महानगर झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई सरकारी मेडिकल कॉलेज के निक्कू (एनआईसीयू) वार्ड में शुक्रवार की देर रात भीषण आग लग जाने से दस नवजात मासूम बच्चों की मौत के मामले में पूरा देश गमगीन हो उठा है। निक्कू वार्ड में भर्ती 49 बच्चों में से 10 बच्चों की आग से जलने के कारण मौत की पुष्टि देर रात कर दी गयी, जबकि 39 बच्चों को भारतीय सेना और पुलिस की मदद से रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाल लिया गया, जिन्हें झांसी और ललितपुर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। प्रकरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीधे तौर पर जुड़कर अधिकारियों से पल-पल की अपडेट ले रहे हैं तो वहीं डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने झांसी मेडीकल कॉलेज पहुंच कर मौका मुआयना किया। वहीं केन्द्र सरकार से घटना की जांच के लिए एन.आई.ए. की टीम भी झांसी पहुंच कर जांच में जुट गयी है। वहीं केन्द्र व राज्य सरकार ने मृतक बच्चों व आग से आहत हुये नवजातों के लिए आर्थिक मदद की घोषणा की है।
झांसी मेडीकल कॉलेज में रात करीब 10.30 बजे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के चलते आग लग गयी। आग लगते ही एक विस्फोट हुआ, जिसकी आवाज सुनकर नवजात बच्चों को स्तनपान करा रहीं महिलायें दौड़कर बाहर भागी, तो वहीं बाहर बैठे तीमारदार अंदर घुसे और बच्चों को लेकर बाहर की ओर भागे। वार्ड वॉय ने आग बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र का प्रयोग करने का प्रयास किया, लेकिन करीब चार वर्ष पहले एक्सपायर हो चुका यंत्र नहीं चल सका। सूचना मिलने पर दमकल विभाग की गाडिय़ों ने मौके पर पहुंच कर आग पर करीब दो घण्टे की कड़ी मशक्कत के बाद काबू पाया। वहीं रेस्क्यू के लिए सेना को भी बुलाया गया। सेना के जवानों ने वार्ड में घुसकर आहत हुये बच्चों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला। इधर बताया जा रहा है कि इस प्रकरण में वार्ड में भर्ती 49 बच्चों में दस बच्चों की मौत की पुष्टि देर रात कर दी गयी। इस घटनाक्रम में असमय काल के गाल में समाये बच्चों में तीन ललितपुर क्षेत्र के भी बताये जा रहे हैं।
झांसी मेडीकल कॉलेज में भर्ती बच्चे के दादा थाना जखौरा क्षेत्र के ग्राम सीरोंनकलां निवासी निरन ने दैनिक भास्कर से जारी एक वीडियो में बताया कि उसके पुत्र भगवानदास की पत्नी पूजा को दो दिन पहले ललितपुर में प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल ललितपुर ले गये थे। जहां से उसे रेफर कर दिया गया, लेकिन प्रसव पीढ़ा के चलते ललितपुर में ही एक निजी नर्सिंग होम में पूजा का प्रसव हुआ और पैदा हुये बच्चे को झांसी रेफर कर दिया गया था, जहां वह मेडीकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में रखा गया था। उसका नाती भी इस अग्निकाण्ड में काल के गाल में समा गया। वहीं दूसरा बच्चा ललितपुर मुख्यालय व तीसरा बच्चा ग्राम पुलवारा से होना बताया जा रहा है।
झांसी मेडीकल कॉलेज में भर्ती बच्चे के दादा थाना जखौरा क्षेत्र के ग्राम सीरोंनकलां निवासी निरन ने दैनिक भास्कर से जारी एक वीडियो में बताया कि उसके पुत्र भगवानदास की पत्नी पूजा को दो दिन पहले ललितपुर में प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल ललितपुर ले गये थे। जहां से उसे रेफर कर दिया गया, लेकिन प्रसव पीढ़ा के चलते ललितपुर में ही एक निजी नर्सिंग होम में पूजा का प्रसव हुआ और पैदा हुये बच्चे को झांसी रेफर कर दिया गया था, जहां वह मेडीकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में रखा गया था। उसका नाती भी इस अग्निकाण्ड में काल के गाल में समा गया। वहीं दूसरा बच्चा ललितपुर मुख्यालय व तीसरा बच्चा ग्राम पुलवारा से होना बताया जा रहा है।
झांसी मेडीकल कॉलेज के स्पेशल न्यू बेबी बोर्न केयर यूनिट में आग लगने के मामले को लेकर ललितपुर पुलिस अधीक्षक मो.मुश्ताक ने बताया कि ललितपुर से भारी पुलिस फोर्स झांसी भेजा गया है, जिनमें पाली व मड़ावरा के क्षेत्राधिकारी, सात निरीक्षक, 50 उप निरीक्षक व 80 आरक्षी शामिल हैं।
अस्पतालों में नहीं है फायर सेफ्टी के पुख्ता इंतजाम
झांसी मेडीकल कॉलेज में आग लगने के बाद जायज है कि ललितपुर में संचालित निजी व सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी के इंतजामों की पुख्ता जांच की जाये। इसके लिए सूत्र बताते हैं कि ललितपुर में एकाध अस्पताल को छोड़कर लगभग सभी अस्पतालों में यही हाल है, जहां फायर सेफ्टी यूनिटों को या तो स्थापित नहीं किया गया है और न ही अग्निशमन यंत्रों को सुचारू रखा गया है।
झांसी मेडीकल कॉलेज में आग लगने के बाद जायज है कि ललितपुर में संचालित निजी व सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी के इंतजामों की पुख्ता जांच की जाये। इसके लिए सूत्र बताते हैं कि ललितपुर में एकाध अस्पताल को छोड़कर लगभग सभी अस्पतालों में यही हाल है, जहां फायर सेफ्टी यूनिटों को या तो स्थापित नहीं किया गया है और न ही अग्निशमन यंत्रों को सुचारू रखा गया है।
निजी व सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट की जानकारी नहीं
ललितपुर में संचालित निजी व सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट कब होता है, क्या जांच होती है और कितनी अवधि में यह जांच आवश्यक होती है। इसकी जानकारी विभाग या संचालकों के पास भी नहीं है। सूत्रों की मानें तो फायर सेफ्टी के नाम पर अस्पतालों में सिर्फ पानी की बाल्टियों में रेत भरकर रखी जाती है, लेकिन अग्निशमन यंत्रों की जांच या मॉक ड्रिल कब हुयी और क्या हुयी, इसकी जानकारी नहीं है।
ललितपुर में संचालित निजी व सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट कब होता है, क्या जांच होती है और कितनी अवधि में यह जांच आवश्यक होती है। इसकी जानकारी विभाग या संचालकों के पास भी नहीं है। सूत्रों की मानें तो फायर सेफ्टी के नाम पर अस्पतालों में सिर्फ पानी की बाल्टियों में रेत भरकर रखी जाती है, लेकिन अग्निशमन यंत्रों की जांच या मॉक ड्रिल कब हुयी और क्या हुयी, इसकी जानकारी नहीं है।
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