आज रंग है रे मा आज रंग है रे मा मेरे महबूब के घर आज रंग हे रे मा

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अवधनामा जिला संवाददाता हिफजुर्रहमान

कुल के फातहा के साथ चार दिवसीय उर्स का हुआ समापन।

महफिलें रंग में लोगों की आंखें हुयीं नम

उर्स मे आने वाले जायरीन के लिए जगह जगह रहा लंगर का है इन्तिजाम।

मौदहा हमीरपुर। उर्स शब्द अरबी भाषा के उरूस से बना है जिस का अर्थ दूल्हा – दुल्हन होता है लेकिन उर्स किसी बुजुर्ग के योमेवफात पर किये जाने वाले कार्यक्रमों को कहा जाता है जिस को आम भाषा मे वार्षिक महोत्सव भी कहा जा सकता है विगत चार दिन से मौदह के कम्हरिया गांव में बुण्देलखण्ड के सबसे बड़े आयोजन हजरत बाबा निजामी कम्हरिया का चार दिवसीय 61वां सालाना उर्स बुद्धवार से बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा था । चादरपोशी के साथ शुरू हुए उर्स का कल कुल की फातहा के साथ समापन हुआ । जुमा का दिन उर्स का खास दिन होनें की वजह से बहुत भीड़ देखने को मिली। हफ्तेभर से गांव में ऐसी रौनक रही जो आज से सन्नाटे मे तब्दील हो जाएगा। पूरे उर्स मे जगह जगह लंगर का इंतजार किया गया था। निजामी चौराह, रेलवे-स्टेशन मौदहा के अलावा कम्हरिया में भी कई जगह लंगर का भारी इन्तजाम रहा। उर्स में उमडऩे वाली भीड़ को मद्देनजर भारी संख्या में पुलिस बल और स्वास्थ्य विभाग तथा अन्य विभागों के कर्मचारियों को लगाया गया था जिन्होनें अपनी जिम्मेदारीयों को बखूबी निभाया और मेले में कसी भी तरह की कोई अप्रिय घटना नही घटी और खुशी खुशी उर्स मुकम्मल हुआ।

क्षेत्र सहित देश में विख्यात सूफी संत हजरत बाबा निजामी रह.के 61 वें सालाना उर्स को लेकर अधिकारियों ने काफी पहले से तैयारियां शुरू कर दी थीं।और भारी संख्या में पुलिस बल के साथ पीएसी, अस्पताल,अस्थायी पुलिस चौकी सहित अन्य व्यवस्था कर ली थी।बुद्ध के दिन मजार में कुरआन ख्वानी के साथ चार दिवसीय उर्स की शुरुआत होती थी। मेले में उमडऩे वाली भीड़ को लेकर मेला क्षेत्र सहित बड़े चौराहे पर भी भारी पुलिस बल तैनात रहा साथ ही यातायात पुलिस के जवान भी मुस्तैदी से डटे रहे।और एसडीएम राजेश कुमार मिश्रा, क्षेत्राधिकारी विवेक यादव सहित कोतवाली प्रभारी स्वयं मेला क्षेत्र में समय-समय पर भ्रमण कर जानकारी लेते रहे।

बताते चलें कि हजरत बाबा निजामी यानी हकीम बाबा अपने समय के बहुत बड़े बुजूर्ग के साथ साथ उच्च कोटी के हकीम भी थे जो जड़ी बूटियों के जरिए लोगों का इलाज भी किया करते थे आप के चाहने वाले पूरे भारतवर्ष में फैले हुए हैं जो उर्स के समय बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से भारी संख्या में हर साल आते हैं। पूरे हिन्दोस्तान से बड़े बड़े कव्वाल बिन बुलाए ही आते है जिन की महफिल रात में बाद नमाज इशा होती है। दूरदराज से आने-जाने वालो को लेकर प्रशासन ने भी बहुत पहले से व्यवस्था शुरू कर दी थी।जबकि साफ सफाई और पानी की व्यवस्था ग्राम प्रधान द्वारा की गई थी।

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