपूर्ण जनपद में कैंपों पर दौरा कर रहे सेवा समर्पण संस्थान के सह संगठन मंत्री आनंद ने कहां की यह सेवा यात्रा 31वॉ पूर्ण करने की स्थिति में है और आगे लगातार प्रत्येक वर्षों में कैंप करने के लिए संकल्पित भी है जो स्वस्थ भारत सुंदर भारत की कल्पना को पूर्ण करेगा।
विश्व आयुर्वेद परिषद के संगठन सह सचिव के के द्विवेदी ने कहा कि वर्तमान सरकार की अनुकूलता का परिणाम यह रहा कि हम पिछली बार जिन गांव कल्पना किए थे वहां आज आसानी से पहुंचकर कैंप पूर्ण करने में सफल रहे। कई गांव ऐसे मिले जहां असाध्य रोगी मिले जिनका नाम और पता ले लिया गया है आगे उन्हें बाहर लेजाकर चिकित्सकीय उपचार कराया जाएगा।आजकल व्यावसायिकता की अंधी दौड़ में शामिल हो चुके चिकित्सकों को भी अब अपने पेशे को लेकर चिंता सताने लगी है। हालांकि इस पेशे में बढ़ती व्यवसायिकता से सीनियर डॉक्टर काफी आहत हैं। लेकिन कुछ ऐसे डॉक्टर भी है जो अभी भी डॉक्टर पेशे के रूप में सेवाभाव जिंदा है। उन्हें फिर पुराने समय के लौटने की उम्मीद है।
डॉ आशुतोष पाठक के अनुसार बीमारी का कारण स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का अभाव है। उन्होंने कहा कि बीमारी के इलाज से बेहतर उसका बचाव करना है। इसके लिए सभी ब्लड शुगर व उच्च रक्तचाप की जाँच अनिर्वाय रूप से करानी चाहिए।
डॉ विजय राय का कहना है कि पुराने दिनों में हर फील्ड के लोग रुपए कमाने की अंधी दौड़ में शामिल होते थे, लेकिन डॉक्टरी पेशा इससे अछूता था। इसलिए डॉक्टरों को काफी सम्मान मिलता था। वर्तमान में स्थिति कुछ और ही है। इसके अलावा शासकीय सेवा से जुड़े डॉक्टर अभी भी सीमित संसाधनों के बाद भी अपने कर्तव्य को ईमानदारी के साथ पूरा कर रहे हैं।
डॉक्टर मनीष मिश्रा के अनुसार डॉक्टर होना सिर्फ एक काम नहीं है, बल्कि चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है। उन्होंने कहा कि युवा डॉक्टरों को डॉ. बिधानचंद्र राय की तरह जवाबदारी पूरी कर डॉक्टरी पेशे को बदनाम होने से बचाने के लिए पहल करनी होगी।
डॉक्टर देश निधि सिंह का कहना है कि यह दिन यह विचार करने के लिए है कि डॉक्टर हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वर्तमान में डॉक्टर पुराने सम्मान को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करता हुआ नजर आ रहा है। इसके पीछे कई कारण हैं। डॉक्टरों को अपनी जवाबदारियों का पालन ईमानदारी से करना सीखना होगा। डॉक्टरों की एक छोटी-सी भूल भी रोगी की जान ले सकती है।
सेवा समर्पण संस्थान जिला सह मंत्री आलोक कुमार चतुर्वेदी ने कहा वर्तमान में डॉक्टरी ही एक ऐसा पेशा है, जिस पर लोग विश्वास करते हैं। इसे बनाए रखने की जिम्मेदारी सभी डॉक्टरों पर है। डॉक्टर्स डे स्वयं डॉक्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि यह उन्हें अपने चिकित्सकीय प्रैक्टिस को पुनर्जीवित करने का अवसर देता है।सारे डॉक्टर जब अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत करते हैं तो उनके मन में नैतिकता और जरूरतमंदों की मदद का जज्बा होता है, जिसकी वे कसम भी खाते हैं। डॉक्टर्स डे के दिन डॉक्टरों को यह मौका मिलता है कि वे अपने अंतर्मन में झांके, अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझें और चिकित्सा को पैसा कमाने का पेशा न बनाकर मानवीय सेवा का पेशा बनाएं, तभी हमारा यह डॉक्टर्स होने का असली मायने में परिणाम पूर्ण होगा संपूर्ण कैंपों में जो चिकित्सक रह रहे हैं उनका नेतृत्व डॉ रमेश यादव, डॉ नेहा बिष्ट, डॉक्टर सी एस पांडे, डॉ नेहा चौधरी, डॉ राजेश कुमार, डॉ जीतू राम, डॉक्टर सुनीता राय, डॉ शांतनु तिवारी, डॉ मोनिका,डॉ सुशील सिंह, डॉ अमित सिंह, डाक्टर नदीम परवेज, डॉक्टर शुभम महेश्वरी, डॉ ऋतु सिंह, डॉ अजय गुप्ता, डॉ राहुल सिंह रे,डॉ जुगल किशोर पांडे,डॉक्टर कृष्ण बिहारी,डॉक्टर अल्पना नाथ,डॉ अनुराग पांडे, डॉक्टर ब्याडगी आदि अपनी सेवाएं दे रहे हैं
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